strike of private hospital operators ends

निजी अस्पताल संचालकों की हड़ताल समाप्त

निजी अस्पताल संचालकों की हड़ताल समाप्त

निजी अस्पताल में वृद्ध की मौत का मामला

जोधपुर,शहर में डॉक्टर्स और मरीज के परिजनों के बीच चला रहा विवाद अब थम गया है। इससे पहले शहर के 70 हॉस्पिटल के डॉक्टर्स हड़ताल पर उतर गए थे। पूरे दिन ओपीडी बंद कर हड़ताल पर उतर गए थे। बैठक के बाद मृतकों के परिजन मान गए और डॉक्टर्स ने भी हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया है।

गौरतलब है कि शहर के कृष्णा हॉस्पिटल के बाहर भाटेलाई पुरोहितान निवासी भैरुसिंह इंदा के इलाज के दौरान मौत के बाद राजपूत समाज धरने पर बैठ गया था। इसके बाद शव को हॉस्पिटल के बाहर रख विरोध करने लग गए। धरना प्रदर्शन किया और शव नहीं उठाया इसके विरोध में डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी थी। देर रात प्रशासन के प्रयासों के बाद समाज का धरना समाप्त हुआ।

मरीज हुए परेशान

हड़ताल की घोषणा के बाद मरीज परेशान होने लगे। अचानक देर रात सरकारी हॉस्पिटल में मरीजों की भीड़ बढ़ गई। इधर, बिगड़ती व्यवस्था को देखते हुए दोबारा वार्ता का दौर चला। कलेक्टर हिमांशु गुप्ता के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारी बजरंग सिंह ने दोबारा बैठक बुलाई। यहां दोनों पक्षों में समझाइश होने के बाद डॉक्टर्स ने हड़ताल खत्म करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही परिजनों ने भी हॉस्पिटल के बाहर से शव को उठा दिया। परिजनों की मांग के अनुसार 8.83 लाख रुपए वापस दिए जाएंगे जो सरकार वहन करेगी। अस्पताल के चिरंजीवी योजना के कार्यों को लेकर कमेटी से जांच कराई जाएगी।

यूं रहा था घटनाक्रम

शहर के नहर रोड स्थित निजी अस्पताल में भाटेलाई निवासी मरीज भैरू सिंह इंदा के 11 सितंबर की रात मौत के बाद से परिजन अस्पताल के बाहर हड़ताल पर बैठे। परिजन का आरोप था कि अस्पताल ने गारंटी के साथ इलाज का भरोसा दिलाया था इलाज के नाम पर 8.83 लाख रुपए लिए थे। फिर भी भैरूसिंह की मौत हो गई। उन्होंने चिरंजीवी योजना के नाम पर घोटाले का आरोप भी लगाया। धरने में पूर्व विधायक बाबू सिंह राठोड,जोगाराम पटेल,छात्रसंघ अध्यक्ष अरविंद सिंह, पूर्व अध्यक्ष रविन्द्र सिंह भाटी सहित कई लोग पहुंचे थे।

हड़ताल पर जाने की दी थी चेतावनी

निजी अस्पतालों ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर मंगलवार को अपनी सेवाओं का बहिष्कार किया था। इसके अलावा बुधवार को भी बहिष्कार का ऐलान कर दिया था, जिसके बाद एसोसिएशन की राज्य इकाई ने भी सरकार और प्रशासन से वार्ता की और स्पष्ट किया कि अगर इस मामले का निस्तारण नहीं होता है तो पूरे राज्य में हड़ताल पर जाएगी। जिसके बाद प्रशासन ने अपने प्रयास तेज किए। कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद हुए। उसके बाद प्रशासन एक्टिव हुआ और मामले का पटाक्षेप हुआ।

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