एमडीएमएच में पहली बार पित्त की नली की पथरी का दूरबीन से सफल ऑपरेशन

जोधपुर,एमडीएमएच में पहली बार पित्त की नली की पथरी का दूरबीन से सफल ऑपरेशन। डॉ.संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय समूह के अधीन कई प्रकार के ऑपरेशन दूरबीन पद्धति द्वारा होते रहते हैं। मरीज भी आजकल काफी जागरूक हो गए हैं,वे भी दूरबीन द्वारा ऑपरेशन करवाने की इच्छा रखते हैं। हाल ही में मथुरादास माथुर अस्पताल के चिकित्सकों ने दूरबीन द्वारा पित्त की नली की पथरी की सफल सर्जरी की जो इस मेडिकल कॉलेज में पहली बार हुई है।

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क्या है लैपरोस्कोपीसी (दूरबीन) सीबीडी एक्सप्लोरेशन तकनीक
पित्त की नली की पथरी सामान्यतः गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग द्वारा मुह से दूरबीन डाल कर एंडोस्कोपिक पदत्ति से निकली जाती है। कई बार बड़ी पथरी को एंडोस्कोपी से निकलना संभव नही होता तब शल्य चिकित्सा विभाग द्वारा बड़ा ऑपरेशन कर पथरी को पैट पर बड़ा चीरा लगाकर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में रक्तस्त्राव भी ज़्यादा होता है एवं ऑपरेशन के पश्चात मरीज को काफी दर्द से परेशान होना पड़ता है और मरीज को कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। दूरबीन द्वारा यह सर्जरी पेट पर केवल 4 से 5 छोटे छेद बना कर की जाती है,जिससे मरीज़ को ऑपरेशन के बाद दर्द नही रहता। रक्तस्त्राव भी कम होता है एवं जल्दी अस्पताल से छुट्टी की जा सकती है।

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एमडीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन किशोरिया ने बताया कि बाड़मेर निवासी 63 वर्षीय पुरुष कालू राम (बदल हुआ नाम) लंबे समय से पेट दर्द और बार-बार पीलिया होने से परेशान था। सीनियर प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष सर्जरी विभाग डॉ. भारती सारस्वत ने मरीज़ की पीड़ा को समझते हुए चेकअप करके अपनी यूनिट में भर्ती किया। जांचो में मरीज के पित्त की नली में एवं पित्त की थैली में पथरी पायी गयी। प्रोटोकॉल के अनुसार मरीज़ को गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में एंडोस्कोपी द्वारा पथरी निकलने के लिए भेजा गया,किन्तु पथरियों की अधिक संख्या एवं बड़े आकार होने के कारण उन्हें एंडोस्कोपी से निकलना संभव नही था इसलिए गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने मरीज़ के पित्त की नली में स्टेंट डालकर ऑपरेशन (सीबीडी एक्सप्लोरेशन) द्वारा पथरियां निकलने की सलाह के साथ सर्जरी विभाग में भेजा। आज तक यह ऑपरेशन चीरा लगाकर ओपन पद्धति से ही किया जा रहा था। इस बार डॉ.भरती सारस्वत की टीम के वरिष्ठ सर्जन डॉ.शूर सिंह सिसोदिया ने इस ऑपरेशन को दूरबीन से सफलतापूर्वक अंजाम दिया। डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग में यह अपनी तरह का पहला उदाहरण है। डॉ.शूर सिंह ने बताया कि सामान्यतः पित्त की नली में 45 पथरियां होती हैं लेकिन जब उन्होंने निकलना शुरू किया तो उनकी टीम हैरान रह गयी,इस मरीज की पित्त की नली से एक एक करके करीब 80 पथरियां निकाली गयी। यूरोलॉजी विभाग से युरेटेरोस्कोप (लंबी दूरबीन) का इस्तेमाल कर पित्त की नली द्वारा लिवर के अंदर तक जाकर सारी पथरियों को निकाला गया।

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डॉ.भारती सारस्वत ने बताया कि दूरबीन से यह ऑपरेशन करना चुनोतिपूर्ण होता है एवं इसमें काफी दक्षता की ज़रूरत होती है। ज्ञात हो कि डॉ.शूर सिंह सिसोदिया ने पहले भी दूरबीन द्वारा एक चुनोतिपूर्ण ऑपरेशन किया था जिसमे मरीज की पित्त की थैली दायीं ओर न होकर बायीं ओर थी। डॉ. नवीन किशोरिया ने बताया कि मरीज का ऑपरेशन आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत बिल्कुल मुफ्त किया गया। एवं ऑपरेशन के पश्चात मरीज़ पूर्णतया स्वस्थ है।

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ऑपेरशन में इनका रहा महत्वपूर्ण सहयोग
सर्जरी विभाग के डॉ.अवधेश शर्मा,डॉ महेंद्र राठी,डॉ थानाराम पटेल,डॉ शुभम चौबे। एनेस्थेसिया विभाग की डॉ गीता सिंगारिया,डॉ भारत,डॉ चेतन,डॉ इरशाद। ओटी स्टाफ सुमेर सिंह,अब्दुल,रेखा।

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