पाकिस्तानी सेना: एक ऐसा सैन्यबल जो लड़ नहीं सकता

– लक्ष्य से चूकना,निर्दोष लोगों को मारना,गुरुद्वारा हमले की घटना चिंताजनक रूप से इसकी अक्षमताओं को उजागर करती है

एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में पाकिस्तानी सेना ने एक मिसाइल दागी,जो अपने लक्ष्य से पूरी तरह चूक गई और नागरिक आबादी वाले क्षेत्र में एक गुरुद्वारे के पास जाकर गिरी। इस घटना के दौरान हुए विस्फोट से खिड़कियां टूट गईं, जिससे सिख समुदाय में दहशत फैल गई। यदि यह विस्फोट प्रार्थना के समय हुआ होता तो इसके असर से बड़े पैमाने पर जनहानि हो सकती थी।

यह कोई अकेला मामला नहीं है। पाकिस्तान कि मिसाइल प्रणाली में खराब लक्ष्य निर्धारण और दिशा-निर्देशन विफलता का लंबा रिकॉर्ड रहा है। वर्ष 2022 में एक छोटी दूरी की मिसाइल के नियमित परीक्षण के दौरान यह मिसाइल पाकिस्तानी क्षेत्र में गिरी,जिससे कृषि भूमि को नुकसान पहुंचा और कई ग्रामीण घायल हो गए।

इसी प्रकार वर्ष 2024 की शुरुआत में इसी तरह के एक परीक्षण अभ्यास के कारण मिसाइल ने अपना प्रक्षेप पथ खो दिया और हवा में ही विस्फोट हो गया,जिससे पाकिस्तान की गुणवत्ता आश्वासन एवं प्रणाली की अखंडता पर सवाल उठे। वर्ष 2025 में होने वाली गुरुद्वारा घटना शायद सबसे अधिक चौंकाने वाली रही है। यह न केवल तकनीकी विफलता थी,बल्कि एक कूटनीतिक और सामाजिक आपदा भी थी,क्योंकि इसमें एक धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल था,जो पहले से ही पाकिस्तान में प्रणालीगत भेदभाव का सामना कर रहा है।

यह सिर्फ खराब लक्ष्य नहीं है,यह खराब विनिर्माण का भी उदाहरण है:-

यह केवल खराब निशाना लगाने की बात नहीं है। पाकिस्तानी हथियारों की गुणवत्ता भी बहुत फटेहाल है और उससे भी घटिया बात यह है कि उन प्रणालियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। दोषपूर्ण मार्गदर्शन प्रणालियों से लेकर असफल प्रणोदन तक की समस्याएं हार्डवेयर और इसे बनाने वालों दोनों में समाहित हैं।

फतेह-1 विफल:-

10 मई 2025 को भारतीय वायु रक्षा ने हरियाणा के सिरसा में एक पाकिस्तानी फतेह-1 मिसाइल का मार्ग अवरुद्ध कर उसे नष्ट कर दिया।
पाकिस्तान का गौरव कही जाने वाली फतेह-1 मिसाइल पूरी तरह से बकवास साबित हुई है। यह कई बार असफल हो चुकी है। दुर्घटनाग्रस्त होना,मार्ग से भटक जाना या प्रक्षेपण में असफल होना इसकी बेकरी को दर्शाते हैं। मिसाइल की विफलता पाकिस्तान की तथाकथित स्वदेशी क्षमता के झूठे दिखावे को उजागर करती है।

एक सड़ागला हुआ शस्त्रागार:-

वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान के अधिकांश हथियार पुराने, क्षतिग्रस्त या फिर पूरी तरह से अनुपयोगी हो चुके हैं। उसके टैंक खराब हो जाते हैं,प्रशिक्षण के दौरान जेट विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं और चीन से खरीदे गए ड्रोन उड़ान भरने के बाद भी बच नहीं पाते हैं। वास्तव में यह युद्ध के लिए तैयार सेना नहीं है बल्कि यह टूटी हुई मशीनरी का एक संग्रहालय है।

टिकटॉक आर्मी: अनुशासन से अधिक ड्रामा:-

एक तरफ जब उनके उनके हथियार विफल हो रहे हैं,तो पाकिस्तानी सेना के अधिकारी जनता को प्रभावित करने के लिए “अल्लाह हू अकबर” का नारा लगाते हुए टिकटॉक वीडियो बनाने में व्यस्त हैं। वे प्रशिक्षण देने या रणनीति बनाने के बजाय लोगों के सामने फोटो पोज दे रहे हैं और सैन्य सेवा को सोशल मीडिया पर प्रदर्शन बना रहे हैं।

असीम मुनीर का नाटकीय नेतृत्व:-

जनरल असीम मुनीर इस नाटक के पीछे की मुख्य कड़ी हैं,जो एक राष्ट्रीय रक्षक के रूप में अपनी भूमिका की पटकथा लिख ​​रहे हैं। सुनियोजित धमकियों से लेकर मीडिया में हेरफेर तक,उनका ध्यान बचाव पर नहीं बल्कि सत्ता को बनाए रखने पर है। यह सब जनता का ध्यान भटकाने और प्रासंगिक बने रहने के लिए एक नाटक है।

हाल की गलतियां जो पाक सेना की सड़न को उजागर करती हैं:-

अप्रैल 2025 में बलूचिस्तान में विद्रोहियों के हमले के दौरान पाकिस्तानी सेना के जवानों ने चौकियां छोड़ दीं और भाग गए।
परीक्षण के दौरान प्रक्षेपित की गई मिसाइल नागरिक क्षेत्र में जा गिरी, जिससे कई बच्चे घायल हो गए।
“आज़्म-ए-नौ” जैसे प्रमुख प्रशिक्षण अभ्यास,ईंधन की कमी और उपकरणों की विफलता के कारण विलंबित हुए ,जो किसी भी मानक से किसी भी देश के लिए शर्मनाक है।

वास्तविक खतरे हैं,कोई वास्तविक प्रतिक्रिया नहीं है:-

ऐसी स्थिति में जब वजीरिस्तान में आतंकवादी,बलूचिस्तान में विद्रोही और सिंध में अलगाववादी अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं,तो वहीं पाकिस्तानी सेना अपनी भूमि की रक्षा करने में विफल हो रही है। यह एक ऐसी सेना है,जो अपने अंदर नियंत्रण बनाए रखने के लिए ही संघर्ष कर रही है,बाहर शक्ति प्रक्षेपित करने की तो बात करना शायद उसके बस की नहीं है।

सैन्य अभियान दिखावे पर आधारित है,न कि ऑपरेशन पर:-

आज हम एक ऐसी सेना देखते हैं जो निम्न बिंदुओं पर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।

o चीनी आपूर्ति वाले कबाड़ हथियार
o भ्रष्टाचारपूर्ण खरीद
o सोशल मीडिया में हेरफेर
o झूठे झंडे वाले ऑपरेशन

सच्चाई सामने आ रही है:-

पाकिस्तानी सेना अब एक पेशेवर लड़ाकू सैन्य बल नहीं रह गई है। यह एक संस्था है,जो दुष्प्रचार,भय-प्रचार और जनसंपर्क के हथकंडों पर चलती है। दुनिया को उसकी वास्तविकता देखनी चाहिए। पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा बाहर से नहीं है,बल्कि यह उसके अंदर मौजूद खोखली सेना है।