Rajasthan Sangeet Natak Akademi

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  • राजस्थान संगीत नाटक अकादमी का शास्त्रीय नृत्य समारोह ‘नृत्यम’ का समापन
  • 75 वर्षीय डॉ.शशि लेक्चर के दौरान खुद को नृत्य करने से रोक नहीं पाई
  • नृत्यम में हुई कवि जयदेव के गीत गोविंदम की अष्टपदी पर आधारित प्रायोगिक प्रस्तुति
  • महाकवि कालिदास और कवि जयदेव की रचनाओं से हुआ मंच साकार

Rajasthan Sangeet Natak Akademi : जोधपुर,कथक नृत्य के साथ सदैव नवाचार एवं प्रयोग करने की पक्षधर नृत्यांगना और गुरु मंजरी किरण एवं उनकी शिष्याओं ने महाकवि कालिदास की अप्रतिम रचना मेघदूत पर आधारित प्रस्तुति के साथ ‘नृत्यम’ समारोह के तीसरे दिन की शुरुआत की। प्रस्तुत नृत्य प्रदर्शन मेघदूतम की संगीत रचना पद्म विभूषण प.विश्व मोहन भट्ट द्वारा की गई है। भाषा, भाव प्रवणता,रस,छंद और चरित्र चित्रण सभी दृष्टि से मेघदूत एक अनुपम खंडकाव्य है। समीक्षकों ने इसे विश्व साहित्य में श्रेष्ठ काव्य के रूप में अंकित किया,तो सहृदय रसिकों ने सदैव मुक्त कंठ से इसकी सराहना की।

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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त किरण महाजनी भारत में वर्तमान पीढ़ी के प्रमुख कथक कलाकारों में से एक उत्कृष्ट कलाकार,शिक्षिका एवं रचनात्मक कोरियोग्राफर हैं। वे देश विदेश में शानदार प्रस्तुतियां दे चुकी हैं तथा कथक नृत्य के साथ सदैव नवाचार एवं प्रयोग करने की पक्षधर मंजरी महाजनी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वरिष्ठ फैलोशिप से सम्मानित हैं। उनके नृत्य में जयपुर शैली की तीव्रता एवं लखनऊ शैली के अभिनय तत्व की सूक्ष्मता परिलक्षित होती है।(Rajasthan Sangeet Natak Akademi)

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मेघदूतम के बाद वरिष्ठ नृत्यांगना एवं नृत्य गुरु डॉ शशि सांखला के निर्देशन में उनकी शिष्याओं द्वारा जयति केशवम को मंच पर साकार किया। डॉ शशि सांखला द्वारा राजस्थानी मांड को लेकर कथक नृत्य में किए गए प्रयोगों को अत्यंत सराहा गया। ये जयपुर कथक केंद्र में नृत्य गुरु एवं प्रिंसिपल के रूप में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। ‘कथा कह सो कथक कहावे’ कथक नृत्य के लिए प्रयुक्त उपरोक्त कथन को प्रदर्शित करती संरचना जयति केशवम कवि जयदेव के गीतगोविंदम की अष्टपदी पर आधारित एक प्रायोगिक प्रस्तुति है,जो धर्म की स्थापना के लिए अवतारों के माध्यम से भगवान की विशेष अभिव्यक्ति की महिमा करती है।(Rajasthan Sangeet Natak Akademi)

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भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली कथक के माध्यम से चित्रित इस नृत्य सरंचना पर कथक गुरु डॉ.शशि सांखला द्वारा कार्य परिकल्पित और निर्देशित किया गया है। इस संरचना में कथक की 7 प्रमुख तालों(तीन ताल,धमार,चौताल, झप्ताल,अद्धा,रूपक एवं दादरा) के एक सुंदर मिश्रण को लयबद्ध रूप से प्रस्तुत कर मंत्रमुग्ध कर दिया।

समारोह के आरंभ में अकादमी अध्यक्ष बिनाका जेश मालू ने मुख्य अतिथि राज्य मंत्री संगीता बेनिवाल का गुलदस्ते से स्वागत किया और अमृत महोत्सव के चलते देश विदेश में जोधपुर का गौरव बढ़ाने वाली, जोधपुर में जन्मी 75 वर्षीय डॉ. शशि सांखला का शॉल ओढ़ा कर अभिनंदन किया। अपनी ही जन्म भूमि पर सम्मान पाकर वे भावुक हो गयीं और समारोह के दोरान लेक्चर कम डेमोस्ट्रेशन देते हुए स्वयं मंच पर नृत्य करने लगी और भरपूर तालियां बटोरी। समारोह में शब्बीर हुसैन,मदन बोराणा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे,संचालन शैला महेश्वरी ने किया।(Rajasthan Sangeet Natak Akademi)

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