जोधपुर, शहर में कोरोना संक्रमितों की आई सुनामी में शहर के सभी अस्पताल मरीजों से पूरे भर चुके हैं। प्रशासन अस्थाई तौर पर अस्पताल खड़ा कर विकल्प तलाश रहा है। इस बीच जोधपुर के सांसद व केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भी पांच सौ बिस्तर वाला एक अस्थाई अस्पताल एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज में खोलने का आश्वासन दिया है, लेकिन विशेषज्ञ इस तरह के अस्पतालों के खोलने पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं। उनका कहना है कि सिर्फ बेड लगा देने से अस्पताल नहीं बन सकता। उसके लिए बड़ी संख्या में अन्य संसाधन चाहिये।

Temporary hospital can be built with increasing number of patients

जोधपुर के तीन बड़े अस्पताल, महात्मा गांधी, एमडीएम व एम्स में कोरोना संक्रमितों को भर्ती किया जा रहा है। इन तीनों में 1200 मरीज भर्ती है। प्रशासन रोजाना तीनों में बेड बढ़ा अधिक से अधिक मरीजों को भर्ती करने का प्रयास कर रहा है। मरीजों की तेज रफ्तार को ध्यान में रख प्रशासन कुछ स्थानों पर अस्थाई अस्पताल विकसित करने की योजना बना रहा है। प्रशासन ने यूथ हॉस्टल, इंजीनियरिंग कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टल सहित कुछ सामुदायिक भवनों में इनके संचालन की योजना तैयार की है।

शहर में एक निजी अस्पताल के मालिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अस्थाई अस्पताल खड़ा करना आसान काम नहीं है। सिर्फ बिस्तर, पलंग व बिल्डिंग के सहारे अस्पताल नहीं चलाया जा सकता है। अनुभवी डॉक्टरों की पूरी टीम के साथ ही बड़ी संख्या में नर्सिंग कर्मचारी सहित अन्य कई तरह के कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ेगी। कामचलाऊ व्यवस्था तो की जा सकती है, लेकिन उसे अस्पताल का नाम देना उचित नहीं होगा।

इच्छाशक्ति हो तो सब कुछ संभव

गोयल अस्पताल के संचालक डॉ. आनंद गोयल का कहना है कि इच्छाशक्ति हो तो कोई काम मुश्किल नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरोना जैसी महामारी के समान ही यह चुनौती भी बहुत बड़ी है लेकिन वर्तमान हालात में सरकारी अस्पतालों के सभी डॉक्टरों व नर्सिंग कर्मचारियों की ताकत बड़े अस्पतालों में लगी है। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती अतरिक्त डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों की व्यवस्था करना रहेगी। अस्थाई अस्पताल में कम से कम समय में सभी तरह की चिकित्सकीय मशीनरी जुटाना भी बेहद मुश्किल है। उन्होंने उदाहरण दिया कि किसान आंदोलन के दौरान चंद दिनों में एक बड़ा अस्पताल शुरू कर दिया गया था। उसी तर्ज पर यहां भी किया जा सकता है। बस प्रशासन में मजबूत इच्छा शक्ति होनी चाहिये।

यह घोषणा की थी शेखावत ने:- सांसद निधि से कोरोना की रोकथाम के लिए 50 लाख रुपए की तत्काल सहायता देने के बाद केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जिला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह से अस्थाई अस्पताल को लेकर बातचीत की है। उन्होंने कलेक्टर से कहा है कि हमारी टीम 100 बेड का अस्थाई अस्पताल 3-4 दिन में तैयार करा देगी और हर दूसरे दिन इस अस्पताल में 100-100 अतिरिक्त बेड जोड़क़र इन्हें 500 बेड तक कर दिया जाएगा। शेखावत ने कहा कि अस्पताल बनने के बाद प्रशासन 24 घंटे मॉनिटरिंग के लिए एक सीनियर डॉक्टर, कुछ सीनियर व जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के अलावा ऑक्सीजन और दवाइयों की व्यवस्था करा दे।

मेडिकल कॉलेज के पास स्टाफ की कमी

अस्पतालों में तेजी से बढ़ रहे मरीजों के कारण मेडिकल कॉलेज प्रशासन को स्टाफ की कमी का सामना करना पड़ रहा है। बोरानाडा में स्थापित कोविड सेंटर में 200 बेड पर सारी सुविधाएं जुटाई जा चुकी हैं, लेकिन डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ व अन्य कर्मचारियों के अभाव में अभी तक वहां मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैं। अब राज्य सरकार ने कुछ कर्मचारियों की भर्ती के लिए कलेक्टर को अधिकृत किया है। इसमें110 नर्सिंग कर्मचारी उपलब्ध कराए गए हैं। करीब 70 जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर की सेवा भी शीघ्र ही मिलना शुरू हो जाएगी। इसके बाद ही कोविड सेंटर में मरीज भर्ती किए जा सकेंगे।