उत्तराखण्ड की बेटी दीक्षा अग्रवाल टॉप टेन में पहुँची
हल्द्वानी,उत्तराखण्ड की होनहार बेटी दीक्षा अग्रवाल पुत्री अतुल अग्रवाल UYSF इंडिया नेशनल योगा स्पोर्ट्स चैंपियनशिप 2023 भुवनेश्वर उड़ीसा में 2 जून से 4 जून तक नेशनल योगा स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में भाग लेकर राज्य का नाम रोशन किया। नेशनल योगा स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में दीक्षा अग्रवाल ने योगासनों का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टॉप टेन में अपना स्थान बनाया। नेशनल योगा स्पोर्ट्स चैंपियनशिप भुवनेश्वर उड़ीसा में राज्य से अकेली बेटी दीक्षा अग्रवाल थी।
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दीक्षा अग्रवाल ने पूर्व में भी रामनगर में हुई नैनीताल जिला योगा स्पोर्ट्स चैंपियनशिप 2022 में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।महर्षी पतंजलि योगा चैंपियनशिप जो हल्द्वानी में आयोजित हुई उस में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। उत्तराखंड जिला योगा स्पोर्ट्स चैंपियनशिप 2022 में ऋषिकेश में आयोजित की गई थी उस में तीसरा स्थान पर रही थी। WFF योगा उत्तराखंड राज्य चैंपियनशिप हरिद्वार में आयोजित की गई थी उसमें दीक्षा अग्रवाल ने उत्तराखंड राज्य में चौथा स्थान प्राप्त किया था। दीक्षा अग्रवाल अपनी इस सफलता से काफी उत्साहित है।
दीक्षा का कहना है कि योग हमारे भारतवर्ष की एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर और आत्मा (ध्यान) को एकरूप करना ही योग कहलाता है। मन को शब्दों से मुक्त करके अपने आपको शांति और रिक्तता से जोडने का एक तरीका है योग। योग समझने से ज्यादा करने की विधि है। योग साधने से पहले योग के बारे में जानना बहुत जरुरी है। योग के कई सारे अंग और प्रकार होते हैं,जिनके जरिए हमें ध्यान,समाधि और मोक्ष तक पहुंचना होता हैै। ‘योग’ शब्द तथा इसकी प्रक्रिया और धारणा हिन्दू धर्म,जैन धर्म और बौद्ध धर्म में ध्यान प्रक्रिया से सम्बन्धित है। योग शब्द भारत से बौद्ध पन्थ के साथ चीन,जापान, तिब्बत,दक्षिण पूर्व एशिया और श्रीलंका में भी फैल गया है और इस समय सारे सभ्य जगत में लोग इससे परिचित हैं। सिद्धि के बाद पहली बार 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी है।
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सबसे पहले ‘योग’ शब्द का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। इसके बाद अनेक उपनिषदों में इसका उल्लेख आया है। कठोपनिषद में सबसे पहले योग शब्द उसी अर्थ में प्रयुक्त हुआ है जिस अर्थ में इसे आधुनिक समय में समझा जाता है। माना जाता है कि कठोपनिषद की रचना ईसापूर्व पांचवीं और तीसरी शताब्दी ईसापूर्व के बीच के कालखण्ड में हुई थी। पतञ्जलि का योगसूत्र योग का सबसे पूर्ण ग्रन्थ है। इसका रचनाकाल ईसा की प्रथम शताब्दी या उसके आसपास माना जाता है। हठ योग के ग्रन्थ 9 वीं से लेकर 11 वीं शताब्दी में रचे जाने लगे थे। इनका विकास तन्त्र से हुआ।
पश्चिमी जगत में “योग”को हठयोग के आधुनिक रूप में लिया जाता है जिसमें शारीरिक फिटनेस,तनाव- शैथिल्य तथा विश्रान्ति (relaxation) की तकनीकों की प्रधानता है। ये तकनीकें मुख्यतः आसनों पर आधारित हैं जबकि परम्परागत योग का केन्द्र बिन्दु ध्यान है और वह सांसारिक लगावों से छुटकारा दिलाने का प्रयास करता है। पश्चिमी जगत में आधुनिक योग का प्रचार-प्रसार भारत से उन देशों में गये गुरुओं ने किया जो प्रायः स्वामी विवेकानन्द की पश्चिमी जगत में प्रसिद्धि के बाद वहाँ गये थे।
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