इंडी गठबंधन का सेल्फ गोल प्लान

राष्ट्रप्रथम
लेखक:-पार्थसारथि थपलियाल

भारतीय ऋषियों ने जिस भू-भाग को भारत माता कह कर संबोधित किया, उसे इस दौर में भारत विरोधी मानसिकता के कुछ मक्कार कह रहे हैं कि भारत कोई देश नही। कोई कह रहा है हम राम को नही मानते। कोई दक्षिण भारत को अलग देश बनाने की बात कर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरागांधी के भाषण का एक क्लिप वायरल हो रहा है जिसमें वे कह रही हैं-“हम भारत के नागरिक हैं। हम में से किसी को इस देश के लिए वो शब्द नही बोलना,न विचार करना है जिससे भारत माता का सिर झुक सकता है। हमारे ऊपर यह जिम्मेदारी है। भारत कोई 5 साल,10 साल या 100 साल जीने का देश नही है, हज़ारों साल से जीवित रहा है और इसको जीवित रखना है। आज भारत के जो प्राचीन मूल्य हैं उन्हें हमें मजबूत बनाना है।”यह सुनने के बाद उनके पौत्र कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का एक भाषण क्लिप भी सुनने को मिला। वे एक जन सभा मे कह रहे हैं- “बहुत सुनने को मिलता है-भारत माता की जय! ये भारत माता है कौन? ये भारत माता,ये धरती है?… ये लोग (सभा स्थल पर उपस्थित) भारत माता हैं। दुबारा पूछते हैं-कौन है ये भारत माता?इसका तो पता लगाना होगा,जिसका हम नारा लगा रहे हैं- भारत माता की जय। अगर हमें यह नही मालूम कि इस देश में दलित कितने,पिछड़े कितने हैं तो भारत माता की जय कैसे? राहुल गांधी जो कांग्रेस के भावी प्रधानमंत्री उम्मीदवार की तरह प्रमोचित (Launch) किये जाते रहे हैं। इस तरह का विचार जन सभाओं में देते हैं। उनकी दादी ने जो बात कही थी ठीक उसके विपरीत राहुल गांधी का विचार।

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यह वेद का एक वाक्य है-“माता भूमि पुत्रोहम पृथिव्या”। यह भूमि मेरी माता है और मैं इस पृथ्वी का पुत्र हूँ। भारत के प्रधानमंत्री पद के अनंतकालीन प्रत्याशी राहुल गांधी जो यह बताते हैं कि उन्होंने सभी वेद,उपनिषद,पुराण आदि पढ़े हैं। संभवतः विष्णु पुराण का वह श्लोक पढ़ने से वे चूक गए हों जो इस प्रकार से है-

उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः।।

अर्थात समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में जो भू-भाग है वह भारत है। इस भू-भाग में निवास करने वाले सभी इस भारत माता की सन्तानें (नागरिक) हैं।

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बना लो इन महापुरुष को प्रधानमंत्री। जिस I.N.D.I (इंडी) गठबंधन की गांठ से वे प्रधानमंत्री पद का सपना संजोए हुए हैं उनके एक प्रमुख घटक DMK पार्टी के ए.राजा ने हाल ही में जो वक्तव्य दिया वह गठ भंजक है। उन्होंने कहा-हम भगवान राम और भारत माता की जय को कभी स्वीकार नहीं करेंगे,इसे तमिलनाडु स्वीकार नहीं करेगा।आप जाकर कहो,हम प्रभु श्रीराम के शत्रु हैं। मुझे रामायण और भगवान राम पर भरोसा नहीं है।” उन्होंने’जय श्रीराम’ के नारे को घृणास्पद बोल दिया। थू। इससे पहले ए राजा ने सनातन संस्कृति को लेकर बहुत कुछ अनापसनाप कहा। उदय निधि मारन के विवादित बोल ठंडे भी नही पड़े कि राजा ने नए विवाद को जन्म दे दिया।ए.राजा ने ही कहा था ”भारत एक राष्ट्र नहीं है,इस बात को अच्छे से समझ लें। भारत एक राष्ट्र नहीं,बल्कि एक उपमहाद्वीप है।’इसी तरह राहुल गांधी ने भी कुछ समय पूर्व एक वक्तव्य विदेशों में दिया था। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री DK शिवकुमार के भाई DK सुरेश ने पिछले दिनों एक वक्तव्य दिया था कि दक्षिण भारत का सारा राजस्व उत्तर भारत के हिंदी बेल्ट को चला जाता है। हमें दक्षिण भारत को अलग देश बनाना चाहिए। इसी प्रकार सनातन विरोधी बयान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे ने भी दिया था। जब प्रधानमंत्री प्रत्याशी ही भारत और उसकी संस्कृति को सम्मान न दे रहा हो तो दूसरों की तो बात ही क्या। ऐसे में क्या वे बहुसंख्यक समाज का समर्थन पा सकते हैं।

राहुल गांधी जो नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोले हुए हैं उसकी फ्रेंचाइजी उन्होंने काफी इलाकों में फैला रखी है। बिहार में आरजेडी के विधायक चंद्रशेखर ने कुछ दिन पूर्व कहा था “मंदिर का रास्ता गुलामी का रास्ता है”। उत्तर प्रदेश में स्वामी प्रसाद मौर्य भी इस मोहब्बत की दुकान के अन्य होलसेलर हैं,जिनकी दुकान उठ चुकी और बेटी की दुकान के शटर आधे हो चुके हैं। समझ नही आया राहुल गांधी अभी महाकाल की पूजा कर बाहर लौट रहे फोटो खिंचवाए थे। क्यों करते है वे ढोंग?

सनातन धर्म पर प्रहार करते जाओ और फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नज़र भी गढ़ाओ। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है-
हुअइ न इक संग दुइ भुआला
हँसब ठठब फुलावहि गाला।।
यह कैसे संभव हो सकता है कि एक आदमी एक साथ हंसता भी हो और मुंह भी फूलाता हो।

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