मौन कलह को टाल देता है: पदमचन्द्र महाराज

जोधपुर, पावटा बी रोड स्थित चौरडिय़ा भवन में चल रहे चातुर्मास अनुष्ठान में शनिवार को भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। सुबह आठ बजे प्रार्थना के अंतगड़दशांग दशांक सूत्र का वाचन किया गया। इसी के साथ प्रर्यूषण पर्व का शुभारंभ हुआ।
अखिल भारतीय स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में धर्म,आराधना, तप तथा प्रवचन  सहित धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन दिन भर जारी रहा। इस अवसर पर डा. पदमचन्द्र महाराज ने कहा कि पर्यूषण आत्म रमण का पर्व है।

यह पर्व हमें शिक्षा देता है कि पाप से घृणा करो, पापी से नहीं। जो आज पाप कर रहा है,ना जाने कब उसका हृदय परिवर्तन हो जाए। साधना कर मोक्ष प्राप्त कर ले। व्यक्ति व्यर्थ में किसी से बैर रख कर कर्मबंध कर लेता है। किसी से भी नफरत नहीं करनी चाहिए। किसी की निन्दा भी नहीं करनी चाहिए। नाराजगी की अभिव्यक्ति करने का एकमात्र मार्ग मौन है। मौन कलह को टाल देता है। जीव को बैर का खाता नहीं रखना चाहिए। बैर रखने से भव में उसका बदला चुकाना पड़ेगा। इसलिए क्षमा मांग कर कर्म बंधन से बचना चाहिए।

डॉ मुनि ने अंतगड़दशांक सूत्र का विवेचन किया। जयेंद्र मुनि ने जबकि अंतगड़दशांक सूत्र का वाचन किया। जिसमें सभी श्रावक श्राविकाओं ने एकसाथ उच्चारण किया। अखिल भारतीय स्थानक जयमल जैन श्रावक संघ के राष्ट्र्रीय उपाध्यक्ष देवराज बोहरा तथा सचिव गौतम खिंवसरा ने बताया कि पर्यूषण पर्व पर आठ दिनों तक अखण्ड नवकार मंत्र का जाप होगा। इसके साथ ही कल्प सूत्र वाचन, अंतगड़दशांक सूत्र का वाचन, धार्मिक प्रतियोगिता सहित सामूहिक प्रतिक्रमण के कार्यक्रम होंगे।

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