छोटे से जसाई स्टेशन पर जगदीश के बड़े होंसलों ने ला दी हरित क्रांति

छोटे से जसाई स्टेशन पर जगदीश के बड़े होंसलों ने ला दी हरित क्रांति

  • दो हजार पेड़ों से लहलहा रहा है स्टेशन का बाग
  • गैंग ने जन्मदिन पर पैसे एकत्रित कर विकसित कर ली खुद की नर्सरी
  • जोधपुर डीआरएम ने दी होंसले को उड़ान

बाड़मेर,अगर ठान लिया जाए तो पत्थर में भी हरियाली छा सकती है। इसके लिए ईमानदारी से प्रयास, कड़ी मेहनत और पर्याप्त देखभाल की आवश्यकता है। ऐसा ही एक प्रयास उत्तर पश्चिम-रेलवे के जोधपुर मंडल के बाड़मेर के एक छोटे से जसाई रेलवे स्टेशन पर विकसित बगीचे में गैंग मैट के पद पर कार्यरत जगदीश चौधरी ने कर दिखाया है। कम पानी वाले थार की उजाड़ और बंजर जमीन पर आज लहलहा रही हरियाली उसी जगदीश की मेहनत का ही परिणाम है जो स्टेशन के पास बंजर रेल भूमि को देखकर मन ही मन व्यथित होता था, लेकिन 2019 में तत्कालीन की-मैन रामचंद्र से विरासत में मिले इस बगीचे को जगदीश के छोटे से प्रयास और कड़ी मेहनत ने जब उजाड़ भूमि को हरियाली से अच्छादित कर दिया तो देखने और सुनने वालों ने दांतो तले अपनी उंगलियां चबा ली।

छोटे से जसाई स्टेशन पर जगदीश के बड़े होंसलों ने ला दी हरित क्रांति
कम पानी वाली बंजर जमीन पर पौधे लगाना भीषण गर्मी और सर्दी में उनकी देखभाल करना तथा जानवरों से उन्हें बचाना जगदीश के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। उसे विरासत में जब यह बगीचा मिला तो यहां पर पौधे तो 400 थे मगर उनकी सुरक्षा और पर्याप्त पानी के बंदोबस्त नहीं थे। लॉकडाउन के दौरान इस बगीचे की बड़ी दुर्दशा थी मगर जगदीश चौधरी और उसकी गैंग के सात जवानों ने इस बगीचे की कायापलट करने की ठान ली जिसका नतीजा आज इस बगीचे में छोटे बड़े करीब 2000 पौधे और वृक्ष तैयार हो चुके हैं।

छोटे से जसाई स्टेशन पर जगदीश के बड़े होंसलों ने ला दी हरित क्रांति
बड़ी बात यह भी है कि 45 पार जा रहे तापमापी के पारे से परेशान विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की मानो थार के इस रेगिस्तान में यह बाग एक स्थायी शरणगाह बन गई हो। दिन भर उनकी चहचहाट जगदीश के होंसलों में स्फूर्ति भरती प्रतीत होती है। इस बगीचे में हरियाली की चर्चा जसाई गांव से निकलकर बाड़मेर और जोधपुर तक पहुंच चुकी है जगदीश का कहना है कि गत वर्ष मंडल रेल प्रबंधक गीतिका पांडेय जब गडरा रोड शहीद स्मारक पहुंची थी तब किसी ने जसाई के इस बगीचे के बारे में बताया तो उन्होंने उसके अवलोकन की इच्छा जताई और जैसे ही वह जसाई पहुंची तो हैरान रह गई कि बाड़मेर जैसे क्षेत्र में हरित क्रांति के उल्लेखनीय प्रयास रेल कर्मचारियों द्वारा किए गए हैं। इस दौरान उन्होंने भी पौधरोपण किया और कहा कि सामूहिक रूप से किए गए प्रयासों से हरित क्रांति लाई जा सकती है।

विकसित कर ली नर्सरी

डीआरएम से मिली प्रशंसा और बुलंद हौसलों के बाद जगदीश के हौसलों को जैसे पंख मिल गए हों और उसने बगीचे व आसपास के क्षेत्र को छायादार बनाने के उद्देश्य से घर के पैसों से छोटी नर्सरी भी विकसित कर ली जहां आज 1000 पौधे तैयार हो रहे हैं।

2013 में शुरू हुआ था बगीचा

जसाई रेलवे स्टेशन की रेल भूमि पर बगीचे का उद्घाटन वर्ष 2013 में तत्कालीन प्रधान मुख्य इंजीनियर वाई पी सिंह द्वारा किया गया था, जिसे तत्कालीन की-मैन रामचंद्र ने संभाला बाद में इसे पोस्टिंग होने पर जगदीश चौधरी के सुपुर्द किया गया

बर्थडे की पार्टी के पैसों से खरीदे पौधे

जगदीश का कहना है कि लॉकडाउन अवधि में उसने अपने साथियों के साथ मिलकर पैसे इकट्ठे किए और गैंग के आठ सदस्यों के जन्मदिन के उपलक्ष में पौधरोपण करके खुश होते।

उत्कृष्ट कार्य पर मिला सम्मान

मंडल रेल प्रबंधक गीतिका पांडेय ने जैसे ही रेलवे स्टेशन और आसपास के क्षेत्रों में हरित क्रांति लाने के प्रयासों में जुटे जगदीश चौधरी और उसकी गैंग के सभी 7 सदस्यों को उत्कृष्ट कार्यों के लिए डीआरएम अवार्ड से सम्मानित किया गया और हाल ही में 5 जून को पर्यावरण दिवस पर जोधपुर के भगत की कोठी उपनगरीय स्टेशन पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में भी डीआरएम ने जगदीश चौधरी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

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