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विधिक चेतना एवं जागरुकता से आमजन को सुलभ एवं त्वरित न्याय मिले-राज्यपाल

जोधपुर,राज्यपाल कलराज मिश्र ने न्यायपालिका को आम आदमी के और अधिक निकट लाते हुए आम आदमी को त्वरित और किफायती न्याय दिलाने की प्रक्रिया को और अधिक सुगम बनाने के लिए गंभीरतापूर्वक विचार करने का आह्वान किया है और कहा है कि इसके लिए विधिक चेतना और न्यायिक जागरुकता के लिए भी वृहद स्तर पर प्रयास किए जाने की जरूरत है।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने यह उद्गार शनिवार को जोधपुर में राष्ट्र्रीय न्यायिक अकादमी द्वारा कंटेपररी जूडिशियल डवलपमेंट एण्ड स्ट्रेन्थनिंग जस्टिस फॉर लॉ एण्ड टेक्नॉलॉजी पर राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी ऑडिटोरियम में आयोजित पश्चिम क्षेत्र के पहले दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। इसमें राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल,राष्ट्र्रीय न्यायिक अकादमी के निदेशक एपी साही सहित राजस्थान,महाराष्ट्र्र, मध्यप्रदेश एवं गुजरात के हाईकोर्ट न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।

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उन्होंने न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए  कहा कि वे न्याय व्यवस्था ही नहीं बल्कि संविधान से जुड़े काूननों के भी मुख्य प्रहरी हैं। इस दृष्टि से राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी द्वारा न्यायिक शिक्षा,अनुसंधान और इससे जुड़े नीतिगत विकास के जरिए देश में न्याय प्रशासन को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से हो रहे कार्य अहम हैं। उन्होंने विशेष अपेक्षा व्यक्त करते हुए देश में न्याय व विधि व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण़ के साथ ही आम जन के लिए न्याय  को त्वरित और अधिक सुगम तथा प्रभावी बनाने के लिए बेहतर प्रयासों का आह्वान किया।

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लंबित मुकदमों का हल खोजने पर जोर

राज्यपाल मिश्र ने लंबित मुकदमों के बढ़ते बोझ का समाधान खोजने के लिए आधुनिक तकनीकी उपकरणों और आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने,न्याय तंत्र को व्यापक स्तर पर सुदृढ़ करने,शीर्ष अदालत में मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए भी सुव्यवस्थित प्रणाली विकसित किए जाने,देश में आबादी का विस्तार के मद्देनजऱ न्याय व्यवस्था के समक्ष बढ़ रही चुनौतियों से निपटने प्रभावी कार्य करने पर जोर दिया।

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लंबित वाद आज भी बहुत बड़ी समस्या

राज्यपाल कलराज मिश्र ने सभी उपस्थित न्यायाधीशों की तहेदिल से सराहना की और कहा कि वे पारदर्शिता की पालना के लिए घर-परिवार,रिश्ते-नातों से दूर रहते हुए अपना-अपना कार्य करते हैं। राज्यपाल ने कहा कि न्यायालयों में लम्बित वाद आज भी एक बहुत बड़ी समस्या है। अभी भी देश की अदालतों में लाखों वाद लम्बित हैं। न्याय में विलम्ब की इस समस्या को दूर करने के लिए बेहतर व्यवस्था कायम करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था बने जिससे छोटे-मोटे निर्णयों के त्वरित निदान की व्यवस्था से आम जन लाभान्वित हो,इस पर भी अकादमी को कार्य करने की आवश्यकता है। शोध-अनुसंधान और नीतिपरक कार्य करते हुए इस सबंध में किसी तरह की पहल होती है तो इसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

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मंथन से भविष्य की नई राहें खुलेंगी

उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन में न्याय व्यवस्था से जुड़े व्यापक विषयों पर विशद चिन्तन-मनन एवं मंथन होगा और भविष्य की नई राहें खुलेंगी। इसके लिए हम सभी को मिलकर भारतीय संविधान की प्रतिष्ठा, उसकी मर्यादा के आलोक में राष्ट्र के सर्वांगीण न्यायिक विकास के लिए मिलजुल कर कार्य करने का संकल्प लेना होगा।

