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बजट 2023 में पत्रकारों के लिए अलग से नीति बनाने का सुझाव

बजट 2023 में पत्रकारों के लिए अलग से नीति बनाने का सुझाव

  •  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजा सुझाव
  • जनसंपर्क मंत्री अशोक चांदना को दिया ज्ञापन

जोधपुर,राज्य स्तरीय पत्रकार समस्या समाधान समिति सदस्य राजीव गौड़ ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बजट सुझाव भेजते हुए बजट 2023 में पत्रकारों के विकास के लिए अलग से पत्रकार नीति बनाने का आग्रह किया है। जोधपुर प्रवास पर सूचना जनसंपर्क मंत्री अशोक चांदना को भी ज्ञापन देकर इस बार के बजट में प्रदेश के पत्रकारों के हितों के निर्णय को शामिल करने हेतु सुझाव दिया है।

उन्होने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि शुरू से ही आपके द्वारा प्रदेश के पत्रकारों के हितों को ध्यान में रखकर भूखंडों से लेकर प्रेस भवन और पत्रकारों की पेंशन से लेकर बीमा योजना जैसे मामलों को गंभीरता से दिए जाने के साथ उन निर्णय को लागू भी किया गया है,कोरोना काल में मृत्यु के शिकार हुए पत्रकारों को 50- 50 लाख रुपए तक की सहायता भी की गई है। चूंकि पत्रकार हमेशा विकट परिस्थितियों में अपना दायित्व निभाते हैं लिहाजा इस बार के बजट में राजस्थान प्रदेश के तमाम पत्रकारों के हितों को ध्यान में रखकर एक विशेष नीति बनाकर,उसकी घोषणा किए जाने के साथ पूरे प्रदेश के प्रत्येक जिले में पत्रकारों के विकास की समान योजना लागू करने हेतु दिए गए सुझावों को अमल में लाने का आग्रह किया है।

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सुझाव में कहा गया है कि,प्रत्येक संभाग मुख्यालय और जिला मुख्यालय में पत्रकारों की कॉलोनी बनाए जाने की घोषणा करने के साथ पत्रकारों के भूखंड का प्रावधान समान रूप से किया जाए। पत्रकारों की प्रत्येक कॉलोनी में एक सामुदायिक भवन की व्यवस्था आवश्यक रूप से की जाए जिससे पत्रकारों के परिवार में होने वाले विवाह जैसे आयोजन करने में आसानी रहे क्योंकि पत्रकारों का वेतन बहुत अधिक नही होता है और ऐसे में यह घोषणा सभी पत्रकारों को संबल देने का काम करेगी।

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सुझाव में यह भी बताया गया कि, राजधानी जयपुर को छोड़कर प्रदेश के 32 जिलों में पत्रकारों के किसी एक स्थान पर बैठने के लिए कोई भवन नहीं है ऐसे में प्रत्येक जिला मुख्यालय पर पत्रकारों के लिए प्रेस भवन के प्रावधान की घोषणा इस बजट में की जा सकती है। प्रेस भवन में चाहे तो सरकार सूचना और तकनीकी के आधार पर इंटरनेट के साथ अन्य सुविधाओं को समाहित कर सकती है और या फिर प्रत्येक जिला मुख्यालय पर पत्रकारों की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी या पत्रकारों के संस्थान उस प्रेस भवन की सार संभाल करने के अलावा उसका दायित्व अपने हाथों में रख सकते हैं।

पत्रकारों के अधिस्वीकरण की सुविधा को लेकर पत्रकारों को राजधानी जयपुर तक अपना काम छोड़कर बार-बार आना पड़ता है लिहाजा प्रत्येक 3 महीने में एक बार संभाग मुख्यालय पर विशेष शिविर लगाकर अधिस्वीकरण संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अवगत कराया गया कि,उनके नेतृत्व में बनी 2008-2013 की सरकार के कार्यकाल के अंतिम बजट के दौरान अधिस्वीकृत पत्रकारों को लैपटॉप देने की महत्वपूर्ण घोषणा की गई थी और इससे कई पत्रकार लाभान्वित हुए थे। 2013 से 2023 के बीच कई नए पत्रकार अधिस्वीकृत हुए हैं। इस बार के बजट घोषणा में इन पत्रकारों को भी लैपटॉप या टेबलेट देने की घोषणा की जाए,ताकि इससे वंचित पत्रकारों को भी इसका लाभ मिल सके और एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा। सुझाव में कहा गया कि, वर्तमान में अधिस्वीकृत पत्रकारों को पहले एक मेडिकल पॉलिसी दी जाती थी लेकिन अब उन्हें मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना से जोड़ा जा रहा है, इससे आउटडोर सुविधा उन्हें नहीं मिलती है।

अधिस्वीकृत पत्रकारों को राजकीय सेवा में कार्यरत कर्मचारियों की तरह आरजीएचएस योजना से जोड़ा जाए तो यह काफी महत्वपूर्ण घोषणा होगी। आपकी ओर से पत्रकारों के जीवन संघर्ष को देखते हुए 60 वर्ष और इससे अधिक उम्र के पत्रकारों के लिए पत्रकार पेंशन योजना लागू की गई है जो काफी स्वागत योग्य कदम है। यह पत्रकार पेंशन योजना फैमिली पेंशन योजना की तरह लागू की जाए,जिसमें यदि पेंशन धारी पत्रकार की आकस्मिक मृत्यु हो तो उसके पत्नी या उस पर आश्रित उनके बच्चों को व्यस्क होने तक दी जाए, जिससे पत्रकार परिवार को विपरीत परिस्थितियों में आर्थिक संबल मिलेगा।

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