रिवरिन पारिस्थितिकी तंत्र और शहरी योजना के पुनर्स्थापना पर राष्ट्रीय वेबिनार में बोले केंद्रीय जलशक्ति मंत्री

नई दिल्ली, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जल के विवेकपूर्ण इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि बरसात से आने वाली प्रत्येक बूंद का सही तरीके से प्रबंधन, संचय और संचित जल को संरक्षित करें। जहां कहीं भी पानी है, उसे प्रदूषित होने से बचाएं।

पानी को प्रदूषित होने

शनिवार को क्यूब्स और राष्ट्रीय शहरी मामलों के संस्थान द्वारा आयोजित रिवरिन पारिस्थितिकी तंत्र और शहरी योजना के पुनर्स्थापना पर राष्ट्रीय वेबिनार में शेखावत ने कहा कि हमें स्वीकार करना होगा कि सतह, नदियों और भूगर्भ का पानी, ये सब आपसे में जुड़े हुए हैं। इसलिए हमें समग्र दृष्टिकोण के साथ काम करना होगा। जरूरत इस बात की है कि हम नदियों के पानी की गति को कम करते हुए भूजल को रिचार्ज करें और संरक्षित जल का विवेकपूर्ण इस्तेमाल करें। उपयोग किए गए पानी को रिसाइकिल करके पुनः उपयोग करें।

पानी को प्रदूषित होने

उन्होंने कहा कि होना यह चाहिए कि नदियों में साफ पानी बहे और प्रदूषित पानी का रिसाइकिल करके हम उसे कृषि और उद्योगों में इस्तेमाल करें। आज कृषि और उद्योग में कुल पानी का 94 प्रतिशत इस्तेमाल हो रहा है। यदि हम इस रिसाइकिल पानी का यहां इस्तेमाल करें तो इतने साफ पानी को नदियों के ईको सिस्टम को बनाए रखने के लिए छोड़ सकते हैं।

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शेखावत ने कहा कि भारत में 80-85 प्रतिशत पानी केवल बरसात के समय में मिलता है। यह पानी भी 15-20 दिनों में आ जाता है। हमारी नदियों में सदा पानी बना रहे, इसके लिए हम भूगर्भ के जल की भी चिंता करें, क्योंकि आज हम अपनी आवश्यकता का 65 प्रतिशत पानी जमीन से निकाल रहे हैं। शेखावत ने वेबीनार से जुड़े युवाओं से नमामि गंगे, नदियों के ईको सिस्टम समेत जल से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की।

आमजन की भागीदार से ही सफलता मुमकिन

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम केवल 10 प्रतिशत सीवरेज को ट्रीट कर पा रहे हैं। इस गति को बढ़ाने की आवश्यकता है। सरकारों को भी काम करने की जरूरत है, लेकिन आमजन को भागीदार बनाने की चुनौती सबसे बड़ी है। जब तक आमजन इस विषय को स्वीकार नहीं करेगा और इसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेगा, तब तक हम इन विषयों में सफलता शायद प्राप्त नही कर पाएंगे।

मेरी जिम्मेदारी थोड़ा और बढ़ गई है

शेखावत ने कहा कि पिछले वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार जल के विषय पर बात की है। 2019 के बाद तो वो प्रत्येक मन की बात कार्यक्रम में और जहां कहीं अवसर मिला है, उन्होंने पानी की बात की है। जितनी बार वो जल को लेकर बात करते हैं, मुझे लगता है कि मेरी जिम्मेदारी थोड़ा और बढ़ गई है। प्रधानमंत्री की चर्चाओं के कारण समाज में नई चेतना व्याप्त हुई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यही कारण है कि आने वाली पीढ़ी में पानी को लेकर जिम्मेदारी का भाव आने लगा है।

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