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एमजीएच में 10 वर्षीय बालिका के पेट से निकाला बालों का गुच्छा

एमजीएच में 10 वर्षीय बालिका के पेट से निकाला बालों का गुच्छा

जोधपुर,जिले की एक दस साल की बच्ची के पेट से बालों का गुच्छा निकालने का सफल ऑपरेशन एमजीएच में किया गया। डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर डॉक्टर जयराम रावतानी ने बताया कि 10 वर्षीय बालिका बार-बार उल्टी,भूख नहीं लगने एवं पेट के ऊपरी हिस्से में गांठ जैसी फीलिंग की शिकायत के साथ मथुरादास माथुर अस्पताल में डॉ सुनील दाधीच गैस्ट्रोलॉजिस्ट के पास गई, वहां उन्होंने दूरबीन से एंडोस्कोपी जांच द्वारा पता लगाया कि बालिका ट्राइकोबेज़ोर नामक बीमारी से ग्रसित है।

डॉ सुनील दाधीच ने एंडोस्कोपी द्वारा इस बाल के गुच्छे को निकालने की कोशिश की पर बड़ा होने के कारण यह निकल नहीं पाया और उन्होंने सर्जरी की सलाह दी, इस पर मरीज के रिश्तेदार सर्जरी करवाने के लिए महात्मा गांधी अस्पताल में डॉक्टर दिनेश दत्त शर्मा की यूनिट में भर्ती हुए। मरीज के परिजनों से बीमारी के बारे में हिस्ट्री लेने पर पता लगा कि मरीज को अपने स्वयं के बाल नोच नोच कर खाने की आदत है, मरीज की इस आदत को छुड़ाने के लिए परिजनों ने काफी जतन किए पर बच्चे की यह आदत छुड़ा नहीं पाए।

डॉ दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि इस बीमारी को ट्राईकोफेजिया कहते हैं एवं बाल खाने की आदत की वजह से यह बाल शरीर की आहार नाल में इकट्ठे होना शुरू हो जाते हैं एवं अमाशय में इकट्ठे होने से जो बालों का गुच्छा बनता है उसको ट्राइकोबेजोर कहा जाता है क्योंकि बाल को पचाने की क्षमता मनुष्य के आहार नाल में नहीं होती है। इस वजह से यह एक जगह इकठ्ठा होकर बालों का गुच्छा बना देते है। यह बीमारी साधारणतया मानसिक रूप से कमजोर, विक्षिप्त एवं असामान्य व्यवहार करने वाली महिलाएं जो 15 से 30 साल की उम्र में होती है लेकिन इस मरीज में मानसिक कमजोरी या विक्षिप्तता जैसे कोई लक्षण नहीं थे फिर भी बाल खाने की आदत की वजह से यह बीमारी हुई है ।

आमाश्य एवं छोटी आंत को ब्लॉक कर दिया

इस बाल के गुच्छे ने अमाशय एवं छोटी आंत के शुरुआती भाग को पूर्ण रूप से ब्लॉक कर दिया था इस कारण मरीज जो भी खाता वह आंतों में रूकावट के कारण आगे नहीं जा पा रहा था और उससे उल्टियां हो रही थी। सभी जांचे करवा कर इमरजेंसी ऑपरेशन प्लान किया गया एवं ऑपरेशन कर इस बाल के गुच्छे को शरीर से बाहर निकाला गया इस बाल के गुच्छे की लंबाई लगभग 25 इंच एवं आमाशय वाले हिस्से में यह आमाशय का आकार लेते हुए लगभग 12 इंच गुना 5 इंच साइज का था।

ऑपरेशन टीम में शामिल

ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. दिनेश दत्त शर्मा के साथ डॉ.यदुनाथ एवं डॉ. सुनील मीणा थे तथा एनेस्थीसिया टीम में डॉ.फतेह सिंह भाटी,डॉ.भरत चौधरी एवं डॉ.रश्मि स्याल थे। नर्सिंग स्टाफ में अरविंद, अपूर्वा, रेखा सोलंकी, ज्योती आदि का भी योगदान रहा। मरीज का यह ऑपरेशन महात्मा गांधी अस्पताल में पूर्णतया निःशुल्क किया गया।

डॉ.दिलीप कच्छावा, प्रिंसिपल एवं कंट्रोलर एसएन मेडिकल कॉलेज एवं डॉ. राजश्री बेहरा अधीक्षक महात्मा गांधी अस्पताल ने ऑपरेशन करने वाली टीम को बधाई दी एवं बच्चों के अभिभावकों से अपील की है कि बच्चों की इस प्रकार की आदतों को छुड़वाए ताकि भविष्य में ऐसी परेशानियां न हों।

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