किसान केसरी मिर्धा की जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित

किसान केसरी मिर्धा की जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित

जोधपुर, शहर में किसान केसरी बलदेवराम मिर्धा की जयंती पर आज उन्हें याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। बलदेवराम मिर्धा ने मारवाड़ में शिक्षा की अलख जगाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। किसानों के मसीहा के रूप में बलदेव राम को याद किया गया। जोधपुर में मिर्धा सर्किल पर आयोजित समारोह में किसान समाज से जुड़े लोगों ने बड़ी संख्या में उनकी प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर उन्हें याद किया। शहर में कोरोना गाइड लाइन की पालना के बीच आयोजित समारोह में भूराराम चौधरी, गंगाराम जाखड़, धन्नाराम चौधरी व अशोक चौधरी सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे। इस अवसर पर वक्ताओं ने किसान केसरी के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

किसान केसरी मिर्धा की जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित

किसानों को उनके अधिकारों को समझाया था

किसान केसरी मिर्धा ने मारवाड़ के किसानों को उनके अधिकारों के बारे में समझाया और उनको अपने हकों के लिए लड़ऩा सिखाया। पहले किसानों को जमीदार खेती करने पर कुछ नहीं देता था। मिर्धा ने किसानों को एकत्र करके उनको उनके अधिकारों के बारे में बताया। मिर्धा ने फिर किसानों के सहयोग से मारवाड़ किसान सभा का गठन किया। उन्होंने गांव-गांव घूम कर किसानों को अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। मिर्धा ने किसान छात्रावास खुलवा दिए, जहां किसानों के बच्चे अपनी पढ़ाई कर सके। इस प्रकार बलदेव राम मिर्धा राजस्थान के किसानों के लिए मसीहा बन गए और उनको किसानों ने किसान केसरी की उपाधि प्रदान की।

कांस्टेबल से पुलिस निरीक्षक तक का सफर

मिर्धा का जन्म 17 जनवरी 1889 को नागौर जिले के कुचेरा के परगना गांव में हुआ था। बलदेव राम मिर्धा ने 10 वीं पास करने के बाद जोधपुर पुलिस में हेड कांस्टेबल पद पर नौकरी शुरू कर दी। मिर्धा 24 साल में थानेदार, फिर 34 वर्ष की आयु में पुलिस इंस्पेक्टर और फिर पुलिस इंस्पेक्टर जनरल बन गए। 1947 में अपनी इच्छा से मिर्धा सरकारी नौकरी से रिटायर हो गए।

कई स्थानों पर खुलवाए शिक्षण संस्थान

मिर्धा ने जगह-जगह किसान छात्रावास,जाट बोर्डिंग और शिक्षण संस्थान खुलवा दिए। जाट समाज के अलावा जो समाज खेती पर निर्भर थे, उन समाजों के लिए भी मिर्धा ने अच्छे काम किये। मिर्धा ने सरकारी नौकरी में रहते हुए किसानों का दर्द समझा और किसानों के हित में काम करने लग गए।

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