इस व्यक्ति के ऐसिड पीने से जल गई थी आहार नली,बड़ी आँत से दूसरी आहार नली बनाई

  • पहले मरीज़ लार भी नही निग़ल पा रहा था
  • अब आराम से खाना खा रहा है

जोधपुर,इस व्यक्ति के ऐसिड पीने से जल गई थी आहार नली,बड़ी आँत से दूसरी आहार नली बनाई। एमजीएच के गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों की बड़ी सफलता मिली है।जायल गाँव के निवासी प्रकाश नाइक ने कुछ महीने पूर्व टॉयलेट साफ़ करने वाला एसिड भूल से पी लिया जिससे उसकी आहार नली क्षतिग्रस्त हो गई।कुछ समय बाद उसकी आहार नली में सिकुड़न होने लगी तो मरीज़ को खाना निगलने में परेशानी होने लगी और धीरे-धीरे समस्या बड़ने पर अब मरीज़ पानी और अपनी लार भी नहीं निगल पा रहा था।

 

मरीज़ ने डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने उसे गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में डॉक्टर दिनेश के पास रेफ़र कर दिया। डॉक्टर दिनेश ने मरीज़ की जाँच कर कोरोसिवस्ट्रिक्चर का निदान किया और ऑपरेशन की सलाह दी। गेस्ट्रो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉक्टर दिनेश चौधरी के अनुसार मरीज़ की लगभग पूर्ण आहार नाल ख़राब हो कर सिकुड़ गई थी और मरीज़ जो पहले 60 किलो का था उसका वजन घटकर 30 किलो रह गया और वह कुछ भी खाने पीने में असमर्थ था। इस परिस्थिति में उसकी बड़ी आँत से उसकी आहार नली बनाने का निर्णय लिया गया।

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इस तरह हुआ ऑपरेशन
ऑपरेशन बहुत ही चुनौतीपूर्ण था क्योंकि बड़ी आँत को पेट से काटकर सीने में हार्ट के आगे से गले तक ले जाना था और गले में सांस की नली के पीछे आहार नाल से जोड़ना था। बड़ी आँत को सामान्यतया 4 रक्तवाहिनियाँ रक्त पहुँचाती है पर उसे गर्दन तक पहुँचाने के लिए 3 रक्तनलीका को काटना पड़ता है तथा बड़ी आँत मात्र 1 रक्तनलिका पर निर्भर रहती है जिसके चोट लगने से संपूर्ण बड़ी आँत ख़राब हो सकती है इसलिए बहुत सावधानी से लेफ्ट कॉलिक आर्टरी को बचाकर बड़ी आँत को गले में जोड़ा गया और पुन: पेट में आमाशय से जोड़ा गया और फिर बची हुई बड़ी आँत को छोटी आँत से जोड़ा गया इस प्रकार ऑपरेशन में 3 जोड़ लगाए गये। इस ऑपरेशन को कोलोनिक इंटेरपोजीसन,इसोफ़ेगो-कोलोप्लासटी कहा जाता है। यह ऑपरेशन 6 घण्टे चला। पश्चिमी राजस्थान के किसी भी राज्य सरकार द्वारा संचालित हॉस्पिटल में यह इस तरह का पहला ऑपरेशन हैं।

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इन्होंने किया ऑपरेशन
ऑपरेशन गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ दिनेश चौधरी ओर डॉक्टर शुभम शर्मा की टीम ने किया। डॉक्टर शाहिद एवं नर्सिंग ऑफ़िसर फारूक ने सहयोग किया। निश्चेतना की विभागाध्यक्ष सरिता जनवेज़ा ने बताया कि ऑपरेशन के दोरान मरीज़ के ह्रदय की धड़कन ओर रक्तचाप को नियंत्रण रखना चुनोती पूर्ण था। इसके लिए डॉक्टर फ़तेह सिंह भाटी के निर्देशन में डॉक्टर वंदना ने निश्चेतना दी एवं ऑपरेशन के दोरान मॉनिटरिंग की।ऑपरेशन के पश्चात मरीज़ को कुछ समय तक पेट में फ़ीडिंग टयूब से तरल पदार्थ दिए गये। अभी मरीज़ पूर्णत: स्वस्थ है और मुँह से सामान्य खाना खा रहा है।हॉस्पिटल अधीक्षक डॉक्टर राजश्री बेहरा ने बताया कि ऑपरेशन निःशुल्क हुआ।प्रिन्सिपल एंड कंट्रोलर डॉक्टर दिलीप कछवाह ने सफल ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन टीम को बधाई दी।

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