जेल डीजी ने माना जेलों से बैठे अपराधी चला रहे आपराधिक गतिविधियां

127 साल बाद राजस्थान में जेलों में सुधार प्रकिया जोरों पर, देश भर में प्रदेश का होगा नाम, ईगर्वनेंस में राज्य के जेलें आगे

जोधपुर, कारागारों के मुखिया जेल डीजीपी राजीव दासौत का कहना है कि प्रदेश की जेलों में बैठे हार्डकोर बदमाशों को मिल रही सुविधाओं के चलते वे जेल से ही आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। मगर अब ऐसा नहीं होगा। प्रदेश भर की जेलों में इन दिनों ऑपरेशन फ्लश आउट चलाया जा रहा है।

हार्डकोर अपराधियों को अन्यत्रों जेलों में शिफ्ट कर दिया गया है। प्रदेश की जेलों में ई गर्वनेंस की सुविधा किसी सरकारी विभाग से ज्यादा है। रियासत कालानी अंग्रेजी हुकूमत के समय यानी 1894 से जेलों की जो स्थिति वो ही अब तक चली आ रही है। मगर अब ऐसाा नहीं होगा। राजस्थान की जेलें पूरी तरह ई गर्वनेंस पर कार्य कर रही हैं। वे आज जोधपुर प्रवास पर जेल में निरीक्षण करने पहुंचे थे। हालांकि वे सोमवार रात को जोधपुर पहुंच गए थे, आज उन्होंने केंद्रीय कारागार का निरीक्षण किया। जेल डीजी दासौत ने मीडिया से मुखातिब होते कहा कि 21 नवंबर 2020 से प्रदेश की जेलों में ऑपरेशन फ्लश आउट कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसको तकरीबन 75 दिन हो गए है। इस दौरान प्रदेश की जेलों से 77 मोबाइल, सिम कार्ड, चार्जर, मादक पदार्थों की धरपकड़ हो चुकी है। काम में लापरवाही बरतने वाले तीन कार्मिकों को नौकरी से बर्खास्त तक किया जा चुका है। इतना ही नहीं 27 कर्मी के निलंबित को 59 के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है। 29 कार्मिकों का स्थानांतरण भी किया गया है। 53 हार्डकोर अपराधियों को दूसरी जेलों में शिफ्ट किया गया है। जेल डीजी दासौत ने बताया कि 105 जेल अधिकारियों व कार्मिकों को अच्छे कार्य के लिए सम्मानित भी किया गया है। नवचार के तहत जेलों की तरफ से पेट्रोल पंपों का संचालन कर आय को अर्जित किया जा रहा है। पांचवां पेट्रोल पंप भी जेल की तरफ से शुरू किया जा रहा है। इससे सबसे बड़ा फायदा उन बंदियों या कैदियों को होगा जो कि इन पेट्रोपपंप पर कार्यरत रहेंगे। ताकि वे आगे जाकर किसी भी पेट्रोलपंप पर कार्य कर सके। इससे उनके रोजगार के साधन मुहैया हो सकेंगे। जेल पेट्रोलपंपों से होने वाली आय से जेलों में सुधार कार्य करवाया जाएगा। डीजीपी जेल दासौत ने बताया कि प्रदेश की संपूर्ण जेलों में बंद अपराधियों का डेटा सुरक्षित रखा गया है। तकरीबन 8500 अपराधियों का डेटा जेलों में है। जिससे किसी अपराधी के बारे में आसानी से जाना जा सकता है। बंदियों व कैदियों को ई गर्वनेंस के जरिए वीडियो कॉलिंग व टेलीफोनिक सुविधा दी गई है। वे अपने किसी भी परिचित से पांच मिनट तक बातचीत कर सकते हैं। ऑपरेशन फ्लश आउट के तहत इन 75 दिनों में जेलों में अब तक 5 हजार बार चैकिंग अभियान चलाया गया है। प्रदेश भर में 105 बंद एवं 40 खुली जेलें है। दासौत ने बताया कि ऑपरेशन फ्लश आउट का सकारात्मक रिलल्ट मिल रहा है। अब जेलों में कोई मादक पदार्थ या निषिद्ध सामग्री नहीं मिल रही है। यह एक अच्छी बात है। प्रदेश की जेलों में सुधार राजस्थान के लिए अच्छी बात है। सीसीटीवी कैमरों के लिए भी राज्य सरकार अवगत कराया गया है।

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