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एमजीएच में पेंक्रियाज के केंसर का सफल ऑपरेशन

1 करोड़ में केवल एक इंसान को होती है यह बीमारी

जोधपुर,शहर के महात्मा गाँधी अस्पताल के सर्जरी विभाग में अब लिवर,पेंक्रियाज और आंतों के कैन्सर के ऑपरेशन अब नियमित रूप से हो रहे हैं। पहले मरीज़ों को अहमदाबाद या दिल्ली जाना पड़ता था पर अब एसी जटिल सर्जरी की सुवीधा यहाँ भी उपलब्ध है। सर्जरी विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ आचार्य डॉक्टर एसएस राठौड़ ने बताया की 45 वर्षीय महिला को बार-बार बेहोशी के दोरे पड़ते थे उसने एमडीएम अस्पताल के मेडिसिन विभाग में वरिष्ट आचार्य डॉक्टर इंदू थानवी को दिखाया तो जाँच में बेहोशी का कारण रक्त में शुगर की मात्रा अत्यंत कम होना पाया गया।

जाँच में जब सीटी स्केन करवाया गया तो पेंक्रियाज में केन्सर की गाँठ पाई गई तब डॉक्टर ने मरीज़ को इंसुलिनोमा के ऑपरेशन के लिये गेस्ट्रो सर्जन डॉक्टर दिनेश चौधरी के पास महात्मा गांधी अस्पताल भेजा। डॉक्टर एसएस राठौड़ ने बताया कि इंसुलिनोमा इंसुलिन स्रावित करने वाली बीटा कोशिकाओं का केन्सर है जिसमें इंसुलिन अनियंत्रित रूप से स्रावित होता है।

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महात्मा गांधी अस्पताल में एंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉक्टर रोनक गांधी ने भी हार्मोन की जाँचे करवाई और शुगर कम होने का कारण इंसुलिनोमा केन्सर बताया। गेस्ट्रोसर्जन डॉक्टर दिनेश चौधरी ने बताया कि इंसुलिन हार्मोन रक्त में शुगर की मात्रा नियंत्रित करता है और इंसुलिनोमा नामक कैन्सर एक प्रकार का न्यूरोएंड़ोक्राइन ट्यूमर है जिसमें रक्त में इंसुलिन की मात्रा अनियंत्रित रूप से बड़ जाती है जिससे रक्त में शुगर की मात्रा अत्यधिक कम हो जाती है, जिसे हायपोग्लाईसेमिक दौरे कहा जाता है जिससे मरीज़ को बेहोशी के दोरे पड़ते हैं। अत्यधिक शुगर कम होने से मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है। इंसुलिनोमा केन्सर बहुत कम लोगों में पाया जाता हे ओर मेलीगनेंट इंसुलिनोमा 1 करोड़ आबादी में केवल एक इंसान को होता है।

डॉक्टर दिनेश ने बताया कि इस मरीज़ में इंसुलिनोमा लिम्बग्रंथियों में भी फैल गया था, रक्त की नालियों- सूपीरीअर मेसेंटेरिक वेन और सिलियक ट्रंक से सटा हुआ था। इस वजह से ऑपरेशन अत्यंत जटिल एवं चुनोतीपूर्ण था। एसी स्थिति में रैडिकल एंटिग्रेड मोडयूलर पेंक्रियाटो सप्लिनेकटोमी नामक ऑपरेशन किया गया व सूक्ष्म विच्छेदन करते हुए तिल्ली की खून की नालियों को उसके प्रारंभ से ही बांधकर काटा गया उसके बाद संपूर्ण इंसुलिनोमा,लिंबग्रंथीयों और तिल्ली को एक साथ निकला गया।

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ऑपरेशन के बाद मरीज़ का शुगर लेवल एकदम नोर्मल है एवं मरीज़ पूर्ण रूप से स्वस्थ है। निश्चेतना विभाग से ओपरेशन में शामिल डॉक्टर फ़तेह सिंह भाटी और डॉक्टर भरत ने कहा कि इस सर्जरी में ऑपरेशन के दोरान मरीज़ के शुगर लेवल को सामान्य रखना बहुत चुनोतीपूर्ण था। ऑपरेशन के दोरान लगातार शुगर की मॉनिटरिंग की गई और ज़रूरत पड़ने पर डेक्स्ट्रोस का इन्फ़्यूज़न दिया गया।

इन्होंने किया ऑपरेशन

ऑपरेशन डॉक्टर एसएस राठौड़ के निर्देशन में डॉक्टर दिनेश चौधरी ने किया और डॉक्टर प्रदीप गुप्ता एवं उगम सिंह ने सहयोग किया। निश्चेतना विभाग से डॉक्टर ने फ़तेह सिंह भाटी एवं डॉक्टर भरत ने मरीज़ को एनेस्थीसिया दिया व ऑपरेशन के दोरान शुगर मॉनिटरिंग किया।

नर्सिंग स्टाफ़ गणपत व हंसराज ने भी ऑपरेशन में सहयोग किया। अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर राजश्री बेहरा ने ऑपरेशन टीम को बधाई देते हुए कहा कि महात्मा गांधी अस्पताल में लगातार सुविधाओं का विस्तार हो रहा हे। गेस्टरो सर्जरी के डॉक्टर उपलब्ध होने से लिवर,पेंक्रियाज एवं आंतो के कैन्सर के आपरेशन अब इसी अस्पताल में हो रहे हैं। इस तरह के ऑपरेशन में प्राइवट अस्पताल में 4-5 लाख का ख़र्चा आता है लेकिन इस मरीज़ का ऑपरेशन चिरंजीवी योजना में निःशुल्क किया गया। प्राचार्य एवं नियंत्रक एसएन मेडिकल कॉलेज दिलीप काच्छ्वाह ने भी टीम को बधाई दी।

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