गुमनामी के साए में गंगोलीहाट के गणेश्वर महादेव की गुफा
पुराण ने गायी है अद्भूत महिमा
रिपोर्ट:- दया जोशी (वरिष्ठ पत्रकार)
पिथौरागढ़,गुमनामी के साए में गंगोलीहाट के गणेश्वर महादेव की गुफा।उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट स्थित भगवान गणेश व शिव को समर्पित स्कंद पुराण में उल्लेखित गणेश्वर गुफा गुमनामी के साये में है। महर्षि वेद व्यास ने इस गुफा का जितने सुनहरे शब्दों में वर्णन किया है इस गुफा की बदहाली उतनी ही विकट हो गई है। गुफाओं की नगरी गंगोलीहाट क्षेत्र में पाताल भुवनेश्वर के निकट स्थित गणेश्वर महादेव की गुफा नानी शीतला गॉव के समीप स्थित माँ शीतला के पावन सानिध्य में विराजमान है। इस आंचल में गणेश्वर गुफा,शीतला गुफा व सिद्धों का आश्रम तीर्थाटन के बदहाली की दांस्ता बयां करता नजर आता है।
भगवान श्रीरामचन्द्र जी के पूर्वज राजा ऋतुपर्ण की यह अत्यन्त प्रिय स्थली आज अपनी पहचान को छटपटा रही है। संसार में जितने भी पौराणिक महत्वपूर्ण शिवलिंग हैं वे सब पाताल भुवनेश्वर के निकट हैं। पुराण के अनुसार इस क्षेत्र में छियासी ऐसी गुफाएं उल्लेखित हैं जिनका आध्यात्मिक इतिहास अपने आप में अदितीय है। अभी कुछ ही गुफाएं प्रकाश में हैं, शेष खोजे जाने की आवश्यकता है।गंगोलीहाट की गणेश्वर गुफा के बारे में चंद लोगों को ही जानकारी है जबकि यह इतना मनभावन स्थल है जिसकी सौदर्यता व अलौकिकता का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है।
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स्कंद पुराण के 104 वें अध्याय में गणेश्वर गुफा का अद्भूत वर्णन मिलता है। पाताल भुवनेश्वर की सुन्दर महिमां का वर्णन सुनने के पश्चात जब उन्होंने आसपास के तीर्थों की महिमां जाननी चाही तो उन्हें महागुप्त रहस्य के रूप में व्यास जी ने गणेश्वर की गुफा, शीतला माता का पावन स्थान, सिद्धों के आश्रम की महिमां का वर्णन ऋषियों के समुदाय को सुनाते हुए कहा यह क्षेत्र भुगृ ऋषि की तपोभूमि है उन्होंने ही इन पर्वतों पर स्थित तीर्थों की महिमां भार्गव को बताई थी, वही मैं आपके सामनें वर्णन करता हूँ।
पुण्यशील इस महाक्षेत्र के बारे में व्यासजी ने ऋषियों को बताया वृद्ध भुवनेश्वर का पूजन करने से कोटि कुलों का उद्वार होता है।
इसके पश्चात उन्होंने कटोरा देवी का जिक्र करते हुए हुए कहा है इस देवी का पूजन करने से समस्त मनोरथ सिद्ध होते हैं। आगे शीतला माता की महिमा की अतुलनीय जिक्र करते हुए कहा माता शीतला के भक्त समस्त भयों से दूर रहते हैं। शीतला गुफा के उत्तरी परिधि में कैलाश कोण का जिक्र गणेश्वर गुफा के विराट आध्यात्मिक वैभव को दर्शाती है। कैलाश कोण से उत्पन गंगा को जटा गंगा कहा गया है, इस गंगा में स्नान के फल की महिमां को वर्णित करते हुए व्यासजी ने पुराण के माध्यम से कहा है यहां स्नान करने के पश्चात मानव कान्तिवान होकर शिव लोक को प्राप्त होता है।यह क्षेत्र पूर्वजों के उद्वार के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली है। इसी के उत्तर में सिद्धों के आश्रम का जिक्र आता है और इसी परिधि में गणेश्वर की गुफा की गाथा गाई गई है। कहा गया है इस गुफा में गणेश्वर का पूजन करने से दुर्लभ मुक्ति की प्राप्ति होती है यहां गणवती व भागीरथी नदी का संगम बताया गया है और इस नदी में भी स्नान के महत्व का बखान करते हुए कहा गया है इसमें स्नान करने से एक सौ तीन कुलों का उद्वार होता है।
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भृगु ऋषि की यह तपोभूमि गणेश्वर गुफा तीथार्टन की दृष्टि से बेहद उपयोगी है लेकिन गुमनामी के चलते उपेक्षित है। पाताल भुवनेश्वर मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम भण्डारी व नानी शीतला गाँव के युवा महिपाल सिंह भण्डारी ने सरकार से इस गुफा को तीर्थाटन के रूप में विकसित किये जाने की मांग की है।
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