बीमा कंपनियों पर डेढ़ लाख का हर्जाना,ब्याज सहित रुपए अदायगी के आदेश

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष

जोधपुर,बीमा कंपनियों पर डेढ़ लाख का हर्जाना,ब्याज सहित रुपए अदायगी के आदेश। दावा राशि के भुगतान से दावेदार को महरूम करने के वास्ते दो निजी जीवन बीमा कंपनी झूठे दस्तावेज तैयार करवाने के बावजूद राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की नजरों से बच नहीं पाई। आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र कच्छवाहा,न्यायिक सदस्य निर्मल सिंह मेडतवाल और सदस्य लियाकत अली ने दो परिवाद मंजूर करते हुए बीमा कंपनियों पर डेढ़ लाख रुपए हर्जाना लगाते हुए परिवादी को बीमा राशि 39 लाख रुपए मय 11 वर्ष पूर्व से छह फीसदी ब्याज और 20 हजार रुपए परिवाद व्यय दो माह में अदा करने के आदेश दिए।पिंकी जैन ने दो परिवाद दायर कर कहा कि उनके पिता सरदार मल ने वर्ष 2011 में बिड़ला सनलाइफ इंश्योरेंस कंपनी से बीस लाख रुपए और मेट लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से 19 लाख रुपए की जीवन बीमा पॉलिसी करवाई,जिनमें परिवादी को नामिती बनाया गया। बीमाधारी की 12 जून 2012 को मृत्यु हो जाने पर बिड़ला सनलाइफ ने यह कहकर दावा खारिज कर दिया कि बीमाधारक शराब और तंबाकू के आदी थे,लेकिन उन्होंने बीमा कराते वक्त इसे छिपाया है। दूसरी ओर मेट लाइफ ने यह कहते हुए दावा नकार दिया कि बीमा कराते समय उनकी आयु 65 वर्ष थी,जबकि उन्होंने प्रस्तावना प्रपत्र में 49 वर्ष ही बताई। परिवादी की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि बिड़ला सनलाइफ ने दावे से बचने के वास्ते एसएमएस अस्पताल के बनावटी और फर्जी दस्तावेज तैयार कर उन्हें अस्पताल में भरती बताकर यह अंकित कराया कि मरीज शराब का आदी है और बीमा करते वक्त इसे छिपाया गया है। अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगे जाने पर अस्पताल प्राचार्य और यूनिट प्रभारी ने बताया कि सरदार मल अस्पताल में भरती ही नहीं थे। उन्होंने कहा कि मेट लाइफ ने बीमाधारी की वास्तविक आयु बीमा करते समय 65 वर्ष की बताकर यह कहकर दावा खारिज कर दिया कि बीमाधारी ने स्कूल प्रमाण पत्र के आधार पर बीमा के समय अपनी आयु गलत दर्शाते हुए 49 वर्ष ही बताई है,जबकि वह स्कूल छात्राओं की थी। अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि विद्यालय छात्रों का ही था और बाद में इसमें सह शिक्षा प्रारंभ की गई थी।

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उन्होंने कहा कि कोई सोच भी नहीं सकता कि देश की नामी बीमा कंपनियां वाजिब दावे का भुगतान नहीं करने के ऐसे हथकंडे भी अपना सकती है। बीमा कंपनी की ओर से बहस करते हुए कहा गया कि दावे सही खारिज किए गए हैं क्योंकि बीमा कराते वक्त बीमाधारी को कई बीमारियां भी थी,जो प्रस्तावना प्रपत्र में नहीं बताई गई। दोनों परिवाद मंजूर करते हुए राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा कि बीमा कंपनी ये साबित करने में पूर्णतया विफल रही कि बीमाधारी शराब और तंबाकू का आदी था और उसकी आयु 49 वर्ष नहीं होकर 65 वर्ष थी। उन्होंने कहा कि यह साबित हो गया है कि दोनों ही बीमा कंपनी ने जो दस्तावेज पेश किए हैं,वे बनावटी है और उन्होंने अनुचित व्यापार व्यवहार किया है। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी ने दावा खारिज बीमारी के आधार पर नहीं किया है सो वे इस आधार पर अब दावा खारिज नहीं कर सकती है। उन्होंने बिड़ला सनलाइफ पर एक लाख रुपए और मेट लाइफ पर 50 हजार रुपए हरजाना लगाते हुए बीमा राशि 20 लाख और 19 लाख रुपए मय ब्याज और परिवाद व्यय बीस हजार रुपए दो माह में अदा करने के आदेश दिए।

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