• आरजीएचएस घोटाला
  • साइबर थाना पुलिस करेगी जांच
  • डॉक्टर्स की भूमिकाओं की अब होगी गहनता से जांच

जोधपुर,ऑनलाइन फर्जीवाड़े का लगाया जाएगा पता। शहर में आरजी एचएस घोटाले की जांच अब साइबर थाना पुलिस की तरफ से की जाएगी। इसका प्रकरण साइबर थाने मेें अब दर्ज हो गया है। पुलिस ने धोखाधड़ी के इस बड़े स्तर के मामले में पहले जांच करते हुए आरोपी मेडिकल संचालक को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था। दलाल उमेश परिहार भूमिगत हो गया है। डॉक्टर्स की भूमिका संदिग्ध होने से अब जांच का दायरा साइबर थाने में पहुंच गया है। इस बारे में प्रकरण दर्ज कर लिया गया है।ऑनलाइन लेनदेन,फर्जीवाड़ा, मरीजों के टिकट कटने,अस्पतालों का रिकार्ड अब जांचा जा रहा है। इसके लिए कमिश्ररेट की साइबर सैल की तरफ से तफ्तीश शुरू कर दी गई है।

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सनद रहे कि पुलिस ने गत सोमवार को करोड़ों का घोटाला करने वाले आरोपी मेडिकल संचालक जुगल झंवर को जेल भिजवा दिया था। एम्स के पांच डॉक्टरों में से दो डॉक्टर्स को बुलाकर दिन भर पूछताछ की गई। कार्ड होल्डरों के भी बयान लिए गए हैं।पूछाताछ में डॉक्टरों ने आरजीएच एस की पर्ची पर किए गए हस्ताक्षर और लिखावट से इंकार किया है। कार्ड होल्डरों का डॉक्टरों से आमना- सामना कराया तो बताया कि वे एक दूसरे को जानते ही नहीं। पुलिस ने मंगलवार को फिर से दोनों डॉक्टरों को बुलाया था,उनके हस्ताक्षर और लिखावट के सेंपल लिए गए,जिसके बाद उन्हे एफएसएल जांच के लिए भेजा जाएगा।आरजीएचएस के संयुक्त परियोजना निदेशक अभिषेक सिंह किलक ने गत दिनों जालोरी मेडिकल मार्केट के झंवर मेडिकल एजेंसीज के संचालक जुगल झंवर,  दलाल उमेश परिहार और 44 कार्ड धारक व लाभार्थियों के खिलाफ धोखाधड़ी व गबन का मामला दर्ज करवाया था।थानाधिकारी जितेन्द्रसिंह व अतिरिक्त औषधि नियंत्रक व टीम के साथ दवाइयों की दुकान,संचालक की बासनी स्थित हैण्डीक्राफ्ट फैक्ट्री व लालसागर के आदर्श नगर में मकान में दबिश दी थी।

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दवाइयों की दुकान व फैक्ट्री में ऑफिस से अनेक दस्तावेज और कम्प्यूटर आदि जब्त किए। इनमें आरजीएचएस संबंधी बिल, चिकित्सकों की पर्चियां आदि शामिल हैं। राज्य सरकार ने इंडिया हैल्थ इंश्योरेंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से इकरार कर रखा है, जो आरजीएचएस के क्लेम प्रोसेसिंग व पोस्ट ऑडिट की जांच करती है। इस कंपनी की जांच में यह घोटाला उजागर हुआ था। इसके बाद से बासनी पुलिस लगातार जांच कर रही थी। निजी अस्पताल के डॉक्टर के अलावा अन्य डॉक्टरों के भी बयान हो चुके है। डॉक्टर के भी हस्ताक्षर व लिखावट के सेंपल फॉरेंसिक भेजे जाने है।

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