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कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़ते हैं-संत मुरलीधर

कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़ते हैं-संत मुरलीधर

जोधपुर,केलावा स्थित रघुवंशपुरम आश्रम और केशवप्रिया गौशाला में चल रही राम कथा एवं सहस्त्र चंडी यज्ञ में मानस वक्ता संत मुरलीधर ने केवट प्रसंग को बड़े भावपूर्ण तरीके से श्रोताओं के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि कभी-कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़ते हैं,जब गंगा पार करने के लिए प्रभु श्रीराम केवट से नाव मांगते हैं तो केवट नाव लाने से मना कर देता है और कहता कि हे भगवान मैं आप का मर्म जानता हूं जिस परमात्मा का मर्म ब्रह्मा-विष्णु-महेश नहीं जान पाए, केवट कहता है कि मैं आपका मर्म जानता हूं, मैं आपको गंगा पार तभी कराऊँगा जब आप मुझे चरण पखारने की अनुमति देंगे। इस पर प्रभु श्रीराम केवट को चरण पखारने का कहते हैं।

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उसके बाद भगवान केवट की नाव में बैठकर गंगा पार करते हैं। इस अवसर पर संत द्वरा गाए “मेरी नैया में सीता राम. गंगा मैया धीरे बहो.. भजन में भक्तों ने केवट की राम भक्ति के सागर में गोते लगा कर श्रद्धा के मोती बटोरे। केवट नाव इस किनारे से उस किनारे घुमाता है तो भगवान कहते हैं केवट भैया तुम बार-बार चक्कर क्यों लगाते हो मुझे चक्कर आते हैं तब केवट भगवान से निवेदन करता है कि भगवन आपको चार पांच चक्कर में चक्कर आने लग गए हम तो 84 का चक्कर लगाते हैं तब हमें चक्कर नहीं आते,तब भगवान कहते हैं मैं तेरा चक्कर मिटा देता हूं तो मेरा चक्कर मिटा दे।

इसके पश्चात केवट भगवान को गंगा पार करवाता है और उतराई देने की बात आती है तो भगवान राम के पास देने के लिए कुछ भी नहीं होता है तो जानकी जी पति की मनःस्थिति को देखकर अपनी अंगूठी देने की कोशिश करती हैं जिस पर लिखा होता है राम.. तब केवट कहता है भगवान इस पर राम लिखा है और राम कभी बेचा नहीं जाता बस मुझे अपने चरणों में स्थान दो इससे बढ़कर और उतराई क्या हो सकती है और प्रभु श्री राम केवट को आशीर्वचन देकर प्रयागराज में भारद्वाज ऋषि के आश्रम में पहुंचते हैं। इस अवसर पर संपत कुमार काबरा, जुगल किशोर शर्मा बीकानेर से सहित अनेक भक्त उपस्थित थे।

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