आईआईटी जोधपुर ने विकसित की उधोग से निकलने वाले अपशिष्ट जल को साफ करने की नई विधि

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर को एक और सफलता

जोधपुर,आईआईटी जोधपुर ने विकसित की उधोग से निकलने वाले अपशिष्ट जल को साफ करने की नई विधि।भाप्रौसं जोधपुर ने कपड़ा रंगाई उद्योग से निकलने वाले अपशिष्ट जल के उपचार के लिए एक अग्रणी तकनीक का विकास किया है,जो पर्यावरण में एज़ो डाई जैसे हानिकारक पदार्थों को छोड़ने के लिए जिम्मेवार है। यह नई विधि 222 नैनोमीटर वाले पर्यावरण अनुकूल पराबैंगनी (यूवी) प्रकाश का विकास करके बनाई गई है,जो 254 नैनोमीटर पर पारंपरिक पारा आधारित पराबैंगनी प्रकाश की तुलना में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है।

यह भी पढ़ें – मुख्यमंत्री भजनलाल ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पूछी कुशलक्षेम

अध्ययन के प्रमुख पहलू

समस्या
कपड़ा रंगाई और विनिर्माण उद्योग बड़ी मात्रा में अपशिष्ट जल का उत्पादन करता है जिसमें एज़ो डाई जैसे लगातार दूषित पदार्थ होते हैं,जिन्हें पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके निकालना चुनौतीपूर्ण होता है। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने और स्थायी जल का पुन: उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इस अपशिष्ट जल का प्रभावी उपचार महत्वपूर्ण है।

समाधान
भाप्रौसं जोधपुर के शोधकर्ताओं ने भौतिकी विभाग के प्रोफेसर राम प्रकाश के नेतृत्व में पीएचडी शोधार्थी किरण अहलावत और रामावतार जांगड़ा के साथ मिलकर 222 नैनोमीटर क्रिप्टोन क्लोराइड एक्साइमर पराबैंगनी प्रकाश स्रोत का विकास करके एक नया तरीका विकसित किया है। इस विधि से रिएक्टिव ब्लैक 5 (RB5) जैसी डाईज को तोड़ने में उल्लेखनीय प्रभावशीलता दिखाई है। इनके द्वारा हाल ही में नेचर: साइंटिफिक रिपोर्ट्स (https://doi.org/10.1038/s41598-024-63012-z) में प्रकाशित अध्ययन में टाइटेनियम डाइऑक्साइड (TiO2) और हाइड्रोजन पेरोक्साइड (H2O2) का उपयोग करके प्रत्यक्ष फोटोलिसिस और एक उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया (AOP) दोनों का पता लगाया है। पारंपरिक अल्ट्रावॉयलेट-सी आधारित विधियों की तुलना में उनके डिज़ाइन किए गए एक्साइमर-222 प्रकाश और हाइड्रोजन पेरोक्साइड के साथ बनाये गए उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया के साथ RB5 की गिरावट दर लगभग 27 गुना ज्यादा पाई गई।

यह भी पढ़ें – राजस्थान थांग ता संघ ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस

मुख्य निष्कर्ष

बेहतर अवशोषण
222 नैनोमीटर पर RB5 जैसी डाईज का उच्च मोलर अवशोषण गुणांक (Molar absorption coefficient) गिरावट दक्षता में काफी सुधार करता है।

ऊर्जा दक्षता
222 नैनोमीटर यूवी प्रकाश और हाइड्रोजन पेरोक्साइड प्रक्रिया टाइटेनियम डाइऑक्साइड का उपयोग करने की तुलना में पाँच गुना अधिक ऊर्जा कुशल है,जो इसे अधिक बेहतर और लागत प्रभावी बनाती है।

सर्वोतम परिस्थितियाँ
उच्चतम पीएच दर 10 के क्षारीय पीएच पर प्राप्त की गई,जो कपड़ा अपशिष्ट जल के लिए विशिष्ट है, जिससे पीएच समायोजन की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।

अवक्रमण पथ (Degradation Pathway):-
उन्नत विश्लेषणात्मक तकनीकों से 222 नैनोमीटर पराबैंगनी प्रकाश के तहत RB5 क्षरण के लिए एक विस्तृत पथ स्थापित किया।

पर्यावरणीय प्रभाव
पारा-मुक्त यूवी लैंप और उपचारित पानी की गैर विषाक्त प्रकृति इस प्रक्रिया को पर्यावरण के अनुकूल और कृषि में पुन: उपयोग के लिए उपयुक्त बनाती है।

व्यापक हित
यह नवीन विधि पारंपरिक अपशिष्ट जल उपचार तकनीकों की तुलना में कई लाभ प्रदान करती है।

यह भी पढ़ें – अतिवृष्टि के मद्देनजर आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक रखने के आदेश

पर्यावरण के अनुकूल
खतरनाक रसायनों से बचाती है और उत्प्रेरक की आवश्यकता को समाप्त करती है।
ऊर्जा की बचत
ऊर्जा की खपत को महत्वपूर्ण रूप से कम करती है।
स्केलेबल:- औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए इस विधि का प्रयोग बढ़ाया जा सकता है,जो वैश्विक कपड़ा उद्योग के लिए एक व्यवहार्य समाधान प्रदान करेगी। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह सफलता न केवल कपड़ा उद्योग में बल्कि समान प्रदूषक पैदा करने वाले अन्य क्षेत्रों में भी अधिक टिकाऊ अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रक्रियाओं का मार्ग प्रशस्त कर सकती है ।

भविष्य की दिशाए
भाप्रौसं जोधपुर की टीम इस प्रक्रिया को अनुकूलित करने और वास्तविक दुनिया की औद्योगिक परिस्थितियों में इसके अनुप्रयोग का पता लगाने के लिए और अधिक शोध करने की योजना बना रही है। इसके अतिरिक्त, उनका लक्ष्य अन्य पर्यावरणीय सफाई कार्यों और टिकाऊ कृषि प्रथाओं के लिए अनुकूल पराबैंगनी (यूवी) प्रकाश के उपयोग की जांच करना है।