तीन वर्षीय बच्चे के दिल में जन्मजात छेद (पीडीए) का सफलतापूर्वक डिवाइस क्लोजर
- एमडीएम में अब तक 200 का सफलतापूर्वक बिना चीर-फाड़ के डिवाइस क्लोजर किया जा चुका है
- कार्डियोलॉजी विभाग में अब तक 21600 एन्जियोग्राफी तथा 7800 एन्जियोप्लास्टी हो चुकी है
जोधपुर, शहर के मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोलोजी विभाग में सोमवार को एक तीन वर्षीय बच्चे के दिल में जन्मजात छेद (पीडीए) का सफलतापूर्वक डिवाइस क्लोजर किया गया। बच्चे को जन्म से यह तकलीफ थी जिसके कारण उनका वनज नहीं बढ़ रहा था।
कार्डियोलोजी विभाग में डाॅॅ संजीव सांघवी, डाॅ रोहित माथुर, डाॅ पवन शारडा तथा डाॅ अनिल बारूपाल के नेतृत्व में अब तक हृदय के जन्मजात विकारों (दिल में छेद,जन्मजात वाल्व की सिकुड़न तथा जन्मजात मेजर आर्टरी में रूकावट-कोआर्कटेशन) का यह 200 वां केस था, जिसका सफलतापूर्वक बिना चीर-फाड़ के डिवाइस क्लोजर किया गया। इस तरह के सारे आॅपरेशन में एक टीम वर्क की जरूरत रहती है जिसमें से निश्चेतना विभाग की अहम भूमिका रहती है। इसी प्रकार न सिर्फ आॅपरेशन के दौरान बल्कि बाद में भी पोस्ट आॅपरेटिव केयर का बड़ा योगदान रहता है। इस टीम में कैथ लैब टेक्निशियन का भी अहम योगदान रहता है। इनमें से अधिकतर केस राजकीय स्कीम के तहत किए गए हैं।
विभाग में बच्चों के इन जन्मजात विकारों के इन्टरवेनशन ट्रीटमेन्ट में शोध कार्य भी हुए हैं। जिसमें से एक शोध पत्र वर्ष 2017 में एक प्रतिष्ठित इंटरनेशनल जनरल में छप चुकी है। मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोलोजी विभाग पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा तथा उतकृष्ट कार्डियेक सेन्टर बन चुका है जहां नवीनतम उपकरणों तथा प्रक्रियाओं से हृदय रोगियों का इलाज किया जाता है। विभाग में अब तक करीब 21600 एन्जियोग्राफी तथा 7800 एन्जियोप्लास्टी हो चुकी है।
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