जोधपुर, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र द्वारा गुरूवार को कलेक्ट्रेट सभागार में पुलिस विभाग के कार्मिकों को एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस का प्रशिक्षण दिया गया। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) जोधपुर के वरिष्ठ तकनीकि निदेशक रवि माथुर ने बताया कि राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सड़क परिवहन एवं राज्यमार्ग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आईआईटी मद्रास के सहयोग से एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटा बेस तैयार किया जा रहा। उन्होंने बताया कि इसके सफल क्रियान्वयन के लिए एनआईसी द्वारा जोधपुर पुलिस विभाग के कार्मिकों को एप्लिकेशन के संबंध में कलेक्ट्रेट सभागार में दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।
एनआईसी जोधपुर के अतिरिक्त जिला सूचना विज्ञान अधिकारी विकास अग्रवाल के मार्गदर्शन में चार सत्रों में प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें पुलिस उपायुक्त पूर्व, पश्चिम एवं पुलिस अधीक्षक जोधपुर ग्रामीण से एक एक नोडल अधिकारी एवं 100 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों ने मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण लिया व इन मास्टर ट्रेनर द्वारा अपने अधिनस्थ कार्यालयों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया। परियोजना के जिला संयोजक मोहित दवे ने प्रशिक्षण में बताया कि दुर्घटना स्थल पर पुलिस मोबाइल ऐप पर विवरण दर्ज करेगी। घटना में प्रभावित व्यक्ति नाम उम्र पता, वाहन का नम्बर, लाइसेंस संख्या, स्थान दुर्घटना का सम्भावित कारण, फोटो, वीडियो अपलोड करेगी। उन्होंने बताया कि प्रक्रिया पूरी होते ही पास के स्वास्थ्य केन्द्र में पोर्टल् के द्वारा सूचना पहुंचेगी। इस आधार पर इलाज संबंधी तैयारियों अस्पताल में होगी। पीडब्ल्यूडी व परिवहन विभाग के पास भी इसकी सूचना स्वचालित प्रणाली से पहुंचेगी। यह विभाग घटना के कारणों का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार कर ऑनलाईन दर्ज करेगी व इन आंकड़ो का अध्ययन आईआईटी मंद्रास करेगी व फिर वह सुझाव देगी की दुर्घटना में कमी लाने के लिए क्या सुधार किए जा सकते हैं। आईआरएडी मोबाइल और बेव दोनो में अनुप्रयोग है इसका उपयोग मोबाइल, टैबलेट के माध्यम से दुर्घटना संबंधी जानकारी के संग्रह और देखने के लिए किया जायेगा। सभी राज्यों केन्द्र शासित प्रदेशों में एक ही आवेदन का उपयोग किया जाएगा। परियोजना का मुख्य उद्देश्य देश के सभी हिस्सों से दुर्घटना डेटाबेस को समृद्ध करने के लिए एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटा बेस को विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित प्रणाली को आसानी से समझ के लिए निगरानी डैशबोर्ड, रिपोर्टिंग डैशबोर्ड और एनालिटिक्स डैशबोर्ड होगा जिससे डाटा का विश्लेषण किया जायेगा और एपेक्स अधिकारियों द्वारा पूर्वानुमान और निर्णय लिया जायेगा। परियोजना के परिणाम से भारत में सड़क सुरक्षा यानि ‘सेफ रोड फॉर ऑल’ को बढ़ाया जाएगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के परियोजना हितधारक देश में सड़क सुरक्षा को बढ़ाने के लिए भविष्य की योजना और नीति के क्रियान्वयन के लिए निर्णय निर्माता के रूप में कार्य करेंगे। अन्य हितधारक पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग, राजमार्ग,भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण है जो डेटा योगदानकर्ताओं के साथ-साथ डेटा उपभोक्ताओं के रूप में कार्य करेंगे। 108 एम्बुलेंस, रक्त बैंको, बीमा कंपनियों, कारागार, न्यायालय आदि के साथ भविष्य में एकीकरण के दायरे की भी परिकल्पना की गई है।