nine-day-shri-ram-katha-concludes

नौ दिवसीय श्रीराम कथा सम्पन्न

जोधपुर,सूरसागर की कृष्णा वाटिका में नौ दिवसीय श्रीराम कथा के विराम दिवस में मानस मर्मज्ञ संत मुरलीधर ने गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस के चित्रकूट प्रसंग में राम भरत मिलन,सीता हरण, जटायु मुक्ति,भक्त सबरी चरित्र,अंगद रावण संवाद,लंका दहन,राक्षस संहार राम रावण युद्ध, रावण वध व भगवान राम के अयोध्या आगमन व राज तिलक का सुंदर वर्णन किया। रामायण की सुंदर चौपाइयां सुनकर श्रोता भाव विभोर नजर आए।

संत ने कहा कि बड़े भाग्य से यह मनुष्य शरीर प्राप्त होता है। मनुष्य शरीर देवताओं के लिए भी दुर्लभ माना गया है। मनुष्य शरीर की सार्थकता सत्संग व साधना करने में ही है। ऐसा विश्वास करना चाहिए कि सत्संग से सभी दुख नष्ट हो जाते हैं। यह मानव शरीर सत्संग और ध्यान करने का घर व मोक्ष का द्वार है।

मनुष्य शरीर परमात्मा का ही अंश है और सत्संग व साधना करके इसी मनुष्य शरीर से परमात्मा पद को प्राप्त किया जा सकता है। सत्संग से संस्कार कभी खत्म नहीं होता है। सच्चे संत के दर्शन मात्र से मन का मैल समाप्त हो जाता है। संतो के उपदेश पर चलने पर ही कल्याण संभव है। स्वामी संतोष बाबा ने कहा कि संत,सतगुरु कामधेनु व कल्पतरु रूप के समान सभी मनोरथ पूर्ण करने वाले होते हैं।

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, उत्कर्ष क्लासेज के निदेशक निर्मल गहलोत, हेमंत घोष, महेंद्र सिंह राजपुरोहित,महेश सारडा सहित विभिन्न संत वृंद सहित हजारों मानस प्रेमी उपस्थित थे।

दूरदृष्टिन्यूज़ की एप्लिकेशन डाउनलोड करें-http://play.google.com/store/apps/details?id=com.digital.doordrishtinews