हर स्तर पर हों सार्थक प्रयास

राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र्र है, स्वाभाविक ही है कि यहां न्याय व्यवस्था पर ही सबकी सदा नजरें टिकी रहती है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि देश में न्याय व्यवस्था को प्रभावी करने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास हों। उन्होंने कहा कि संवैधानिक मूल्यों के तहत न्याय प्रशासन, प्रबंधन के साथ न्याय व्यवस्था से जुड़ी नीतियों के आलोक में कार्य कर रही इस अकादमी पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन में सम सामयिक न्यायिक व्यवस्था से जुड़ी चुनौतियोंं और संभावनाओं पर गहन वैचारिक मंथन होगा, जो आने वाले समय में बहुत कारगर साबित होगा।

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राजभवन में संविधान पार्क जल्द ही लेगा मूर्त रूप

राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संविधान से नई पीढ़ी और आमजन को जोडऩे के उद्देश्य को लेकर उन्होंने प्रदेश के विश्वविद्यालयोंं में संविधान पार्क स्थापित करने की पहल की है। राजभवन में भी संविधान को दिल्ली से जोडऩे की दृष्टि से संविधान पार्क की स्थापना इसीलिए की जा रही है कि जो भी व्यक्ति राजस्थान आए, वह संविधान की हमारी महान परम्परा की विकास यात्रा से रू-ब-रू हो सके। उन्होंने जल्द पूर्ण होने जा रहे राजभवन के संविधान पार्क के मूर्त रूप पा लेने के बाद इसके अवलोकन का आग्रह सभी से किया और कहा कि यह पार्क हमारी संवैधानिक संस्कृति से साक्षात कराएगा। आगामी 26 नवम्बर को संविधान दिवस पर इसका लोकार्पण प्रस्तावित है।

न्यायपालिका अपने आप में पारदर्शी

उन्होंने देश के न्यायालयों में न्याय करने वाले न्यायाधीशों को संविधान प्रदत्त मानवीय अधिकारों के प्रहरी और एक तरह से न्यासी की संज्ञा देते हुए कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था में किसी को सुनवाई का अवसर दिए बिना उसके विरूद्ध निर्णय नहीं किया जा सकता। न्यायपालिका अपने आप में इतनी पारदर्शी है कि कोई भी निर्णय करती है तो उसके सभी पक्षों पर गहराई से विमर्श कर, न्याय के सभी सिद्धान्तों को लागू करते हुए अपना कार्य करती है। इसीलिए न्यायपालिका में आम जन का आज भी विश्वास कायम है।

राज्यपाल ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रमुख आधार संवेदनशील न्याय व्यवस्था ही होती है। इसी से लोकतंत्र निंरतर मजबूत भी होता है। संविधान की भावना के अनुरूप समानता के अंतर्गत न्याय व्यवस्था को अधिकाधिक पारदर्शी रखने के लिए गहराई से कार्य करने की जरूरत है।

न्यायिक निर्णयों की आम जन तक क्षेत्रीय भाषाओं सहज पहुंच हो

उन्होंने कहा कि इस अकादमी से अपेक्षा है कि वह ऐसे तंत्र का विकास करे जिससे नागरिकों के लिए कानून की भाषा किसी स्तर पर बाधा नहीं बने। न्यायिक निर्णयों को क्षेत्रीय भाषाओं में भी कैसे आम जन तक पहुंचाया जाए, इसके लिए कार्य किया जाए। न्यायालय निर्णय भी अंग्रेजी के साथ दूसरी भाषाओं में दिए जाने पर कार्य होता है तो इसके बहुत दूरगामी परिणाम आम जन के लिए आंएगे। आज भी हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा न्याय देने वाली प्रणाली से जुड़ नहीं पाया है। उसे पता ही नही है कि वह अपने अधिकारों,शोषण के खिलाफ कैसे लड़ सकता है और कैसे जरूरत पडऩे पर न्याय प्रणाली से उसका संपर्क हो सकता है।

