आधी आबादी के लिए गूंज रहा आत्मनिर्भरता का पैगाम

सफलता की कहानी

जोधपुर,महिला सशक्तिकरण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा संचालित योजनाओं और कार्यक्रमों के बेहतर क्रियान्वयन की बदौलत पारिवारिक खुशहाली एवं सामाजिक विकास में महिलाओं की भागीदारी का ग्राफ निरन्तर ऊँचाइयां प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। इस दिशा में महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण और शहरी महिलाओं को विकास के अवसरों का लाभ प्राप्त होने लगा है तथा आर्थिक आत्मनिर्भरतापरक हुनर एवं इन समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों के प्रति आम जन में क्रेज बढ़ता जा रहा है।

जोधपुर जिले में महिलाओं के समग्र विकास एवं आर्थिक रूप से उन्नत करने की दिशा में विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं द्वारा बनाए गए महिला स्वयं सहायता समूहों का बेहतर नेटवर्क स्थापित है जो आम महिलाओं को स्वाभिमान एवं सम्मान पूर्वक जीवनयापन के साथ ही परिवार की माली हालत सुधारकर खुशहाली लाने के प्रयासों में जुटा हुआ है।

आधी आबादी के लिए गूंज रहा आत्मनिर्भरता का पैगाम

विपणन के अवसरों का लाभ

इन समूहों की महिलाओं के उत्पादों के विपणन की दिशा में समय-समय पर होने वाले मेले, हाट और अन्य अवसर काफी लाभकारी सिद्ध हो रहे हैं। इससे इन समूहों की महिलाओं को प्रोत्साहन भी मिल रहा है, सीखने- सिखाने के अवसर भी, और उत्पादित सामग्री की बिक्री से मुनाफा भी प्राप्त हो रहा है।

निभा रही अपनी भागीदारी

पारिवारिक आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए घर-परिवार की जिम्मेदारियों के साथ ये महिलाएं अपने समूहों के माध्यम से सामाजिक विकास में भी भागीदारी निभा रही हैं। इन्हीं में महिलाओं का अपना एक आत्मनिर्भर समूह है, गणेश स्वयं सहायता समूह। इसका गठन जोधपुर के महा मन्दिर क्षेत्र स्थित मानसागर में गली नम्बर 4 में रहने वाली लक्ष्मी रामावत ने किया है।

आधी आबादी के लिए गूंज रहा आत्मनिर्भरता का पैगाम

यों हुआ श्रीगणेश

परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की स्थिति में अदम्य आत्मविश्वास से भरी तथा नया करने का संकल्प लेने वाली लक्ष्मी ने कुछ न कुछ घरेलू काम करने का बीड़ा उठाया और पहले स्वयं ने पापड़ बनाने का काम शुरू किया। इससे उत्साहित होकर लक्ष्मी ने आज से 16-17 वर्ष पूर्व गणेश स्वयं सहायता समूह की स्थापना कर जागरुक महिलाओं के समूह को साथ लेकर आत्मनिर्भरता के अभियान का श्रीगणेश किया।

संघर्षों पर पायी विजय

नियति की ओर से कई-कई बार बाधाएं सामने आती रहीं लेकिन लक्ष्मी ने हार नहीं मानी। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के साथ उसके पुत्र का दुर्घटना में देहान्त हो गया। पुत्र वियोग के वज्रपात के बावजूद उसने हृदय कठोर रखा तथा अपनी पुत्रवधू को बेटी मानकर दूसरा विवाह कराया और चार पुत्रियों का पालन-पोषण करने के लिए स्वयं सहायता समूह को सशक्त एवं समृद्ध बनाने में जुटी रही।

प्रोत्साहन व अवसरों ने बढ़ाया आगे

समूह की सदस्यों की लगन, समर्पण एवं निष्ठा भाव से धीरे-धीरे लक्ष्मी के समूह को अपने लक्ष्य में आशातीत सफलता मिलने लगी। महिलाओं के उत्थान से जुड़े विभागों और संस्थाओं के प्रोत्साहन के साथ ही महिला अधिकारिता विभाग द्वारा मिले सहयोग ने उसकी तरक्की में बहुत बड़ा योगदान किया। अमृता हाट में लक्ष्मी के समूह को दुकान दी गई जहां समूह द्वारा निर्मित उत्पादों की अच्छी-ख्रासी बिक्री हुई। खूब प्रोत्साहन भी मिला।

