जोधपुर, निजी सुरक्षा के लिए सरकारी अधिवक्ता द्वारा लिए गए लाइसेंसशुदा हथियार को जमा करवाने में ऐसा गड़बड़झाला सामने आया है जिसने समस्त पुलिस प्रणाली की निष्ठा पर सवाल उठा दिए हैं। पुलिस की मिलीभगत से पुलिस रिकॉर्ड में उस व्यक्ति की दो वर्ष पहले ही मृत्यु की प्रविष्टि कर दी गई, जो उस समय और उसके बाद लम्बे समय तक जीवित थे। ऐसा किसी आम आदमी के साथ नहीं हुआ, बल्कि उस शख्स के साथ हुआ जो उन दो वर्षों की अवधि में सरकारी अधिवक्ता के तौर पर राजस्थान उच्च न्यायालय में पुलिस विभाग की ही पैरवी कर रहा था। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने अब आपराधिक प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान शुरू कर दिया है।
जोधपुर में बीजेएस कॉलोनी निवासी आशा भाटी ने अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट संख्या-3 की अदालत में दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत परिवाद पेश कर बताया कि उसके पति बाघसिंह भाटी राजस्थान उच्च न्यायालय में अतिरिक्त राजकीय अधिवक्ता के पद पर कार्यरत थे। उनकी मृत्यु एक मई 2020 को हुई थी। उनके पास निजी सुरक्षा के लिए लाइसेंसशुदा बन्दूक थी। सूचना का अधिकार के तहत पुलिस ने परिवादिया को सूचित किया कि उनके पति के भाई सुरेन्द्र सिंह ने उनके पति का शस्त्र 16 अक्टूबर 2018 को जमा करवाते हुए अपने भाई की मृत्यु होना बताया था जिस पर जमा रसीद की प्रति शस्त्र अनुज्ञाधारी के भाई को सुपुर्द की गई और शस्त्र जमा कर रजिस्टर में इन्द्राज किया गया। परिवादिया ने आरोप लगाया कि उनके पति की मृत्यु एक मई 2020 को हुई लेकिन मालखाना रजिस्टर, संलग्न रसीद और तत्कालीन थानाधिकारी सुमेरदान द्वारा प्रेषित रिपोर्ट में परिवादिया के पति की मृत्यु 16 अक्टूबर, 2018 से पूर्व में होना दर्शाता है कि पुलिस ने मिलीभगत कर सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी की है जबकि परिवादिय के पति ने अपनी मृत्यु से चार-पांच दिन पहले बताया था कि मेरी लाइसेंसशुदा बंदूक जालम विलास में घर पर रह गई है, वहां पर तुम्हारा देवर सुरेन्द्र सिंह भी आया हुआ था। पुलिस को रिपोर्ट देने के बावजूद पुलिस ने जांच नहीं की गई। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायालय ने महामंदिर थाना पुलिस को परिवादिया के देवर सुरेन्द्र सिंह भाटी, महामंदिर थाना के एएसआई देवाराम, तत्कालीन थानाधिकारी सुमेरदान चारण व अन्य के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 120-बी, 468, 193, 200 व 212 भारतीय दण्ड संहिता के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान का नतीजा न्यायालय में पेश करने का आदेश पारित किया।