शब्द संदर्भ-(78), वामपंथ और दक्षिण पंथ

लेखक:- पार्थसारथि थपलियाल

जिज्ञासा

भोपाल से गौरव शुक्ला जानना चाहते हैं अक्सर सुनने में आता है आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) दक्षिण पंथी विचारधारा को बढ़ावा देता है। ये दक्षिण पंथ क्या है?

समाधान

इस शब्द का भारतीय संदर्भ जानने से पहले हमें इस शब्द के इतिहास के बारे में जानना चाहिए।
18वीं शताब्दी में फ्रांस में हुई क्रांति के बाद नई व्यवस्था स्थापित करने के लिए जिस सेंट्रल हाल में चर्चाएं की जाती थी उसमें अमीर और सम्पन्न लोग सभापति के दाहिनी ओर बैठ जाते थे, मजदूर वर्ग के लोग बांई ओर बैठ जाते थे। कुछ ऐसे भी थे जो न अमीर थे न गरीब थे वे सभागार में सामने की तरफ बैठते थे।

ऐसा किसी विश्वास या व्यवस्था के कारण नही बल्कि लोगों के स्वभावगत व्यवहार के कारण होता था। ऐसा सामान्य जीवन में होता ही है। समान सोच, समान अर्थव्यवस्था आदि के लोग इस तरह के समूह बनाते ही हैं। इन बांई ओर बैठे लोगों को लेफ्टिस्ट (वामी) और दाईं ओर बैठनेवालों को राइटिस्ट (दक्षिणी) कहा जाने लगा। तब से ये शब्द अस्तित्व में आये हैं।

अतिरिक्त जानकारी
राजनीति में इन विचारधाराओं को आगे बढाने वालों को क्रमशः वामपंथी और दक्षिणपंथी कहा जाने लगा।

वामपंथी विचारधारा

वामपंथी विचारधारा देश की अर्थव्यवस्था में समानता चाहती है। यह विचारधारा जाती, धर्म, राज्य, राष्ट्र की सीमा को नही मानती। साम्यवाद इस विचारधारा की पहचान है। मजदूर आन्दोलानों को बढ़ावा देकर व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य को लेकर वाम पंथ पर कुछ लोग चले। यह विचारधारा बदलते समाज में दम तोड़ रही है। भारत में कम्युनिटी पार्टी ऑफ इंडिया जो 1925 में स्थापित हुई इस विचारधारा की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है। इसका घिनोना चेहरा नक्सलवाद है।

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दक्षिणपंथी विचारधारा

अलग-अलग देशों में वामपंथ और दक्षिण पंथ के अलग अलग रूप हैं। भारत मे दक्षिण पंथ से आशय है समाज की प्रगति का वह मार्ग जहां व्यक्ति अपनी उन्नति के लिए तैयार हो, समाज मिलजुलकर अपनी संस्कृति, अपनी परंपराओं, अपने रीति रिवाजों को जीवित रखते हुए अपनी बोली, भाषा, धर्म और राष्ट्र को आगे बढाने के लिए कार्य करे।

दक्षिणपंथी विचारधारा का पोषक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है, जिसकी स्थापना 1925 में हुई। राजनीति में भारतीय जनता पार्टी इस विचारधारा को आगे बढ़ाती है। इस पार्टी का ध्येय है विश्व में भारत अपनी क्षमता, विद्वता, दृढ़ता,संपन्नता, ज्ञान और वैभव के कारण विश्वगुरु (वर्ल्ड लीडर) बने। भारतीय राजनीति में कोंग्रेस को मध्यमार्गी माना जाता है।

वाममार्गी या वामाचारी

भारतीय संस्कृति में जो तंत्र विद्या के माध्यम से तामसिक पूजा अर्चना की जाती है उसे वाममार्गी कहा जाता है। इसमें पंच मकारों मद्य,मांस,मछली, मुद्रा (भुनी हुई खाद्य सामग्री) और मैथुन को शामिल किया जाता है।
वाम का अर्थ बायां है। पत्नी को भी वामा कहा जाता है। वह इस लिए की शिवजी को जब हम अर्धनारीश्वर कहते हैं तब उनका बायां भाग देवी पार्वती का माना जाता है। सनातन संस्कृति में विवाह संस्कार में फेरों के बाद वधु को वर के बाएं भाग में बिठाया जाता है। इसीलिए उसे वामांगी कहा जाता है। वामांग मेडिकल साइंस के अनुसार भी अति महत्वपूर्ण माना जाता है। यज्ञ कर्म में पत्नी का वामभाग में बैठना आवश्यक है।

दक्षिण मार्गी या दक्षिणाचारी

यह सात्विक पूजा होती है जो वैदिक रीति रिवाज से की जाती है। इसमें मंत्रों के उच्चारणों से एक सकारात्मक ऊर्जा पैदा की जाती है। हाँ यह सही है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस राष्ट्र के लोगों में राष्ट्र के उत्थान के लिए देश भक्ति की भावना का संचार करता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य भारत राष्ट्र को परम वैभव तक ले जाना। उसके लिए राष्ट्र सेवा के लिए चरित्रवान, निष्ठावान और समर्पित भारतीय नागरिकों को तैयार करना है।

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