हिमोफिलीया मरीजों की सर्जरी संभव

जोधपुर,हिमोफिलीया मरीजों की सर्जरी संभव। मारवाड़ संभाग क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल एमडीएम में हिमोफिलीया मरीजों की अत्याधुनिक तकनीक से टीम मैंनेजमेंट द्वारा सर्जरी संभव हुई है।जोधपुर जिले के सेखाला गांव के मरीज महेन्द्र सिंह पु़त्र सवाई सिंह को 14 फरवरी के दिन भीषण सड़क दुर्घटना हुई। मरीज महेन्द्रसिंह मोटरसाईकिल से जोधपुर जा रहा था तथा अनियंत्रित ट्रक से आमने-सामने की टक्कर हुई। इसमें मरीज के जांघ की हड्डी (फीमर बोन) तथा टीबीया पैर ही हड्डी का फ्रेक्चर हो गया। मरीज हिमोफिलीया रोगी होने की वजह से प्राइवेट अस्पताल में खर्च करने में असमर्थ था।मरीज को शीघ्र एमडीएम अस्पताल में रेफर कर दिया गया।
मरीज की जांच के उपरांत पता चला कि मरीज महेन्द्रसिंह हिमोफिलीया ‘ए’ रोग से ग्रसित है तथा फेक्टर viii(8) की कमी है जिसके चलते खून का थक्का नहीं बन पता एवं मरीज के जीवन घातक हिमोरेज (रक्त स्त्राव) हो सकता है तथा समय पर उपचार नहीं मिलने से ऐसे मरीजों की मौत हो सकती है।

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मरीज को जांच के पश्चात तुरन्त हिमेटोलोजी विभाग के डॉ.गोविन्द पटेल की सलाह ली गयी तथा मरीज को रक्त स्त्राव कम करने तथा खून का थक्का बनाने के लिए फेक्टर viii चढ़ाया गया तथा प्लाज्मा एवं रक्त भी लगाया गया।

मरीज के रक्त स्त्राव कम होने पर हमने मरीज का चरणबद्ध तरीके से फीमर बोन (जांघ की हड्डी) एवं टीबीया (पैर की हड्डी) का ऑपरेशन किया। सम्पूर्ण ऑपरेशन में करीब 15 यूनिट रक्त,25 यूनिट प्लाज्मा तथा करीब 80 हजार यूनिट फेक्टर viii लगाया गया। मरीज के पैर की हड्डी में रोक लगायी गयी तथा फीमर हड्डी (जांघ की हड्डी) में प्लेट लगायी गयी।
मरीज पूर्णतः स्वस्थ होने तथा अब रक्त स्त्राव नहीं होने के कारण अब छुट्टी दे दी गई है।

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ऑपरेशन करने वाली अस्थि रोग विशेषज्ञ टीम
सह आचार्य एवं यूनिट हैड एफ, एमडीएम अस्पताल डॉ.रामाकिशन चौधरी,डॉ ताराचंद सुथार,डॉ कादिर टाक,डॉ.सांवरमल जांगिड़,डॉ अभिषेक,डॉ रामाराम नैग,डॉ अभिनव गुप्ता

निश्चेतना टीम
प्रोफेसर डॉ.शोभा उज्ज्वल,सह आचार्य डॉ मोनिका गुप्ता,डॉ प्रीती, डॉ.चुन्नीलाल,डॉ.रोहित,डॉ ऋषभ,डॉ गरीमा, हिमेटोलोजी डॉ गोविन्द पटेल,
अजंता विश्नोई,वल्सम्मा,रामचन्द्र पालीवाल,नारायण जोशी,विजय प्रजापत

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हिमोफिलीया (जैसा गोविन्द पटेल ने बताया)
हिमोफिलीया एक आनुवांशिक बीमारी है जिसमें सिर्फ आदमी ही प्रभावित होते है तथा औरतें,लड़कियां इसकी कैरीयर होती है तथा यह वंशानुगत बीमारी है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है। इसमें अत्यधिक रक्त स्त्राव खून का थक्का नहीं बनने की वजह से होता है। हिमोफिलिया दो प्रकार के होते है।फेक्टर 8 की कमी से होने वाला हिमोफिलीया ‘ए’ व फेक्टर 9 की कमी से हिमोफिलीया ‘बी’ होता है।

ओर्थोपेडिक्स विभागाध्यक्ष डॉ किशोर रायचंदानी ने बताया कि अत्यधिक रक्तस्त्राव होने से तथा थक्का नहीं बनने से ऐसे मरीजों की सर्जरी जटिल हो जाती है तथा इसमें सम्पूर्ण टीम के बिना सर्जरी मुश्किल हो जाती है।
अधीक्षक एमडीएम डॉ नवीन किशोरिया ने बताया कि इतनी जटिल सर्जरी भी मुख्यमंत्री अरोग्य आयुष्मान योजना में निःशुल्क हुई,अन्यथा अकेले फेक्टर ‘8’ भी लाखो रुपए का आता। प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक डॉ.रंजना देसाई ने चिकित्सकों तथा नर्सिंग ऑफीसर टीम को बधाई दी तथा ऐसे हिमोफिलीया मीरजों की सर्जरी के लिए मेडिकल कॉलेज को उपयुक्त एवं सक्षम बताया। संभवत पश्चिमी राजस्थान की हिमोफिलीया की यह प्रथम सर्जरी है।

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