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डॉ राजीव की फ़िल्म ‘चाय’ राष्ट्रीय स्तर पर चमकी

जोधपुर,राजस्थानी भाषा की फिल्मों का इतिहास टटोलें तो पाएंगे कि मान्यता प्राप्त भाषा नहीं होने के बावजूद भी अपनी कई फिल्मों से अमिट छाप छोड़ी है मगर कालांतर में राजस्थानी फिल्मों का असर कम होते हुए समाप्त होते चला गया।

राजस्थानी ऐसी भाषा है जो हर 50 किलोमीटर के दायरे में अपने साथ एक बदलाव समाहित करती है इसलिए इस पर काम करना भी थोड़ा कठीन हो जाता है। वर्तमान में राजस्थानी फिल्मों पर काम करने वाले जोधपुर शहर के डॉ.कुमार राजीव ने अपनी जीतोड़ मेहनत और नयेपन से राजस्थानी फिल्मों को उच्च स्तर पर एक नई पहचान दिलाई है। डॉ राजीव कि मेहनत का नतीजा है कि बीजीएचएस प्रॉडक्शन में बनी ‘चाय’ फ़िल्म को ‘सिनेविले कोलकत्ता ग्लोबल सिनेफेस्ट’ में बेस्ट शार्ट फ़िल्म का अवार्ड मिला। ‘अयोध्या फ़िल्म फेस्टिवल’ में भी सलेक्ट हुई है। फ़िल्म के निर्देशन,अनूठे विषय तथा किरदारों के सराहनीय कार्य से चाय फ़िल्म भारत में आयोजित हो रहे कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के फ़िल्म फ़ेस्टिवल्स में चर्चा का विषय बनी हुई है।

फ़िल्म की स्टार कास्ट में एनएसडी से पासआउट स्वाति व्यास,वरिष्ठ रंगकर्मी परमानंद रामदेव, वरिष्ठ रंगकर्मी व फ़िल्म कलाकार रमेश बोहरा व पूजा जोशी,नाटक/फ़िल्म कलाकार हरिप्रसाद वैष्णव, कोमल सोनी, निकिता गाँधी व जयंत कच्छवाह अलग-अलग भूमिकाओं में हैं। लेखन कार्य और नाट्य निर्देशन के साथ ही अपनी उम्र के क़रीब 50 वर्ष रंगमंच को प्रदान करने वाले वरिष्ठ रंगकर्मी व चाय फ़िल्म के निर्देशक डॉ कुमार राजीव ने बताया कि इस राजस्थानी फ़िल्म में सांप्रदायिक और मजहबी एकता को प्रदर्शित करते हुए दर्शाया गया है कि मानवता धर्म और मजहब की दीवारों से बहुत बड़ी है तथा मानवता का भविष्य इसी में निहित्त है। डॉ राजीव ने बताया कि इस फ़िल्म के डीओपी रवि कसवां,एडिटर विजेंद्र ढाका तथा संगीत पर कार्य करने वाले प्रकाश, सुभाष गाँधी सहित तमाम कलाकार जोधपुर शहर के ही हैं।

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