नव धनाढ्य वर्ग के खोखले आदर्शों की धज्जियां उड़ाता नाटक ‘वो कौन था’ का प्रभावी मंचन

नव धनाढ्य वर्ग के खोखले आदर्शों की धज्जियां उड़ाता नाटक ‘वो कौन था’ का प्रभावी मंचन

पांच दिवसीय ओमशिवपुरी नाट्य समारोह सम्पन्न

जोधपुर, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित पांच दिवसीय 29 वें ओमशिवपुरी नाट्य समारोह का समापन प्रसिद्ध नाटककार जेबी प्रीस्टले के विचारोत्तेजक नाटक “एन. इंस्पेक्टर काल्स” पर आधारित नाटक “वो कौन था” से हुआ। प्रदेश के वरिष्ठ नाट्यधर्मी रवि चतुर्वेदी लिखित व निर्देशित यह नाटक आधुनिक अर्थ व्यवस्था में बढ़ते हुए नव धनाड्य वर्ग और उसकी दोहरी मानसिकता की परतें खोलता हुआ तमाम खोखले आदर्शों की एक-एक परत उधेड़ कर रख देता है और दर्शकों को उनके असली चेहरे और चरित्र से रु-ब-रु कराता है।

नगर के प्रमुख व्यवसायी शशिकांत सुराणा का परिवार अपनी बेटी निधि सुराणा की सगाई एक अन्य व्यवसायी सुनीत कोठारी के साथ मनाने के लिए एक छोटी सी पार्टी का आयोजन कर रहे हैं,परन्तु उनकी इस छोटी सी पार्टी में इंस्पेक्टर शैलेश दत्त के आने से खलल पड़ जाता है जो एक लड़की शिवानी की आत्महत्या के मामले में तहक़ीक़ात करने के लिए यहाँ आ पहुंचता है। तहक़ीक़ात के दौरान पता चलता है कि इस परिवार का प्रत्येक सदस्य, इस लड़की को मृत्यु की ओर धकेलने के लिए किसी न किसी रूप में जिम्मेदार है।

 नव धनाढ्य वर्ग के खोखले आदर्शों की धज्जियां उड़ाता नाटक 'वो कौन था' का प्रभावी मंचन

“याद रखना, एक शिवानी चली गयी है लेकिन हजारों लाखों शिवानीयाँ अभी हमारे साथ बाकी हैं, जो जिंदा हैं अपने डर, तकलीफ़ों और उम्मीद के साथ-जो हमारी जिंदगियों के साथ जुड़ी हुई हैं। हम अकेले चाहे कुछ भी सोचते, कुछ भी करते हों पर अकेले नही जीते। हम सब एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं, एक दूसरे के प्रति हमारी जिम्मेदारियाँ हैं। अगर हम जल्दी ही इस बात को नहीं समझे तो वो दिन दूर नहीं जब हमें खून और नफरत की आग में जल कर सीखना होगा।
इंस्पेक्टर शैलेश का ये आखिरी संवाद इस बात की सख्त चेतावनी है कि स्वाभाविक न्याय कभी नहीं मरता,वो होकर रहता है।

घटनाओं का रोमांचक चित्रण दर्शकों को सामाजिक ताने- बाने के रहस्यात्मक वातावरणा एवं मानवीय मूल्यों की यात्रा से सूक्ष्म साक्षात्कार कराता है,जिसमें दर्शक स्वयं का आत्मावलोकन तो करता ही है बल्कि स्वयं से प्रश्न करने एवं अपने अंदर के इंस्पेक्टर से रु-ब-रु होने पर भी बाध्य हो जाता है। दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मंच पर अपने अभिनय का जलवा बिखेरा डॉ.कपिल शर्मा,डॉ.आरती कोठारी, अजय जैन,शेखर शेष,यशस्वी पंडिता, प्रियांक्षी केसवानी व अर्जुन देव ने, मंच पार्श्व में तकनीकी निर्देशक डॉ. घनश्याम बेनीवाल, तकनीकी सहायक राम स्वरूप भूपेश, प्रकाश-धर्मेन्द्र भारती, ध्वनि अंकन यशस्वी पंडिता, मंच व्यवस्थापक चन्द्र प्रताप सिंह, निर्देशन सहायक-प्रियांक्षी ने प्रस्तुति को प्रभावी स्वरूप प्रदान किया।

नाटक के अंत में अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रमेश बोराणा ने लेखक निर्देशक रवि चुतर्वेदी का बुके व स्मृति चिन्ह प्रदान कर अभिनन्द किया। पांचों दिन के समारोह का संचालन बिनाका जेश मालू ने किया।
अकादमी के नाट्य प्रभारी अरुण पुरोहित ने बताया कि गुरुवार 21 अक्टूबर को 11बजे घूमर में रंग संवाद का आयोजन रखा गया है, जिसमें प्रस्तुत नाटकों निर्देशक व शहर के रंगकर्मी हिस्सा लेंगे।

दूरदृष्टिन्यूज़ की एप्लिकेशन अभी डाउनलोड करें – http://play.google.com/store/apps/details?id=com.digital.doordrishtinews

Similar Posts