स्वावलम्बी वनिताओं का प्रगतिशील कारवां

लक्ष्मी रामावत और उनके समूह की सदस्याएं अपने तक ही सीमित नहीं रही बल्कि अधिक से अधिक जरूरतमन्द महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरन्तर प्रयासरत रहीं। इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि वर्तमान में लक्ष्मी के साथ लगभग 5 हजार 500 महिलाएं किसी न किसी रूप में जुड़ी हुई रहकर किसी न किसी घरेलू उत्पादों के जरिये घर-परिवार की आमदनी बढ़ाने में सहभागिता निभा रही हैं। चंद वर्ष पूर्व शुरू किया काफिला आज आत्मनिर्भर महिलाओं का निरन्तर प्रसार पाता हुआ कारवां बनकर स्वावलम्बन के गीत गुनगुना रहा है।

कद्रदानों को रिझा रहे हैं ये उत्पाद

अपने परिवार की सम्पन्नता में सहभागिता निभा रही ये महिलाएं घरेलू उद्योगों में जुटी हुई पापड़,आम पापड़, आम टॉफी, बड़ियां, कपड़े के बैग्स, मोबाईल पर्स, लेदर बेग, लटकनें, तोरण, गृह सज्जा का सामान,काष्ठ सज्जा, हैण्डीक्राफ्ट्स एवं लुम्बे आदि के निर्माण में सिद्धहस्त होकर आगे आयी हैं। लक्ष्मी स्वयं पेचवर्क, कशीदा व सिलाई में पारंगत है। इनके उत्पादों के कद्रदान भी लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। समूह की अगुवाई करने वाली लक्ष्मी को महिला अधिकारिता विभाग द्वारा पूर्व में कशीदाकारी कार्य के लिए ऋण भी दिलवाया गया।

दूर-दूर तक पहुँचा हुनर का कमाल

महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित हैं लक्ष्मी रामावत। वह स्वयं गांव-गांव जाकर महिलाओं को जागरुक करने तथा उन्हें विभिन्न हुनरों को इस्तेमाल आत्मनिर्भरता के लिए करने के लिए प्रेरित करती रही हैं। इसी का नतीजा है कि आज लक्ष्मी महिला सशक्तिकरण की दिशा में रोल मॉडल मानी जाती हैं। लक्ष्मी रामावत और उसके समूह द्वारा उत्पादित सामग्री की बिक्री केवल जोधपुर जिले तक ही सीमित नहीं है बल्कि जिले के साथ ही दिल्ली,सीकर, हनुमानगढ़, बीकानेर, धौलपुर, भीलवाड़ा, भरतपुर, जयपुर, टोक, पाली, माउन्ट आबू, उदयपुर, झुंझुनू, प्रतापगढ़ आदि विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित विभागीय मेलों में लक्ष्मी एवं उनके गणेश स्वयं सहायता समूह की सृजनशील हुनरमन्द महिलाएं हिस्सा ले चुकी हैं। न केवल जोधपुर जिले में अपितु मध्यप्रदेश के इन्दौर, सिहोर के साथ ही अन्य कई क्षेत्रों की महिलाएं उनसे जुड़ी हुई हैं। महिला सशक्तिकरण में समर्पित भाव से जुटी लक्ष्मी को अनेक अवसरों पर पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जा चुका है।

शासन-प्रशासन के सार्थक प्रयास

महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक फरसाराम बताते हैं कि विभाग द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण एवं आत्मनिर्भरतापरक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों तथा अन्य आयोजनों के माध्यम से सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं और इनके उत्साहजनक एवं आशातीत सफलता भरे परिणाम सामने आए हैं। ख़ासकर जोधपुर जिले में इस दिशा में बहुआयामी गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।

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