अकादमी के बारे में दी जानकारी

राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी,भोपाल के निदेशक न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही ने अपने परिचयात्मक उद्बोधन में राज्यपाल सहित तमाम अतिथियों का स्वागत किया और अकादमी के उद्देश्यों,अब तक के उल्लेखनीय सफर तथा गतिविधियों पर जानकारी दी।

सम्मेलन से नए आयाम स्थापित होंगे

राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज मित्थल ने अपने उद्बोधन में कहा कि न्यायिक व्यवस्था में नवीनतम एवं अत्याधुनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल अधिक प्रभावी रहा है। ख़ासकर कोरोना काल के दौरान इसका बेहतर प्रयोग कर न्यायिक गतिविधियों को नियमित रूप से जारी रखते हुए न्यायिक कार्यकलापों का संपादन किया गया।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मेलन कई मायनों में उल्लेखनीय उपलब्धियों के साथ नए आयाम स्थापित करने वाला होगा और इससे देश की न्याय प्रणाली और अधिक सुदृढ़ तथा व्यापक स्वरूप प्राप्त करेगी।

सम्मेलन में राजस्थान उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश तथा लॉ कमीशन के पूर्व चैयरमेन न्यायमूर्ति डॉ.बीएस चौहान ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सोसायटी के बहुविध कल्याण के साथ ही देश में समाज-जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में न्याय क्षेत्र की सराहनीय भूमिका रही है। इसे और अधिक प्रभावी स्वरूप दिए जाने की आवश्यकता है।

न्यायमूर्ति विजय विश्नोई ने राज्यपाल को स्मृति चिह्न भेंट किया। इसी प्रकार न्यायमूर्ति अरुण भंसाली,न्यायमूर्ति पीएस भाटी,न्यायमूर्ति विनीत कुमार एवं न्यायमूर्ति अशोक कुमार गौड़ ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किए। अंत में राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी के प्रभारी न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

दो दिवसीय सम्मलेन में विभिन्न विषयों पर होगी चर्चा

रीजनल कांफ्रेंस ऑन कंटेपररी जूडिशियल डवलपमेंट एण्ड स्ट्रेन्थनिंग जस्टिस फोर लॉ एण्ड टेक्नॉलॉजी पर पश्चिम क्षेत्र के पहले दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन में शनिवार को पहले दिन न्यायमूर्ति डॉ. बीएस चौहान न्यायाधीश (सेनि) उच्तम न्यायालय एवं शेखर नफाड़े द्वारा कंटेम्प्ररी ट्रेंड्स इन कोंस्टीटूशनल लॉरू रीसेंट जुडिशल डेवलपमेंट तथा प्रेसेंडेंशियल वैल्यू ऑफ़ हाई कोर्ट जजमेंट्स पर उद्बोधन दिया जायेगा। इसी प्रकार ‘डेवलपमेंट्स इन क्रिमिनल लॉ-इश्यूज एंड चौलेंजेज’ विषय पर न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन एवं न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन द्वारा चर्चा की जाएगी।

रविवार को इन विषयों पर मंथन

सम्मलेन के दूसरे दिन रविवार, 30 अक्टूबर को न्यायमूर्ति आरसी चवण एवं न्यायमूर्ति ऐ.मुहम्मद मुस्ताक द्वारा ‘ओवरव्यू ऑफ़ इ-कोर्ट्स प्रोजेक्ट्स’ पर जानकारी दी जाएगी। इसी प्रकार ‘इमर्जिंग एंड फ्यूचर टेक्नोलॉजी फॉर इफेक्टिव जुडिशियल गवर्नेंस’ विषय पर न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज एवं न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन वी. उद्बोधन देंगे। वेलेडिक्टरी सेशन में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी द्वारा लिया जायेगा।

मिश्र जयपुर के लिए रवाना

मिश्र ने दो दिवसीय जोधपुर दौरा पूर्ण कर शनिवार को जयपुर के लिए प्रस्थान किया। राज्यपाल को रवानगी से पूर्व जोधपुर सर्किट हाउस में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके पश्चात मिश्र जोधपुर एयरपोर्ट के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने राज्य विमान द्वारा जयपुर के लिए प्रस्थान किया।

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