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सेवानिवृत सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी करेंगे आमरण अनशन

सेवानिवृत सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी करेंगे आमरण अनशन

  • आठ माह बाद भी पेंशन-ग्रेच्युटी नही मिलने से आहत
  • सीएम हेल्पलाइन से भी नही मिला न्याय
  • आर्थिक संकट से जूझ रहे रमेश चंद्र पांडे

हल्द्वानी,उत्तराखंड राज्य प्राप्ति के आन्दोलन के समय 2अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर काण्ड में मौत से रुबरु होते समय उन्होंने यह कल्पना भी नहीं की थी कि अपना उत्तराखंड राज्य बनने पर रिटायरमेंट के बाद पेंशन के लिए भी ऐसी दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ेगा। यह कहानी है एक सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी जिन्हें सेवानिवृति के
8 माह बाद भी पेंशन, ग्रेच्युटी नहीं मिलने के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे रमेश चंद्र पांडे की।

सेवानिवृत्त सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी रमेश चंद्र पाण्डे ने दो माह पूर्व सीएम हैल्पलाइन में शिकायत की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
सीएम हैल्पलाइन के बेअसर हो जाने से हतप्रभ होकर अब पाण्डे ने मुख्यमंत्री सहित आला अधिकारियों को मेल से नोटिस भेजा है। उन्होंने आगाह किया है कि 25 जून को दर्ज शिकायत संख्या 332606 का तत्काल निराकरण नहीं हुआ तो वे 2 अक्टूबर से बुद्ध पार्क हल्द्वानी में आमरण अनशन शुरू करेंगे। इधर निदेशक आडिट ने जिला लेखा परीक्षा अधिकारी अल्मोड़ा को शिकायत का तत्काल निराकरण करने के आदेश दिए हैं।

आडिट आफिस अल्मोड़ा से 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त हल्द्वानी निवासी सेवानिवृत्त सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी रमेश चंद्र पाण्डे ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में बताया है कि मुख्य कोषाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा 31अगस्त को पांचवीं बार आपत्ति लगाकर उनके पेंशन प्रकरण को वापस किया गया। पाण्डे के अनुसार कोषागार द्वारा 24 मई को जब दूसरी बार आपत्ति लगाई तो इसके परिपालन में जिला लेखा परीक्षा अधिकारी अल्मोड़ा ने पेंशन का आगणन नियमितीकरण की तिथि 12 अक्टूबर 1990 से करने के साथ ही ग्रेच्युटी की राशि 83971 रुपए की कटौती कर प्रकरण 24जून को कोषागार को भेज दिया था लेकिन इसके बावजूद कोषागार द्वारा निरंतर इस आपत्ति के साथ प्रकरण लौटाया जा रहा है कि 24मई की आपत्ति यथावत है।

उन्होंने आरोप लगाया है कि कोषागार द्वारा अस्पष्ट रूप से जिस आपत्ति के साथ प्रकरण को उलझाया गया है, ऐसी आपत्ति उत्तराखंड के इतिहास में अब तक किसी भी कोषागार द्वारा किसी भी सेवानिवृत्त कार्मिक के पेंशन के मामले में नहीं लगाई गयी। पाण्डे के अनुसार कोई भी इस सवाल पर गम्भीर नहीं है कि आठ माह से वगैर पेंशन के एक सेवानिवृत्त कार्मिक अपने परिवार का भरण पोषण आखिर कैसे कर रहा होगा ? यदि इस सवाल के प्रति कोई जरा भी संवेदनशील होता तो प्राथमिकता के आधार पर कम से कम अंतरिम पेंशन तो स्वीकृत हो गयी होती।

मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि 37 साल 8 माह के राजकीय सेवाकाल में उत्तराखंड राज्य प्राप्ति के आन्दोलन के दरम्यान 2अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर काण्ड में मौत से रुबरु होते समय उन्होंने यह कल्पना भी नहीं की थी कि अपना उत्तराखंड राज्य बनने पर रिटायरमेंट के बाद पेंशन के लिए भी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ेगा।

आडिट आफिस व कोषागार के बीच पेंशन प्रकरण को लेकर जारी कागजी घुड़दौड़ से खिन्न पाण्डे ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से बेवजह लटकाए गये इस मामले में जवाबदेही तय कराते हुए तत्काल पेंशन,ग्रेच्युटी का भुगतान कराने की मांग की है। इधर जिला लेखा परीक्षा अधिकारी अल्मोड़ा राहुल कुमार झा ने मुख्य कोषाधिकारी को भेजे पत्र में अब तक लगाई गयी सभी आपत्तियों के परिपालन का ब्यौरा देते हुए आग्रह किया है कि उनके स्तर से प्रकरण के निस्तारण हेतु जो भी अपेक्षा हो उसका स्पष्ट उल्लेख किया जाय।

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