आयुर्वेदिक औषधियां पूरी दुनिया के स्वास्थ्य संरक्षण के लिए उपयोगी-डॉ.जॉर्ज लुइस बेरा

  • तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस औषधमानकम संपन्न
  • शोध और नवाचार को बढ़ावा देने का मंच बना औषधमानकम-प्रो. प्रजापति
  • युवा वैज्ञानिकों द्वारा परंपरागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समन्वय सराहनीय-प्रो.सीबी झा
  • आयुष मंत्रालय,विश्व विद्यालय एवं सबको साथ मिलकर औषध के मानकीकरण की चुनौतियों एवं समाधान पर कार्य करने की आवश्यकता है-महानिदेशक सीसी आरएएस
  • अर्जेंटीना,देहरादून एवं जोधपुर की संस्था के साथ विश्व विद्यालय के मध्य एमओयू हस्ताक्षर
  • कॉन्फ्रेंस के तीसरे दिन 6 रिसोर्स पर्सन्स एवं 3 गेस्ट ऑफ ऑनर की उपस्थिति में 54 शोध पत्रों का वाचन

जोधपुर,आयुर्वेदिक औषधियां पूरी दुनिया के स्वास्थ्य संरक्षण के लिए उपयोगी-डॉ.जॉर्ज लुइस बेरा। डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्ण राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय,जोधपुर में आयुर्वेद विश्वविद्यालय,आयुष मंत्रालय,कल्टीवेटर संस्था एवं जापान की लक्ष्मी संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ‘औषधमानकम-2024’ का शनिवार को संपन्न हो गया।

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यह कॉन्फ्रेंस आयुर्वेदिक औषधियों के मानकीकरण- चुनौतियां और समाधान विषय पर केंद्रित रही। कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के कई ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों,शोध कर्ताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया। कॉन्फ्रेंस का समापन समारोह सुश्रुत ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। समापन समारोह कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो.(वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने की।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि बनारस हिंदू विवि के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.सीबी झा ने अपने संबोधन में कहा कि “आयुर्वेदिक औषधियों के मानकीकरण के लिए यह कॉन्फ्रेंस उपयोगी साबित होगी। इससे न केवल आयुर्वेद को वैश्विक पहचान मिलेगी,बल्कि आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में इसका प्रभावी उपयोग संभव होगा।

समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे विवि के कुलपति प्रो.(वैद्य)प्रदीप कुमार प्रजापति ने कहा कि औषधमानकम-2024 ने आयुर्वेदिक औषधियों के मानकीकरण के क्षेत्र में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने का कार्य किया है। यह कॉन्फ्रेंस आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक सिद्ध होगी।

कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रो. रबिनारायण आचार्य (निदेशक, सीसीआरएएस नई दिल्ली) ने कहा, गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण आयुर्वेदिक चिकित्सा के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। यह कॉन्फ्रेंस इस दिशा में एक मजबूत पहल है। भारत सरकार,राज्य सरकार,विश्व विद्यालय एवं सबको साथ मिलकर औषध के मानकीकरण की चुनौतियों एवं समाधान पर कार्य करने की आवश्यकता है।

अर्जेंटीना के डॉ.जॉर्ज लुइस बेरा ने आयुर्वेद के वैश्विक महत्व पर जोर देते हुए कहा आयुर्वेदिक औषधियों में छिपी संभावनाएं न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए उपयोगी हैं। विशिष्ट अतिथि मदन मोहन मालवीय आयुर्वेद महाविद्यालय उदयपुर के प्राचार्य प्रो महेश दीक्षित ने कहा कि आयुर्वेद भारतीय परंपरा का अमूल्य हिस्सा है। इस तरह के आयोजन आयुर्वेद को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करेंगे।

कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि देहरादून विवि के प्रो.डीसी सिंह ने कहा कि औषध का मानक का मानक एवं रॉ मटेरियल का सम्पूर्ण ज्ञान आयुर्वेद की रीड की हड्डी के रूप में कार्य करता है।अमेरिका से आए विशिष्ठ अतिथि डॉ.रघुनंदन शर्मा ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में विशेष रूप से आयुर्वेदिक औषधियों, खाद्य पदार्थों और सौंदर्य प्रसाधनों के मानकीकरण और वैज्ञानिक प्रमाणिकता पर व्यापक चर्चा हुई जिसमे डिजिटल टूल्स और डेटा एनालिटिक्स के उपयोग से आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर और भी प्रभावी और स्वीकार्य बना पाएंगे।

आयोजक सचिव डॉ.मनीषा गोयल ने तीन दिन के कॉन्फ्रेंस में हुई गतिविधियों से संबधित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर विवि एवं अर्जेंटीना के फंडेशन दे सलूद आयुर्वेद प्रेमा,सीपी कैंसर फाउंडेशन देहरादून एवं सांवरलाल ऑस्टियोपैथिक चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच में 3 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। विवि एवं लक्ष्य पर्यावरण एवीएम जन कल्याण संस्था के सयुक्त तत्त्वावधान में फाउंडेशन कोर्स लांच किया गया। विवि के संकाय सदस्यों द्वारा लिखित 11 पुस्तकों का विमोचन हुआ।

प्रारंभ में मंचासीन अतिथियों का प्राचार्य एवं आयोजन संयोजक प्रो महेंद्र कुमार शर्मा,आयोजन अध्यक्ष प्रो गोविंद सहाय शुक्ला, आयोजन उपाध्यक्ष प्रो चंदन सिंह,डॉ राकेश शर्मा,परीक्षा नियत्रंक डॉ राजाराम अग्रवाल,डॉ राजेंद्र पूर्वीय,डॉ मनोज कुमार अदलखा एवं डॉ मनीषा गोयल ने पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया।

कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन दो प्रमुख प्लेनरी सेशन्स आयोजित किए गए, जिनमें विशेषज्ञों ने आयुर्वेदिक औषधियों के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए। पाँचवे प्लेनरी सेशन के मुख्य अतिथि: प्रो. सीबीझा (पूर्व डीन,बीएचयू) थे। इस सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो.(वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने की। इस सत्र का मुख्य विषय: आयुर्वेदिक औषधियों के गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण था। प्रो.रबिनारायण आचार्य (निदेशक, सीसीआरएएस, नई दिल्ली)।श्रीलंका से आए तानर गुणरत्ने एवं फाइटो लैब के निदेशक तरुण प्रजापत सह-अध्यक्ष थे। डॉ. देवकी पंत (शोध अधिकारी,पीसी आईएम एंड एच) ने गुणवत्ता नियंत्रण के लिए औषधियों का परीक्षण विषय पर वक्तव्य दिया।

डॉ.रामपाल सोनी(पूर्व ड्रग इंस्पेक्टर) ने आयुर्वेदिक औषधियों के फार्माकोपियल मानक विषय पर वक्तव्य दिया। छटे प्लेनरी सेशन के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो.(वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति थे। इस सत्र का मुख्य विषय औषधियों की पहचान और न्यूट्रास्यूटिकल्स का मानकीकरण था। ऋषिकुल हरिद्वार से आए हुए प्रथम वक्ता प्रो.डीसी सिंह कच्ची जड़ी-बूटियों की पहचान विषय पर व्याख्यान दिया।वीजापुर से आए प्रो.प्रमोद बारगी ने न्यूट्रास्यूटिकल्स में मानकीकरण पर अपना व्याख्यान दिया। आयुर्वेद सोसाइटी ऑफ़ फ़ॉरेन के अध्यक्ष अर्जेंटीना डॉ.जॉर्ज लुइस बेरा ने आधुनिक स्वास्थ्य सेवा में रसायन औषधियों का उपयोग विषय पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही अंतिम दिन 3 पेरेलल सेशन में 3 गेस्ट ऑफ़ ऑनर, 3 अध्यक्ष, 6 को चेयरपर्सन, 6 रिसोर्स पर्सन थे। कुल 54 शोध पत्रों का वाचन किया। कॉन्फ्रेंस के आयोजन अध्यक्ष प्रो.गोविंद सहाय शुक्ला ने धन्यवाद ज्ञापित किया।