सिलिकोसिस योजना में पांच लाख की मदद के बहाने सात लोगों से ठगी

  • 2.20 लाख लेकर महिला चंपत
  • टीबी अस्पताल की सुपरवाइजर बताया

जोधपुर,सिलिकोसिस योजना में पांच लाख की मदद के बहाने सात लोगों से ठगी। शहर के कमला नेहरू अस्पताल (टीबी हॉस्पीटल) में सिलिकोसिस बीमारी से पीडि़त कुछ लोगों को बीमारी योजना में पांच लाख की मदद दिलाने के बहाने सात लोगों से 2.20 लाख की ठगी कर एक महिला चंपत हो गई। इस महिला ने खुद को अस्पताल की सुपरवाइजर बताया और ठगी की वारदात को अंजाम दिया। बाद में पता लगा कि जिस महिला ने खुद को ऊषा बताया उस नाम की कोई महिला वहां पर कार्यरत नहीं है। पीडि़तों की तरफ से अब देवनगर थाने में धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज करवाया गया है। पुलिस ने अदालत से मिले इस्तगासे पर केस दर्ज कर जांच आरंभ की है।

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ओसियां तहसील के बेंदू गांव का रहने वाला वृद्ध ओमदास पुत्र रामदास सिलिकोसिस बीमारी से पीडि़त है। वह फरवरी 23 में कमला नेहरू टीबी अस्पताल में अपने एक परिचित लादूराम के साथ में बीमारी इलाज के लिए गया था। जहां पर एक महिला जो खुद को ऊषा बताया और इस अस्पताल मेें सुपरवाइजर पद पर कार्यरत होना कहा। महिला ने डॉक्टर की एप्रिन पहन रखी थी। महिला ने इन लोगों से कहा कि राज्य सरकार सिलिकोसिस पीडि़तों को पांच लाख की सहायता राशि देती है। यदि वे चाहे तो इसमें वह उनकी मदद कर सकती है और इलाज भी फ्री में हो जाएगा। इस झांसे में आए ओमदास और लादूराम ने बाद में अपने जरूरी दस्तावेज आदि उषा नाम की इस महिला को सौंप दिए। महिला ने झांसे में लेते हुए कहा कि सिलिकोसिस के लिए उन्हें पावटा अस्पताल आना होगा जहां पर रिजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा। जिसके लिए दस हजार रुपए लगेंगे। यदि कोई और है तो उनको भी लाभ दिलवा देंगी। इस पर ओमदास ने अपने बेंदू गांव के कुछ लोगों जिनमें लालाराम,गीता,रामप्यारी,फूसाराम, गोरधन के दस्तावेज भी दिए। सभी की तरफ से ओसियां के एक ई-मित्र से रिजिस्ट्रेशन के नाम पर रुपए भिजवाए गए। पावटा अस्पताल में रिजिस्ट्रेशन करवाने की बात के साथ ही आरोपी उषा ने उनसे कहा कि सिलिकोसिस सर्टिफिकेट बनाना होगा,तब जाकर लाभ मिल पाएगा। इसके लिए प्रत्येक के 60 हजार रुपए लगेंगे। इस पर पीडि़तों ने रुपए एकत्र कर तकरीबन 2.20 लाख उसे दिए। यह प्रक्रिया फरवरी 23 से लेकर जुलाई 23 तक चली। बाद में उषा नाम की महिला ने फोन उठाना बंद कर दिया। पीडि़त अस्पताल पहुंचे तो पता लगा कि इस नाम की कोई महिला यहां पर काम नहीं करती है और न ही कोई सुपरवाइजर है। देवनगर पुलिस ने नामजद महिला के खिलाफ अब जांच आरंभ की है।

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