जालोर, समाज के युवा सेवा समिति के तत्वाधान में शनिवार को गर्गाचार्य की जयंती श्रद्धा उमंग के साथ मनाई। महर्षि गर्गाचार्य ने भगवान श्रीकृष्ण का नाम करण किया था और भगवान शिव का विवाह करवाया था। गर्गाचार्य की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्ज्वलित कर पूजन करने के साथ कार्यक्रम शुरु हुआ। वैदिक ऋषि गर्ग आंगिरस और भारद्वाज के वंशज 33 मंत्रकारों में श्रेष्ठ थे। गर्गवंशी लोग ब्राह्मण हैं ।भारतवर्ष ऋषि मुनियों का स्थल रहा है। साहित्यकार भारमल गर्ग ने कहा कि ऋषि मुनियों के द्वारा रचित वेद पुराण आदि ग्रंथ सदैव समस्त मानव जाति का मार्गदर्शन करते रहे हैं।

ऋषि मुनियों द्वारा किये गए जप,तप,ज्ञान, विवेक, तेज आदि कृत्यों का यह मानव समाज सदैव ऋणी रहेगा। उनके प्रति श्रद्धा व निष्ठा भाव स्मरण रूप में ऋषि पंचमी मनाई मनाई गई। गर्ग संहिता नामक संस्कृत ग्रंथ के रचियता महर्षि गर्ग द्वापर युगीय महान पुरोहित कहे जाते थे। आज उनके वंशज गर्ग ब्राह्मण समाज के नाम से जाने जाते हैं। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि महर्षि गर्गाचार्य के अवतरण दिवस के रूप में विख्यात है। इसी दिन को ऋषि पंचमी पर्व भी मनाया जाता है।

महर्षि गर्गाचार्य का जन्म अंगिरस गौत्र में हुआ। इनके पिता का नाम भुवमन्यु था, ये मुनि भरद्वाज के पौत्र व देवगुरु बृहस्पति के पड़पौत्र हुए। महर्षि गर्गाचार्य के प्रति श्रद्धाभाव व्यक्त करने का यह एक पवित्र दिन बताया गया है। इस शुभ अवसर पर दिनेश गर्ग देलदरी, जयराम गर्ग निंबाऊ, भागीरथ आर्य, नोपा राम रानीवाड़ा काबा, माधा राम सराणा, नकुल गर्ग सेरना, अर्जुन गर्ग भागली, उत्तमचन्द धानसा, तिलोक मोदराण, फरसा राम भागली, सुभाष गर्ग वलदरा, जगदीश गर्ग भाद्राजून, अमृत गर्ग हरियाली, गोवर्धन लाल चांदना, हरचंद गर्ग भागली समेत कई लोग उपस्थित थे।

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