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वन को चले श्रीराम रघुराई…

श्रीराम कथा के अष्टम दिन श्रीराम के वन गमन के प्रसंग

जोधपुर,सूरसागर की कृष्णा वाटिका में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के अष्टम दिन की कथा में गोस्वामी तुलसीदास के श्रीरामचरितमानस के अयोध्या कांड में वर्णित भगवान राम के वन गमन के प्रसंग के तहत के संत मुरलीधर ने निषादराज प्रसंग व केवट प्रसंग का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया।

भगवान राम के वन गमन के आदेश की मार्मिक चौपाइयां सुनकर श्रोताओं की आंखों से सहज अश्रु धारा बह निकली। प्रसंग के माध्यम से उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिसके माता- पिता इस दुनिया में जीवित हैं वह सबसे भाग्यशाली इंसान हैं। माता पिता की जो सेवा करता है वह इस संसार रूपी सागर से पार उतर जाता है। जो इनकी आत्मा को दुखाता है, वह इस संसार सागर में डूब जाता है।

उन्होंने कहा कि रामायण में दासी मंथरा के भड़काने से केकई ने राजा दशरथ से राम के वन गमन का आदेश तो दिलवा दिया जिसे अपने पिता की आज्ञा की अनुपाना करने हेतु भगवान राम अयोध्या से सशरीर वन को चले गए लेकिन अयोध्या के लोगों के ह्रदय में राम हमेशा विराजित रहे तथा वे भगवान श्रीराम की प्रतीक्षा में संन्यासियों सा जीवन व्यतीत करने लगे। कथा के शुभांरभ में आयोजक पूर्व महापौर राजेंद्र कुमार गहलोत व रमा गहलोत ने व्यास पीठ का पूजन किया। इस अवसर पर विभिन्न संत वृंद सहित हजारों मानस प्रेमी उपस्थित थे।

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