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यूके में गणगौर पूजन,राजस्थानी संस्कृति झलकी

गणगौर की विदेशों में भी धूम

जोधपुर,होली के बाद गणगौर की धमचक शुरू हो गई है। इस बार लंदन के हैरो में किंग्सबरी स्कूल मैदान में गणगौर पूजन का आयोजन किया गया। इस दौरान खेलन दो गणगौर., भंवर म्हानें पूजन दो गणगौर.,के गीत के साथ राजस्थानी ढोल व थाली की धुन गूंज उठी। इस अवसर पर गणगौर सवारी भी निकाली गई।

गणगौर की सवारी में मिनी राजस्थान की झलक लंदन के हैरो में स्थित इस स्कूल के मैदान में नजर आई। ब्रिटेन की राजस्थानी महिलाओं ने ईसर गणगौर की सामूहिक पूजा कर परिवार की खुशहाली व अमर सुहाग की कामना की। इस मौके पर महिलाओं ने राजस्थानी परिधान में सामूहिक घूमर भी किया और राजस्थानी व्यंजन परोसे गए।पूरी तरह राजस्थानी रंग में रंगे कैंपस में महिलाएं बच्चे और पुरुष राजस्थानी ड्रैस में सज-धजकर पहुंचे। ढोल-नगाड़ों पर राजस्थानी धुनों पर नाचते-गाते यहां गणगौर उत्सव शुरू हुआ।

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लंदन में राजस्थान कार्यक्रम की समन्वयक राखी गहलोत ने बताया कि लंदन में राजस्थान एसोसिएशन ऑफ यूनाइटेड किंगडम क्र्र्य की ओर से मनाए जा रहे इस गणगौर उत्सव को राजस्थानी परिवारों ने जोश व उत्साह से मनाया। महिलाओं से साथ उनके पति व बच्चे भी राजस्थानी परिधान में नजर आए। महिलाओं ने भी ढोल बजाए। आरयूके की ओर से गणगौर उत्सव 2018 से मनाया जा रहा है। राजस्थान एसोसिएशन ऑफ यूनाइटेड किंगडम (आरएयूके) के ट्रस्टी कुलदीप सिंह शेखवात ने बताया कि यह कार्यक्रम आरएयूके की महिला वॉलिंटियर टीम ने आयोजित किया। आंचल गोयल, भावना शर्मा, किरण नाथवत रागिनी,अनुजा,सृष्टि भती,विजया दवे शामिल हैं।

लोकगीतों के धुन पर निकली शाही सवारी

डॉ.अंजलि शर्मा और रेनू जोशी की अगुवाई में भारत के बाहर सबसे बड़ी गवर-ईसर की सवारी इंग्लैंड के हैरो में किंग्सवरी स्कूल मैदान में पारंपरिक लोकगीतों की धुनों के साथ आयोजित की गईं। सवारी के आगे महिलाएं ढोल-नगाड़े बजा रही थीं तो युवतियां, बच्चे नाचते-गाते हुए चल रहे थे। गवर-ईसर का विधिवत पूजन किया।

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इस आयोजन में ढोल-नगाड़ों और घूमर के साथ 100 से ज्यादा महिलाओं की सामूहिक पूजा ने गवर-पूजन की बचपन वाली यादें ताजा कर दी। कार्यक्रम की मीडिया प्रभारी पुष्पा चौधरी ने बताया कि पूरे ब्रिटेन की राजस्थानी महिलाओं ने गणगौर में उत्साह से हिस्सा लेते हुए महाघूमर नृत्य भी किया।

मेहमानों को राजस्थानी व्यंजन परोसे

मेहमानों को राजस्थानी कढ़ी,पकोड़ा, लापसी,पूरी,दाल,चावल,लहसुन की चटनी और पापड़ जैसे राजस्थानी व्यंजन परोसे गए। मीडिया प्रभारी पुष्पा चौधरी ने बताया कि इस गणगौर उत्सव के दौरान राजस्थानी भाषा ही स्वाभाविक रूप से उपयोग में ली गई। इस उत्सव ने राजस्थानी भाषा ने प्रवासियों के बीच संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ उन्हें उनकी संस्कृति और विरासत से भी जोड़ा। इस त्योहार के दौरान बच्चों को नए राजस्थानी वाक्य और कहावतें सीखने का अवसर भी मिला।

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