तपस्वी का वेश धर कर राम वन को चले…..
भाग्यशाली होते हैं वे पुत्र जो अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करते हैं-संत मुरलीधर
जोधपुर,केलावा स्थित रघुवंशपुरम आश्रम और केशवप्रिया गौशाला में चल रही श्रीराम कथा में मानस वक्ता संत मुरलीधर कथा वाचन करते हुए कहा कि राजा जनक ने राम के साथ माता सीता को विदा किया। पूरे जनकपुर के नर नारी इकट्ठे होकर बड़े ही दुखी मन से सीता को विदाई दी।सीता की विदाई का मार्मिक वर्णन कहते हुए मुरलीधर कहा कि सीताजी की विदाई से जनकपुर में बहुत ही गमगीन माहौल हो गया । राजा जनक महाराज दशरथ को हाथी,घोड़ा, रत्न, जवाहरात आदि वस्तुए प्रदान करते हैं जिस पर राजा दशरथ ने जनक से कहा आप ने सीता जैसे कन्या प्रदान की है। कन्यादान से बड़ा कोई दान नही होता।
इसके पश्चात अयोध्या पहुँचने पर श्रीराम,लक्ष्मण,सीता का स्वागत नगरवासी करते हैं फिर महाराजा दशरथ के द्वारा गुरु वशिष्ठ को अपने मन की बात कहना कि मुझे राम को राजगद्दी देना है वशिष्ट का आशीर्वाद मिलता है। महल में राम के राजतिलक की तैयारियां चलती हैं, तभी मंथरा द्वारा केकई को भरत को राजा बनाने के लिए दशरथ से वर मांगने को प्रेरित किया गया। महाराज दशरथ महल में आते हैं और केकई उनसे राम को वनवास और भरत राजगद्दी देने की बात कहती है। राजा दशरथ मूर्छित होकर गिर पड़ते हैं लेकिन भगवान राम को जैसे ही इस बात का पता चलता है वह माता पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए लक्ष्मण जानकी सहित वन को निकल पड़ते हैं। इस अवसर पर संत द्वारा गाया गया भजन तपस्वी का वेश धर के राम वन चले….. पर सभी श्रोताओं की आंखें सजल हो गई।
राम कथा के अवसर पर पाली सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी,भाजपा जिला उपाध्यक्ष त्रिभुवन सिंह भाटी,भोपाल सिंह बड़ला,उपप्रधान तिंवरी खेमाराम बाना,पवन जांगिड़, संपत कुमार काबरा,राजेंद्र कुमार गहलोत (पूर्व महापौर),लालचंद चौधरी कर्नाटक से सहित अनेक भक्त उपस्थित थे।
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