मथुरादास माथुर अस्पताल के CTVS विभाग में हुई सर्जरी

जोधपुर,23 जुलाई 2021 को शहर के मथुरादास माथुर अस्पताल के CTVS विभाग में अब तक ज्ञात विश्व के दुर्लभतम केस की सर्जरी की गई।
CTVS विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ सुभाष बलारा ने बताया कि उनके पास पांच वर्ष की एक बालिका पिडियाट्रीशियन से रैफर होकर आई।

बच्ची सांस की तकलीफ के साथ पिडियाट्रीशियन के पास पहुंची थी वहां एक्सरे कराने पर लगा कि दांई तरफ न्यूसोथोरेक्स हो गया है और दायां फेफड़ा सिकुड़ गया है, तो दायीं चेस्ट केविटी में ICTD डालकर हवा निकालने का प्रयास किया गया परन्तु हवा के स्थान पर रक्त स्राव शुरू हो गया, तब चेस्ट ट्यूब निकाल कर बच्ची के फेफड़ों का सीटी स्केन कराया गया तो उसमें पता चला कि फेफड़ों के पास एक गांठ है जिसने दायी छाती का आधे से ज्यादा हिस्सा घेरा हुआ है और उसमें पेट से आंतें निकल कर डायफ्राम के रास्ते छाती में जगह बनाई हुई है। इसे मेडिकल की भाषा में डायफ्राम हर्निया कहते हैं। बच्ची को CTVS विभाग में रेफर किया गया।

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समस्त जांचों के पश्चात् 23 जुलाई को ऑपरेशन के लिये लिया गया। ऑपरेशन की शुरूआत दांई तरफ थोरेकोटोमी से की गई और ऑपरेशन के दौरान पाया गया कि डायफ्राम की ओपनिंग जिसमें महाशिरा (IVC) जाती है वहां से आंतो ने आकर दांई तरफ छाती में आकर दांए फेफड़े को दबाया हुआ है और आधे में ज्यादा भाग घेरा हुआ है। पहले दांए फेफड़े को गांठ से अलग किया गया उसके बाद पाया गया कि गांठ को IVC से भी शाखाऐ मिल रही हैं इन शाखाओं को भी बांधा गया और IVC से अलग किया परन्तु गांठ बहुत बड़ी (लगभग 15 सेमी) होने के कारण उसे पेट में पहुंचाना नामुमकिन था अतः बालिका की लेपेरोटोमी की गई।

एब्डोमन ओपन करने पर पाया गया कि पेट की सारी आंते सामान्य है तब Kocherization करके ड्यूडोनम देखा गया और गांठ के पेट वाले हिस्से को डायफ्राम से देखा गया तो पाया गया कि अलग से ड्यूडोनम की गांठ है जो द्वितीय भाग से निकल रही है। इस पूरे हिस्से को हटाया गया और ड्यूडोनम को द्वितीय भाग के डबल लेयर से रिपेयर किया गया। यह हिस्सा आॅपरेशन के बाद लीक के लिये बहुत संवेदनशील होता है अतः ये ध्यान रखते हुए नाक की नली को एनास्टोमोसिस साईट से आगे रखा गया। आॅपरेशन के सात दिन बाद सारी नलिया निकाल दी गई। अभी बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है और अपना सम्पूर्ण खाना-पीना सामान्य तरीके से ले रही है।

यह मामला दुर्लभतम इसलिये है कि जन्म से डायफ्ररम हर्निया के मामले एक लाख से 20 केस में होता है उसमें भी बांई तरफ 85 प्रतिशत और दांई तरफ 15 प्रतिशत ही होते हैं। इसके अलावा आंतों की डुप्लीकेशन सिस्ट 25000 में एक ही होती है उसमें से थोरेक्स वाले इसोफेगस में होते हैं एवं ड्यूडोनम की 25 प्रतिशत होती है और वह भी पेट तक ही सीमित रहती है।

अतः ड्यूडोनम की डुप्लीकेशन सिस्ट का इतना बड़ा हो कर डायफ्राम महाशिरा के साथ फेफड़ों तक पहुंच जाना ये विश्व का दुर्लभतम मामला है। इंटरनेट पर सर्च करने पर अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। अगर आॅपरेशन नहीं किया जाता तो गांठ में कैंसर बनने की संभावना होती है।

आॅपरेशन सर्जन डाॅ सुभाष बलारा, डाॅ अवधेश शर्मा और डाॅ विवेक राजदान ने किया। इसमें निश्चेतना विभाग के डाॅ राकेश कर्नावट, डाॅ चंदा खत्री एवं डाॅ शिल्पी राड़ा ने सहयोग किया।आॅपरेशन सहायक में संगीता एवं लीला ने सहयोग किया।

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