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कविता मनुष्य को भीतर से पवित्र करती है-डाॅ.भाटी

काव्यकृति ‘सृजन-सौरभ’ का लोकार्पण

जोधपुर,कविता मनुष्य को भीतर से पवित्र कर उसके आचरण व स्वभाव का परिष्कार करती है। यह उद्गार भारतीय साहित्य विकास न्यास, राजस्थान की ओर से आयोजित युवा कवि कुलदीप सिंह भाटी की प्रथम काव्यकृति ‘सृजन-सौरभ’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए कवि, चिंतक एवं आलोचक राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सदस्य डाॅ.आईदान सिंह भाटी ने प्रस्तुत किये।

मुख्यअतिथि वरिष्ठ गीतकार एवं नवगठित पं.जवाहरलाल नेहरू राजस्थान बाल साहित्य अकादमी के मनोनीत सदस्य सत्यदेव संवितेन्द्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि कविता मानवीय चेतना का भावात्मक रूपांतरण है जो हर रचनाकार को अपने समय से आगे के संकेत करते हुए युगधर्म की राह बताती है।

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कार्यक्रम संयोजक वाजिद हसन काजी ने बताया कि कार्यक्रम में बतौर मुख्यवक्ता दशरथ कुमार सोलंकी ने कवि कुलदीप सिंह भाटी के रचनाकर्म पर विस्तार पूर्वक चर्चा की और लोकार्पित काव्यकृति की कविताओं पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कुलदीप ने अपनी कविताओं के माध्यम से कई समयागत सवाल उठाए हैं।

कवि कुलदीप सिंह भाटी ने अपनी नव लोकार्पित काव्यकृति की चुनिन्दा रचनाएं सुना कर सदन को अभिभूत कर दिया। श्रोताओं से खचाखच भरे डाॅ.मदन सावित्री डागा साहित्य भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में डाॅ. पद्मजा शर्मा,डाॅ. हरिदास व्यास, हरिप्रकाश राठी, मोहनसिंह रत्नू, अशफाक फौजदार, श्याम गुप्ता, गिरधर सिंह भाटी, शिवानी पुरोहित, डाॅ.उषा माहेश्वरी, डाॅ. मदनलाल जांगिड़, सूर्यप्रकाश वर्मा, मोनिका वर्मा, पुरूषोत्तम भाटी, निर्मला भाटी, तारा प्रजापति, सूरज भार्गव, सुशील एम व्यास सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार,बैंक कर्मी एवं गणमान्यजन मौजूद थे।

सरस्वती पूजन के साथ प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन साहित्यकार एवं रंगकर्मी वाजिद हसन काज़ी ने दिया। कार्यक्रम का सरस संचालन कवयित्री मधुर परिहार ने किया तथा आभार डाॅ.कालूराम परिहार ने व्यक्त किया।

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