संत रामलाल सियाग अवतरण दिवस पर साधकों ने किया सामूहिक ध्यान

जोधपुर,संत रामलाल सियाग अवतरण दिवस पर साधकों ने किया सामूहिक ध्यान। चौपासनी स्थित अध्यात्म विज्ञान सत्संग केंद्र में सदगुरुदेव रामलाल सियाग का 99वां अवतरण दिवस समारोह श्रद्धा और आनंद के साथ मनाया गया।

इस समारोह में भाग लेने के लिए देश भर से दस हजार से अधिक श्रद्धालु जोधपुर आए थे। साधकों ने गुरुदेव की दिव्य वाणी में संजीवनी मंत्र सुनकर सामूहिक ध्यान किया। ध्यान के दौरान साधकों को स्वतः योगिक क्रियाओं और अनोखी आध्यात्मिक अनुभूतियों का अनुभव हुआ।

सभी यौगिक क्रियाएं मातृ शक्ति कुंडलिनी के जागृत होने के कारण होती हैं और इनके प्रभाव से साधक रोग मुक्त,नशा मुक्त और तनाव मुक्त होकर आनंदपूर्वक सात्विक जीवन जी सकता है। समारोह में गुरुदेव रामलाल सियाग के लेखों पर आधारित पुस्तक सिद्धयोग का विमोचन भी किया गया।

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अध्यात्म विज्ञान सत्संग केंद्र के अध्यक्ष डॉ कुलदीप रतनू ने उपस्थित साधकों को गुरुदेव सियाग की आध्यात्मिक साधना और सिद्ध योग दर्शन के बारे में जानकारी दी। डॉ रतनू ने इस अवसर पर केंद्र की कार्यकारिणी के सदस्यों का परिचय करवाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार हेतु संस्था की योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

डॉ रतनू ने कहा कि मानवता भीषण विनाश की कगार पर पहुंच चुकी है और ऐसी परिस्थिति में मानवता की रक्षा करने का दायित्व सभी सात्विक स्त्री पुरुषों पर आ गया है। यदि हम अब भी नहीं चेते तो कुछ माह बाद वैश्विक तनाव की स्थित विकट हो सकती है।

संस्था के मानद सचिव उम्मेद सिंह भाटी ने अब तक की गतिविधियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने उपस्थित सभी साधकों को अपनी साधना करने के साथ गुरुदेव सियाग सिद्ध योग दर्शन के प्रचार प्रसार हेतु सहभागी बनने की अपील भी की।

उन्होंने कहा कि यह वर्ष गुरुदेव सियाग का जन्म शताब्दी वर्ष है और पूरे विश्व में इसका प्रचार करने के लिए अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र के कार्यक्रम जारी रहेंगे। निःशुल्क शक्तिपात दीक्षा देकर कुंडलिनी शक्ति जागृत करने हेतु प्रसिद्ध सदगुरुदेव रामलाल जी सियाग ने 1993 में जोधपुर में अध्यात्म विज्ञान सत्संग केंद्र की स्थापना की थी।

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गुरुदेव सियाग के अनुसार भारतीय योग दर्शन में कुंडलिनी को जगत की मातृ शक्ति कहा गया है जो हर मनुष्य में रीढ़ की हड्डी के निचले सिरे पर सुप्तावस्था में रहती है। यह दिव्य शक्ति योग्य सद्गुरु की कृपा से ही चेतन होकर सहस्रार की ओर उर्ध्वगमन करती है। सदगुरु के नियंत्रण में चेतन यह शक्ति साधक को ध्यान की अवस्था में उसकी आवश्यकता अनुसार स्वतः योग करवाती है जिससे सभी प्रकार के शारीरिक,मानसिक और आध्यात्मिक रोगों से मुक्ति संभव है। कुंडलिनी शक्ति जनित इस स्वतः योग को भारतीय योग दर्शन में सिद्ध योग या महा योग कहा गया है।

इसके साथ ही गुरुदेव सियाग द्वारा चेतन संजीवनी मंत्र के मानसिक जाप से साधक की वृतियां बदलकर सात्विक हो जाती हैं और सभी प्रकार के नशों और तामसिक वस्तुओं से भी उसे मुक्ति मिल जाती है। रोगों एवं नशों से मुक्त साधक आध्यात्मिक उन्नति करते हुए जीते जी मोक्ष की अवस्था प्राप्त कर लेता है,जिसे महर्षि अरविंद ने पार्थिव अमरत्व कहा है।

हर जाति,धर्म,राष्ट्र के लाखों मनुष्यों की सुप्त कुंडलिनी शक्ति जागृत करके मानवता के दिव्य रूपांतरण का मार्ग प्रशस्त करने वाले प्रवृतिमार्गी संत सदगुरुदेव रामलाल सियाग का जन्म बीकानेर जिले के पलाना गांव के एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें आध्यात्मिक संकेत मिलते रहे लेकिन पारिवारिक दायित्वों के कारण वे पहले पढ़ाई और फिर नौकरी में व्यस्त रहे।

1968 में परिस्थितियों वश उन्हें आध्यात्मिक साधना में लगना पड़ा और कुछ वर्ष बाद उन्होंने रेलवे की नौकरी छोड़कर अपने गुरु बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी के निर्देश अनुसार मानवता के कल्याण हेतु सभी इच्छुक मनुष्यों को निशुल्क शक्तिपात दीक्षा देना प्रारंभ कर दिया। गुरुदेव रामलाल सियाग के लाखों शिष्य भारत सहित दुनिया के कई देशों में फैले हुए हैं और अपनी आध्यात्मिक साधना करते हुए उसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

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