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विवाहित पुत्री भी अनुकंपा नौकरी की हकदार

-राजस्थान हाईकोर्ट

जोधपुर,राजस्थान उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने विवाहित पुत्री को भी अनुकंपा नौकरी का हकदार माना है।
पहले यह विधिक प्रश्न उठाया गया था कि मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति के नियम 1996 के तहत आश्रित में सिर्फ अविवाहित,विधवा व दत्तक पुत्री को ही शामिल किया गया था। विवाहित पुत्री को इस दायरे में शामिल नहीं किया गया था। ऐसे में विवाहित पुत्री अनुकंपा नौकरी से वंचित रहती आई।

यह मामला पूर्व में खंडपीठ के समक्ष पेश हुआ लेकिन खंडपीठ ने इस मामले को राज्य का नीतिगत निर्णय मानते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। इस बीच राज्य सरकार ने अक्टूबर 2021 में नियमों में संशोधन कर दिया और विवाहित पुत्री को आश्रित की श्रेणी में शामिल कर लिया।

वृहद पीठ का गठन

ऐसे में उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई के लिए न्यायाधीश संदीप मेहता,न्यायाधीश विजय विश्नोई व न्यायाधीश अरुण भंसाली की वृहद पीठ का गठन किया गया। इस पीठ को यह तय करना था कि इस नियम में संशोधन से पहले विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित रखना क्या भेदभाव पूर्ण व संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन था। वृहद पीठ ने मामले की सुनवाई करने के बाद कहा कि विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित करने वाला वर्ष 1996 का नियम भेदभाव पूर्ण था। संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन है। ऐसे में अविववाहित शब्द को हटाते हुए कहा कि वर्ष 1996 के नियम 5 में अविवाहित पुत्र,दत्तक अविवाहित पुत्री शब्द को पुत्री, दत्तक पुत्री पढ़ा जाए। विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करने वाले निर्णयों को पीठ ने खारिज कर दिया। अपने फैसले में वृहद पीठ ने कहा कि अविवाहित शब्द हटाने से यह ऐसे किसी मामले को प्रभावित नहीं करेगा जिसमें अनुकंपा नियुक्ति पहले से दी जा चुकी है।

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