एमडीएमएच में हुई पश्चिमी राजस्थान की पहली एट्रियोवेंट्रिकुलर कैनाल डिफेक्ट की दुर्लभ सर्जरी

जोधपुर,एमडीएमएच में हुई पश्चिमी राजस्थान की पहली एट्रियोवेंट्रिकुलर कैनाल डिफेक्ट की दुर्लभ सर्जरी। डॉ.एसएन  मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध माथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक विभाग में हुई पश्चिमी राजस्थान की पहली हृदय के जन्मजात रोग एट्रियोवेंट्रिकुलर कैनाल डिफेक्ट की दुर्लभ सर्जरी। डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल एवं कंट्रोलर डॉ दिलीप कछवाहा तथा एमडीएम हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने सीटीवीएस टीम को बधाई दी। कॉलेज प्रवक्ता डॉ जयराम रावतानी ने बताया कि यह ऑपरेशन मुख्य मंत्री चिरंजीवी चिकित्सा योजना के अंतर्गत निःशुल्क किया गया। सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डॉ सुभाष बलारा ने बताया कि जैतारण निवासी 12 वर्षीय बच्चा जन्म के उपरांत दम फूलने की तथा अनायास नीले पड़ने की तकलीफ से जूझ रहा था और यह बीमारी गत 2 वर्षों में बढ़ गई थी,जिसके लिए उसने अपने क्षेत्र में इलाज लिया परंतु लाभ न मिलने की स्थिति में वह जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के उत्कर्ष सीटीवीएस वार्ड में भर्ती हुआ। जहां जांचो तथा इकोकार्डियोग्राफी में बच्चे के हृदय में जन्मजात रोग कंप्लीट एट्रियोवेंट्रिकुलर कैनाल डिफेक्ट के साथ टौफ की पुष्टि हुई।

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सभी जांच के बाद सर्जरी द्वारा हॉट को रिकंस्ट्रक्शन करने का निर्णय लिया गया। इस ऑपरेशन को बाईपास मशीन पर किया गया। इस ऑपरेशन में डॉ सुभाष बलारा, सहायक आचार्य डॉ अभिनव सिंह, सहायक आचार्य डॉ देवाराम,निश्चेतन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ राकेश करनावत,सहआचार्य डॉ शिखा सोनी, सहायक आचार्य डॉ गायत्री,सीनियर परफ्यूशनिस्ट माधव सिंह तथा योगिता और मनोज शामिल थे।

आईसीयू के डॉ प्रियव्रत,डॉ करण,डॉ रामनिवास ओटी इंचार्ज दिनेश गोस्वामी ओटी स्टाफ रेखाराम,नीलम,शक्ति, सीटी आईसीयू स्टाफ अलका, सीमा,राहुल, सीटीवार्ड स्टाफ तपस्या, मेहताब और सरिता ने इलाज में अहम भूमिका निभाई। ऑपरेशन के पश्चात बच्चे को सिटी आईसीयू में रखा गया जहां मेडिकल पैरामीटर के नॉर्मल होने पर मरीज को वेंटिलेटर से हटाया गया और वह अब पूर्णता स्वस्थ है।

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सहायक आचार्य डॉ अभिनव सिंह ने बताया कि कंप्लीट एट्रियोवेंट्रिकुलर कैनाल डिफेक्ट (एंडोकार्डियल क्वेश्चन डिफेक्ट) दुर्लभ कंजनाईटन बीमारी है,इस बीमारी में हृदय के चारों चैंबर्स डिवेलप नहीं होते,हार्ट के अंदर दाहिने और बाएं हिस्से को विभाजित करने वाली दीवार,एट्रीयम और वेंट्रिकुलर लेवल पर एब्सेंट होती हैं तथा दाहिने तरफ का ट्राईकस्टर्ड और बाएं तरफ का माईट्रल वैलव नहीं बना होता,जिसके कारण पूरा ह्रदय एक बडे चेंबर जैसा काम करता है। इनका इंसिडेंस नॉर्मल पॉपुलेशन में ही 0.20 पर 1000 लाइव बर्थ होता है। इस बीमारी में बच्चे सांस फूलने से लेकर हार्ट फैलियर तक की प्रेजेंटेशन में आते हैं,इस बीमारी को रेस्टली क्लासिफिकेशन के आधार पर मुख्यता 4 भागों में में बांटा गया है। यह बीमारी अमूमन हार्ट की अन्य जन्मजात रोगों और क्रोमोसोमल एब्नार्मेलिटीज के साथ एसोसिएटेड होती है जैसे कि टौफ,डाउन सिंड्रोम और महा धमनियों की बीमारी। इस केस में डबल पैच टेक्निक से हार्ट के चैंबर्स की दीवारों तथा वैलवो का रिकंस्ट्रक्टशन किया गया। इस प्रक्रिया में हार्ट की झिल्ली पेरिकार्डियम को इस्तेमाल किया गया। हृदय के दाहिने हिस्से के आउटफ्लो ट्रैक में रुकावट पैदा कर रहे मस्कुलर बैंड को भी काटा गया तथा फेफड़ों की तरफ जाने वाली धमनियों को पेरिकार्डियम द्वारा अगुमेंट किया गया‌।यह थ्रीडाइमेंशनल रिपेयर होता है जिसमे ह्रदय की नवनिर्मित दीवारों तथा वैलवो का परिमाप हार्ट के चैंबर्स के आयाम के आधार पर होना चाहिए क्योंकि इनमें सिकुड़न जानलेवा हो सकती है। बच्चा अब ऑपरेशन के बाद पूर्णतः स्वस्थ है और उसका इलाज सीटीवीएस वार्ड में हो रहा है। ऑपरेशन के पश्चात की सभी जांचें,ब्लड पैरामीटर्स इकोकार्डियोग्राफी भी नॉर्मल है।

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