फूल डाली पे इतराए ख़ुशबुएं ले गये सारी-दिनेश सिन्दल

फूल डाली पे इतराए ख़ुशबुएं ले गये सारी-दिनेश सिन्दल

-काव्य गोष्ठी

जोधपुर,’होंठ की बांसुरी चुप है, वो धुनें ले गये सारी,फूल डाली पे इतराए खुशबुएं ले गये सारी..,वो आए और न जाने क्या कहा आंखों ही आंखों में, दिल मेरे पास छोड़ा है,धडक़नें ले गये सारी..’’ सहित नवीन रचनाएं सुनाकर कवि एवं गीतकार दिनेश सिन्दल ने आज नववर्ष के आगमन पर कविमित्र समूह द्वारा बलदेव नगर स्थित विद्यालय परिसर में काव्य गोष्ठी को ऊंचाइयां प्रदान की। अध्यक्षता पूर्व जनसम्पर्क उपनिदेशक प्रमोद सिंघल ने करते हुए अपनी रचना ’वो आग जलाते हैं सीने में गोया गऱीब की बस्ती है, उसके और मेरे बीच रसायन था बहुत..’’ प्रस्तुत कर गोष्ठी को गरिमा प्रदान की।

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कविमित्र समूह के संयोजक प्रमोद वैष्णव ने बताया कि कोरोना काल के बाद नव वर्ष के उपलक्ष में आयोजित जोधपुर के हिन्दी,उर्दू व राजस्थानी के रचनाकारों में अशफ़ाक़ फौजदार ने ’चलो भीड़ में हंसी चेहरा ढूंढते हैं, ज़मी पे हम कोई फरिश्ता ढूंढते हैं’, रचना सुनाकर दाद पाई। श्यामगुप्ता ’शान्त’ ने उम्र से हूँ बुज़ुर्ग भले पर, क़लम मेरी ऐसी जवान है’ तथा ’ओझल आसमान’ व ’बोतल’ कविता सुनाकर माहोल को गर्मी प्रदान की।
कवि नवीन पंछी ने अपनी कविता ’हे ईश्वर,तू अगर है,तो बचना, तू जिनकी घेरेबन्दी में है,वे बहुत धारदार, और मारक हैं.’ सुनाई।

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प्रमोद वैष्णव ने ’बेबाकियां अच्छी नहीं हैं ऐ दोस्त तथा कितने झूठे हैं हम.’शीर्षक की कविताएं सुनाई। एमएम अरमान ने ’सुनो मित्र संघर्ष! तनिक रूको ना, बहुत अरसा हुआ है, ठीक से सुस्ताए हुए, याद नहीं पड़ता,मुस्कराएं हुए.’ रचना सुनाकर दाद बटोरी। काव्यगोष्ठी में राजस्थानी के रचनाकार वाजिद हसन क़ाज़ी, छगनराज राव ’दीप’, दीपा परिहार राव ’दीप्ति’, हिन्दी रचनाकार पूर्णिमा जायसवाल, चन्द्रभान विश्नोई, जसवन्त गर्ग,एन. डी.निम्बावत,दशरथ सोलंकी तथा उर्दू भाषा के रचनाकार रज़ा मोहम्मद तथा असरार अहमद ’आहिल’ ने अपनी रचनाएं सुनाकर गोष्ठी को साहित्यिकता प्रदान की। अन्त में संयोजक प्रमोद वैष्णव ने आभार व्यक्त किया तथा वाजिद हसन क़ाज़ी ने गोष्ठी का संचालन किया।

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