अग्निवेश के विचारों की अग्नि देश में प्रज्ज्वलित रहेगी – नारायण सिंह आर्य

अग्निवेश की प्रथम पुण्यतिथि पर मंडोर आर्य समाज में हुआ आयोजन

जोधपुर, आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान के उपप्रधान नारायण सिंह आर्य ने कहा कि सती प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, जातिवाद जैसे ज्वलंतशील मुद्दे उठाने वाले सन्यासी स्वामी अग्निवेश के विचारों की अग्नि हमेशा प्रज्ज्वलित रहेगी। आर्य वीर दल जोधपुर के अध्यक्ष हरिसिंह आर्य ने बताया कि सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के पूर्व प्रधान, बंधुआ मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, क्रांतिकारी सन्यासी स्वामी अग्निवेश की प्रथम पुण्यतिथि पर शनिवार को मंडोर आर्य समाज में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य वक़्ता नारायण सिंह आर्य ने बताया कि सामाजिक असमानता देखिए एक गरीब बच्चे की माँ दूसरे के घर मे बच्चों का पालन करने जाती है, चांदी के बर्तनों में भोजन खिलाती है, दिन भर लोगों के घर में मजदूरी करके कुछ रुपये कमा कर लाती है और अपने भूखे बच्चों को भोजन खिलाती है। देश की ऐसी स्थिति से अग्निवेश के मन को उद्वेलित करती झकजोर देती, रूप कंवर जैसी कम उम्र की लड़की को सती कर दिया जाता है। तभी अग्निवेश के मन में आग लगा देती है और समाज की इस कुप्रथा के खिलाफ दिल्ली से देवराला तक पदयात्रा कर सरकार को हिला देते हैं और हमारे ही समाज के लोग लाठी, पत्थर, बंदूक से इस सती आन्दोलन को कुचलने में सामने खड़े हो गए,जान लेवा हमले हुए, जेल भेजा गया, लेकिन अग्निवेश की अग्नि को कोई रोक नही पाए।

दूसरा आंदोलन उदयपुर के पास नाथद्वारा में अछूतों को प्रवेश पर रोक थी लेकिन स्वामी अग्निवेश के दिमाग मे सवाल आया कि एक तरफ ईश्वर का द्वार कहते हैं और दूसरी ओर जातिवाद के नाम पर अछूत के नाम पर हमारे ही भाइयों को रोका जाता है। तो इस असमानता के खिलाफ आंदोलन किया। गले में ‘हां में भी हरिजन हूं’ की पट्टी लगाकर इस सामाजिक असमानता के विरोध में आंदोलन किया और हरिजन प्रवेश करवाकर ही दम लिया। समाज का दुर्भाग्य देखो इस घटना के पश्चात मंदिर को दूध से धोया गया। आज भी जातिवाद समाज की बड़ी बीमारी है। वर्ष में 5 करोड़ कन्या भ्रूण हत्या होती थी देश में इस मुद्दे को अगर किसी ने पहले उठाया तो वे स्वामी अग्निवेश ही थे। 50 हजार बंधुआ ओर बाल मजदूर कार्य करते हैं तो उनकी पीड़ा को भी स्वामी अग्निवेश ने उठाया इस प्रकार स्वामी अग्निवेश का जीवन ही अग्नि बनकर दुसरों के जीवन को रोशन करने में लगाते रहे।

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आर्य वीर दल राजस्थान के महामंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि स्वामी कहा करते थे एक तन पर सोने का तार चढ़ा एक तन पर सूत नही, इसीलिए बगावत करता हूं,यह न्याय मुझे स्वीकार नही। इस बात को अपने जीवन मे उतारा और हरियाणा के शिक्षा मंत्री पद को छोड़ कर गरीब, पिछड़े, बाल मजदूरों, जातिवाद से प्रताड़ित, जलती आग में नारियों की पीड़ा को अपना कर लोगों के कल्याण में जीवन को समर्पित कर दिया।

वरिष्ठ आर्य भंवरलाल आर्य ने बताया कि स्वामी अग्निवेश का जीवन हमेशा अज्ञान,अन्याय और अभाव के खिलाफ रहा और जहां ये होती वहां उनकी आवाज बुलंद होती। इसी वजह से उनके प्राणों पर संकट आया हो, सुनियोजित तरीके से हत्या हुई और आज ही के दिन वे हमें छोड़ कर चले गए। आर्य वीर दल राजस्थान के अध्यक्ष चांदमल आर्य ने बताया कि उनका जोधपुर से हमेशा जुड़ाव रहा 1984 में पहली मीटिंग ली उसमें 4000 हजार युवा थे, जिसमे वैदिक समाजवाद और मानव कल्याण से प्रेरित थी। जिससे कई युवा आर्य समाज से जुड़कर कार्य मे लगे। स्वामी ने किसान आंदोलन,अंग्रेजी अनिवार्यता के खिलाफ के भी आंदोलन किए।

संचालक उम्मेद सिंह, विनोद गहलोत, गजेसिंह भाटी ने भी विचार व्यक्त किये। पूर्व में कोषाध्यक्ष मदनगोपाल आर्य व विक्रम सिंह आर्य ने यज्ञ करवाकर उनके पथ पर निरंतर चलने के संकल्प कराया। संचालन डॉ लक्षमण सिंह आर्य ने किया। अंत में आर्य वीर दल जोधपुर के अध्यक्ष हरिसिंह आर्य ने सभी को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर गजेसिंह भाटी, अमृतलाल आर्य, विजय शर्मा, विनोद गहलोत, वीरेंद्र मेहता, शिवप्रकाश सोनी,गणपत सिंह आर्य, अशोक आर्य, जतनसिंह भाटी, रोशन आर्य, कुलदीप सिंह,अभिषेक,कपिल आर्य, हड़मानदास, अनिल आर्य, सोनपाल आर्य, तरुण गहलोत, मुकुल आर्य, राम गहलोत, सहित कई आर्य वीर उपस्थित थे।

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