• सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर का दीक्षान्त समारोह आयोजित
  • शल्य चिकित्सा, हृदय रोगों तथा समस्त व्याधियों के उपचार में आयुर्वेद महत्वपूर्ण
    जयपुर,राज्यपाल कलराज मिश्र ने चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और कश्यप संहिता में उपलब्ध आयुर्वेद ज्ञान के आधुनिकीकरण के प्रयास किये जाने पर जोर देते हुए हिंदी में इस ज्ञान के प्रसार की आवश्यकता जताई है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा, हृदय रोगों तथा शरीर की समस्त बीमारियों के उपचार का महत्वपूर्ण उल्लेख है। आधुनिक सन्दर्भों में इसके मर्म में जानने की जरूरत है। राज्यपाल मिश्र मंगलवार को सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के चतुर्थ दीक्षान्त समारोह में वर्चुअल सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की कठिन परिस्थितियों में परम्परागत भारतीय जीवनशैली और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। उन्होंने कहा कि समाज के ऐसे लोग जो महंगी चिकित्सा प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं, आयुर्वेद के तहत उन्हें अधिकाधिक लाभान्वित किये जाने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि अनेक देशों में आयुर्वेद की जड़ी-बूटियों पर इस समय महत्वपूर्ण शोध हो रहा है। कैंसर,डायबिटीज जैसी जटिल बीमारियों में यह कारगर पायी गई गई है और विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी ध्यान आयुष पद्धतियों पर पिछले कुछ समय के दौरान विशेष रूप से आकृष्ट हुआ है। उन्होंने सुझाव दिया कि आयुर्वेद की पंचकर्म, क्षारकर्म, स्वर्ण प्राशन, योग इत्यादि विधाओं को आधुनिक रूप में विकसित करने तथा नई औषधियों के अनुसंधान एवं परीक्षण के लिए सुनियोजित रणनीति के तहत कार्य किया जाए। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि भारत योग, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा का उद्गम स्थल रहा है। उन्होंने कहा कि आयुष चिकित्सा सस्ती और सुलभ होने के साथ ही बीमारियों को जड़ से खत्म करने पर कार्य करती है और इसके मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी न्यूनतम होते हैं। इन खूबियों के कारण ही हाल के समय में विश्व का ध्यान इस पद्धति की ओर आकर्षित हुआ है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी संस्कृति ने भी आयुर्वेद को पूरी तरह आत्मसात किया है। राजस्थान में राज्य सरकार के प्रयासों से आयुर्वेद के सर्वाधिक औषधालय और चिकित्सालय संचालित हो रहे हैं, जो अपने आप में गर्व की बात है।
    कुलपति डॉ. अभिमन्यु कुमार ने अपने स्वागत उद्बोधन में प्रगति-वृत्त प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा दी जा रही ओपीडी, आईपीडी सेवाओं, पंचकर्म सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स तथा कोविड-19 से बचाव, रोकथाम एवं उपचार के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किये गये कार्यो की जानकारी दी। कुलसचिव सीमा कविया ने दीक्षांत समारोह के समापन पर धन्यवाद ज्ञापित किया। दीक्षांत समारोह के दौरान आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संकाय के स्नातक एवं अधिस्नातक परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को राज्यपाल ने स्वर्ण पदक तथा वरीयता प्रमाण पत्र प्रदान किये। कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल मिश्र ने संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कर्त्तव्यों का वाचन भी करवाया। समारोह के दौरान राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल सहित अधिकारीगण, शिक्षकगण, शोधार्थी तथा विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित थे।