एमडीएमएच में हृदय के सिकुड़े हुए ऑर्टिक वाल्व से निजात दिलाई

  • मथुरा दास माथुर अस्पताल के उत्कर्ष कार्डियोथोरेसिक विभाग में पहली बार हुआ
  • एंडोवस्कुलर तकनीक-टावी(ट्रांस कैथेटर ऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन/ रिप्लेसमेंट)के माध्यम से सिकुड़े आर्टिक वाल्ब का इलाज

जोधपुर,शहर के मथुरादास माथुर अस्पताल के उत्कर्ष कार्डियोथोरेसिक विभाग में पहली बार मरीज को
एंडोवस्कुलर तकनीक-टावी(ट्रांस कैथेटर ऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन/ रिप्लेसमेंट)के माध्यम से सिकुड़े आर्टिक वाल्ब का इलाज कर उसे राहत दिलाई।बडॉ सुभाष बलारा (सीटीवीएस विभागअध्यक्ष) ने बताया कि नागौर निवासी 67 वर्षीय जेठाराम गत दो साल से सीने में दर्द तथा सांस फूलने की तकलीफ से पीड़ित थे, जांचों के उपरांत यह पता चला कि उनके हृदय के ऑर्टिक वाल्व में काफी सिकुड़न(सिविअर अयोर्टिक स्टेनोसिस) है। पहले इस बीमारी के उपचार के लिए सर्जरी (ऑर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट) ही ऑप्शन था परंतु आधुनिक टावी (टावर) प्रणाली के माध्यम से बिना चीर फाड़ के,सिर्फ नीडल पंचर होल के जरिए वाल्व इंप्लांटेशन संभव है। इसलिए मरीज की बीमारी,उमर तथा कोमारबिड इलनेसेस को देखते हुए मरीज को टावी प्रोसीजर करने का निर्णय लिया गया। इस प्रोसीजर के लिए जयपुर के राजस्थान हॉस्पिटल में कार्यरत कार्डियोलॉजिस्ट डॉ रविंद्र राव को भी बुलाया गया। पहले इस ऑपरेशन की प्रणाली के लिए मरीजों को अन्य राज्यों तथा मेट्रो शहरों में जाना पड़ता था और यह इलाज काफी महंगे हैं।

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आपरेशन टीम
डॉ सुभाष बलारा,डॉ रविंद्र राव,डॉ रोहित माथुर,डॉअभिनव सिंह,डॉ देवाराम,एनेस्थीसिया विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ राकेश करनावत, डॉ गायत्री,स्टाफ आसिफखान, मोनिका भाटी,जितेंद्र,धर्मेंद्र,ओटी इंचार्ज दिनेश गोस्वामी,आसिफ इकबाल,परफ्यूशनिस्ट माधव सिंह और मनोज।डॉ अभिनव सिंह (सहायक आचार्य)ने बताया कि आयोर्टिक स्टेनोसिस एक बढ़ाते हुए उम्र की बीमारी है जिसका इनसीडियस 65 वर्ष के ऊपर के लोगों में 2 से 9% है और भारत में इसका मुख्य कारण रूमैटिक हार्ट डिजीज है,यह बीमारी हार्ट के अन्य वाल्वों को भी खराब करती है।अन्य कारणों में हाई ब्लड प्रेशर,वाल्व में चुना जमना आदि है। इस बीमारी मे मरीज की सांस फूलना,छाती में दर्द ,बेहोशी आना या धड़कन अनियमित भी रह सकती है। ऑर्टिक वाल्व में सिकुड़न एक स्टेज के बाद आगे बढ़ जाने के बाद वैलव रिप्लेसमेंट या टावी प्रोसीजर के जरिए बीमारी से निजात दिलाई जा सकती है। प्रोसीजर के उपरांत मरिज अब स्वस्थ है और इनका इलाज सिटीवीएस विभाग में चल रहा है। डॉ‌ एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल व नियंत्रक डॉ दिलीप कछवाहा तथा एमडीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने डॉक्टरों की टीम को बधाई दी।

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