शब्द संदर्भ (77) घाघ

लेखकपार्थसारथि थपलियाल

जिज्ञासा

देहरादून से राम प्रसाद नौटियाल ने लिखा हाल ही में एक समूह चर्चा में सुना गृहमंत्री अमित शाह “घाघ” हैं। क्या घाघ कोई जाति होती है या कुछ और?

समाधान

मूलतः “घाघ” शब्द देसज है। इसका अर्थ है बुद्धिमान, चतुर, तीक्ष्ण बुद्धि, कुटिल, चालक, जिसके मन के भाव को पकड़ना आसान न हो, नीति निपुण व्यक्ति। इसके अलावा घाघ एक कृषि कवि हुए हैं जिन्होंने खेती-किसानी, मौसम और ऋतुओं के बारे में बहुत अध्ययन किया और उस अध्ययन के बाद उस ज्ञान को मुहावरों या छोटे छोटे पदों में लिखा। घाघ कवि को हम मोटे तौर पर कृषि वैज्ञानिक, मौसम विज्ञानी आदि भी कह सकते हैं। यह ज्ञात नही है कि इनके गुणों को देखकर घाघ शब्द अस्तित्व में आया या घाघ शब्द के उपरोक्त अर्थ इनके कार्य-अनुभव से निकले हैं। अतः घाघ शब्द के अर्थ चतुर, कुशल, नीति निपुण, चालक और कुटिल जैसे शब्द हैं।

संदर्भ
अतिरिक्त जानकारी, घाघ शब्द को लोकप्रियता महान कृषि कवि घाघ के कारण मिली। घाघ कवि के बारे में कुछ और जानकारी भी होनी चाहिए। घाघ के बारे में यह सुनिश्चित नही है कि वे छपरा के थे, अथवा कानपुर, कनौज, राजस्थान या मालवा के। किताबों में इनका इनाम देवकली दुबे और जन्म ई. सन 1753 मिलता है।

घाघ के बारे में जानकारी को पुष्ट करने के लिए राजस्थानी साहित्यकार केलास दान चारण से जब मैंने पूछा तो बताने लगे घाघ राजस्थान के थे जो संस्कृत और ज्योतिष के प्रकांड विद्वान थे, कृषि के संबंध में उनके सूत्र किसानों को याद रहते हैं। केलास दान चारण ने बताया कि इनका बचपन का नाम डंक था, इनका किसी दलित युवती से प्रेम होने पर ब्राह्मण समाज ने उनका बहिष्कार कर दिया और वे मालवा चले गए। एक अन्य कवि भी लगभग उसी काल के हैं उनका नाम भड्डरी है। ये जबरदस्त ज्योतिषी और कृषि वैज्ञानिक थे।

ये पंक्तियां उन्ही की हैं
उत्तम खेती माध्यम बान, निश्चित चाकरी भीख निदान
जो हल जोते खेती वाकी, और नही तो जाकी ताकी।।

घाघ की कलाकारी देखिए
आवत आदर ना दियो जात न दीनो हस्त
ई दोनों पछतात है पहना और गृहस्त।।
आते हुए आर्द्रा नक्षत्र में और जाते हुए हस्त नक्षत्र में यदि बादलों ने बारिश न दी, तो वही हाल होता है जैसा अतिथि के आने पर उचित सम्मान न दिया जाय तो जाता मेहमान हाथ मे कुछ भी देकर नही जाता।

जे दिन जेठ बहे पुरवाई ते दिन सावन धूरी उड़ाई।
जेष्ठ माह में जितने दिन पूरब हवा चलती है, सावन में उतने ही दिन सूखा पड़ता है।

“यदि आपको भी हिंदी शब्दों की व्याख्या व शब्दार्थ की जानकारी चाहिए तो अपना प्रश्न ‘शब्द सन्दर्भ’ में पूछ सकते है।”

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