अवैध मैरिज पैलेस को विवाह से पूर्व नगर निगम ने किया सील

  • जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग
  • विवाह-आयोजकों को दी राहत
  • अवैध मैरिज पैलेस को विवाह से पूर्व नगर निगम ने किया सीलसं
  • चालक पर एक लाख रुपए हर्जाना

जोधपुर, जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय ने मैरिज पैलेस व होटल संचालकों के विरुद्ध प्रस्तुत परिवाद के चार मामलों का निस्तारण करते हुए उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की है। एक मामले में बिना अनुमति चला रहे मैरिज पैलेस की बुकिंग करने व विवाह के एक माह पूर्व  यह सील हो जाने से परिवादी को क्षतिपूर्ति के रुप में एक लाख रुपए दिलवाने का आदेश दिया है। 3 अन्य मामलों में भी विवाह आयोजकों को बुकिंग राशि व हर्जाना दिलाकर राहत प्रदान की है।

मामले के अनुसार धानमंडी महामंदिर निवासी प्रेमचंद शर्मा ने आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उसने अपने पुत्र के 22 नवंबर 2017 के विवाह समारोह के लिए मंडावत रोड नयापुरा स्थित (सांखला) गार्डन को बुक करवाया था किन्तु  इसका अवैध संचालन किए जाने के कारण शादी से एक माह पूर्व नगर निगम द्वारा इसे सीज कर लिया गया। गार्डन संचालक द्वारा लाइसेंस होने का उसे झूठा कथन कर बुकिंग की गई। ऐन समय पर उसे अन्य इच्छित व सुविधा जनक स्थान उपलब्ध नहीं हो सका। उसके द्वारा शादी के कार्ड में व अन्य सामान की बुकिंग में भी इसी स्थान का उल्लेख किए जाने से भारी परेशानी व नुकसान का सामना करना पड़ा है।

आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी ने गार्डन संचालक की सेवा में घोर त्रुटि मानते हुए परिवादी को शारीरिक व मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के निमित्त गार्डन संचालक द्वारा एक लाख रुपए की राशि अदा करने का आदेश दिया है।

मैरिज पैलेस के लिए अनुमति जरूरी

इसी प्रकार शेखर जैन द्वारा आयोग में परिवाद प्रस्तुत कर बताया गया कि अपने पुत्र के 24 नवंबर 13 के विवाह समारोह के लिए उसने चौपासनी रोड स्थित (फनवर्ल्ड) रिसोर्ट को बुक करवाया किंतु विवाह से पांच माह पूर्व नगर निगम द्वारा इस रिसोर्ट का बिना लाइसेंस संचालन करने से सीज करने की चेतावनी अखबार में प्रकाशित करवाने पर उसने किसी प्रकार की अनहोनी की आशंका  से उक्त बुकिंग को रद्द करवा दिया किन्तु रिसोर्ट संचालक द्वारा एडवांस बुकिंग राशि एक लाख रुपए वापस लौटाने से इन्कार कर दिया। विपक्षी द्वारा जवाब प्रस्तुत कर बताया कि उसके पास शॉप एक्ट के तहत लाइसेंस प्राप्त है तथा नगर निगम द्वारा गलत सूचना प्रकाशित की गई है।

आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि मैरिज पैलेस संचालन हेतु नगर निगम जोधपुर द्वारा 19 दिसंबर 2008  को राजस्थान राजपत्र में प्रकाशित विवाह स्थल उपविधियां 2008 के अन्तर्गत रजिस्ट्रेशन करवाया जाना अनिवार्य है।

इस प्रकार रिसोर्ट संचालक को अवैध संचालन का दोषी मानते हुए बुकिंग राशि एक लाख रुपए मय 9 प्रतिशत ब्याज लौटाने के साथ पच्चीस हजार रुपए हर्जाना अदा करने का आदेश दिया है।

लॉकडाउन अवधि की राशि वापस दिलवाई

इसी प्रकार चेतन चौधरी द्वारा परिवाद प्रस्तुत कर बताया गया कि पुत्र के विवाह 28 जून,20 के लिये आखलिया चौराहा स्थित होटल पवित्रास को बुक कर 2 लाख रुपए एडवांस राशि दी गई थी। बाद में कोरोना के कारण लॉकडाउन लगने से विवाह स्थगित कर दिया किंतु होटल मालिक द्वारा बुकिंग राशि वापस नहीं दी जा रही है।

दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि राजस्थान सरकार गृह विभाग के आदेश 6 मई 21 द्वारा लॉकडाउन की अवधि में होटल व मैरिज पैलेस संचालकों को बुकिंग राशि वापस लौटने के आदेश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त परिवादी को कोई सेवा दिए बिना यह राशि वसूल करने का विपक्षी को कोई अधिकार नहीं है। आयोग ने परिवादी से प्राप्त बुकिंग राशि दो लाख रुपए मय 9 प्रतिशत ब्याज लौटाने का होटल मालिक को आदेश दिया है।

सेवा बिना प्रतिफल राशि का हक नहीं

एक अन्य मामले में रामेश्वर लाल राठौड़ द्वारा चौपासनी रोड स्थित होटल गुल में 18 फरवरी 2018 को पुत्री के विवाह हेतु कमरे व विवाह- स्थल बुक करवाया था किंतु किसी कारण वश विवाह स्थगित होने से बुकिंग निरस्त करवाने के बावजूद एडवांस राशि नहीं लौटाई गई। होटल ने अन्य कोई बुकिंग मिलने पर ही राशि लौटाने के लिए कहा गया। किंतु बुकिंग तिथि को होटल में कमरे खाली रहने बाबत कोई प्रमाण पेश नहीं किया गया। आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि उपभोक्ता को कोई सेवा प्रदान किए बिना होटल-प्रबंधन को कोई राशि रखने का अधिकार नहीं है। जिसके कारण परिवादी से प्राप्त बुकिंग राशि 50 हजार रुपए  मय 9 प्रतिशत ब्याज लौटाने का आदेश दिया।

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