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स्वयं को जानने के लिए जिज्ञासा व श्रद्धा होनी चाहिए-समानंद गिरि

स्वयं को जानने के लिए जिज्ञासा व श्रद्धा होनी चाहिए-समानंद गिरि

जोधपुर,स्वयं को जानना यह मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है और इसकी राह जिज्ञासा और श्रद्धा से होकर गुजरती है। उक्त विचार स्वामी समानन्द गिरि संवित गंगायन प्रन्यास कनखल हरिद्वार ने विवेकानंद केंद्र गीता भवन जोधपुर में आयोजित कार्यक्रम में कही। यह जानकारी विवेकानंद केंद्र जोधपुर के नगर प्रमुख डॉ अमित व्यास ने दी। श्रद्धा और जिज्ञासा का जीवन में अन्यान्य महत्व है और आधुनिक विज्ञान और शिक्षा धीरे-धीरे उसे समाप्त करती जा रही है। इसीलिए स्वयं को जानने के लिए श्रद्धा और जिज्ञासा को जागृत करना अत्यावश्यक है।

कार्यक्रम का संचालन योग समिति के अध्यक्ष गजेंद्र ने किया। स्वामी द्वारा दीप प्रज्वलन के पश्चात प्रार्थना राज दीदी और शिल्पा दीदी ने ली। पश्चात विवेकानंद केंद्र का परिचय गौरव शर्मा ने दिया। कार्यक्रम में 50 लोगों की उपस्थिति थी। विवेकानंद केंद्र जोधपुर के विभाग संचालक चंद्रप्रकाश अरोरा, विभाग प्रमुख प्रेम रतन सोतवाल, संपर्क प्रमुख एनके प्रजापत,दीपक खेरे(जीवनवृती कार्यकर्ता),कार्यालय प्रमुख महेश बोहरा, युवा प्रमुख श्याम मालवीय, योग प्रमुख पंकज व्यास, अनमोल शर्मा,केशव,विनीत कपूर, अम्बालाल जेडीया,अनीता बोराणा, प्रकाश भाटी,आकांक्षा कल्ला, अनुराधा, आयुषी भूतड़ा, अमिता बोहरा,मनीष राठौड़, आदि उपस्थित थे।

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